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कांग्रेस: 2.46% वोट बढ़ने से दोगुनी सीटों का फायदा, 5 फैक्टर की वजह से राहुल हुए मजबूत

Lok Sabha Result 2024: इस बार के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 329 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.

प्रियम वर्मा
चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>लोकसभा चुनाव 2024 में कम प्रत्याशियों को खड़े करने के बावजूद कांग्रेस ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया है.</p></div>
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लोकसभा चुनाव 2024 में कम प्रत्याशियों को खड़े करने के बावजूद कांग्रेस ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया है.

फोटोः क्विंट हिंदी

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लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद से जहां विपक्ष खुश है वहीं सत्ता पक्ष में भी तीसरी बार वापसी की खुशी है, लेकिन सीटें कम होने से एक मलाल भी नजर आ रहा है. वहीं क्षेत्रीय दल भी बड़ी संख्या में जीतकर संसद पहुंचे हैं. 10 साल बाद फिर से जनादेश खंडित आया है लेकिन हुकूमत की राह स्पष्ट है. ये स्थिति इसलिए है क्योंकि सत्ताधीन पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है और इंडिया के साथ-साथ कांग्रेस ने आशातीत प्रदर्शन किया है.

ऐसे में आइए जानते हैं कि कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के पीछे पांच बड़े कारण क्या रहे, किस रणनीति पर पार्टी चली और जनता के लुभाने में कौन से वादे काम कर गए?

राहुल का 'खटाखट' वाला वादा

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गारंटी कार्ड जारी कर महिलाओं को एक लाख रुपये देने की घोषणा की थी. कहा था कि ये पैसे किस्त के तौर पर हर महीने उन्हें दिए जाएंगे. सबसे पहले 4 जुलाई को 8500 रुपये उनके अकाउंट में जाएंगे.‌

कांग्रेस सरकार बनाने के लिए बहुमत भले ही अभी तक जुटा नहीं पाई हो लेकिन इसको लेकर अब हलचल शुरू हो गई. नतीजे आने के बाद लखनऊ कांग्रेस मुख्यालय में कुछ महिलाएं गारंटी कार्ड लेकर पहुंच गईं.

काम कर गया संविधान और आरक्षण का मुद्दा

बीजेपी की जमीन खिसकने और कांग्रेस की नींव पड़ने के पीछे पार्टी का ये दावा भी काफी कर गया. राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान लगातार कहते रहे कि अगर बीजेपी 400 से ज्यादा सीटें जीतती है तो संविधान में बदलाव कर दिया जाएगा और आरक्षण को हटा दिया जाएगा.

साथ ही राहुल ने 'जितनी आबादी उतना हक' का नारा पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने का काम किया लिहाजा कम से कम यूपी में अल्पसंख्यक, पिछड़े और दलितों का वोट बीएसपी की बजाय कांग्रेस को शिफ्ट हो गया.

युवाओं को भाया नौकरी का दावा

पिछले दस सालों में विपक्ष बीजेपी सरकार को लगातार बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे पर घेरता रहा. साथ ही गैस सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल समेत रोजमर्रा की जरूरतों के सामान की बढ़ती कीमतों को चुनाव प्रचार के दौरान भी प्रचारित करता रहा.

वहीं अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो बेरोजगारी और पेपर लीक का मुद्दा जहां सत्ताधीन पार्टी के खिलाफ गया तो दूसरी तरफ कांग्रेस के मेनिफेस्टो में 30 लाख नौकरियों के वादे ने युवाओं को कांग्रेस से जोड़ दिया.

सही साबित हुआ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला

इस लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी को सबसे ज्यादा घाटा उत्तर प्रदेश में हुआ है वहीं इसी राज्य में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी बेहतर हुआ है. 80 सीटों वाले इस राज्य में बीजेपी को इस बार 33 सीटें ही मिलीं वहीं कांग्रेस ने 6 सीटों पर कब्जा जमाया है.

बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यूपी में केवल 1 सीट रायबरेली पर जीत मिली थी लेकिन इस बार पार्टी ने 6 सीटों को अपने खाते में डाला है. यहां तक कि अमेठी में भी कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को हरा दिया है.

वोट शेयर में बढ़त का मिला फायदा

कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी तक की मतगणना में 21.92 फीसदी वोट शेयर हासिल किया है. वहीं, 2019 में कांग्रेस को 19.46 फीसदी वोट शेयर मिला था. इस हिसाब से पार्टी ने इस बार करीब 2.5 फीसदी वोट शेयर का इजाफा किया है.

वहीं, बीजेपी को 37.03 फीसदी वोट शेयर मिला है जबकि 2019 में भी पार्टी का वोट शेयर 37.30 फीसदी था. इस तरह पार्टी को .27 फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ है.

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329 सीटों पर कांग्रेस ने उतारे थे उम्मीदवार

इस बार कांग्रेस ने 329 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी जिसमें से सूरत और इंदौर के उम्मीदवारों को हटा दिया जाए तो यह संख्या 327 हो जाती है. दरअसल, सूरत में कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन रद्द हो गया था जबकि इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम ने नामांकन वापस ले लिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे.

चुनावी नतीजों के मुताबिक, बीजेपी सबसे ज्यादा 240 सीटों के साथ पहले नंबर पर है जबकि कांग्रेस के खाते में 99 सीटें आईं. समाजवादी पार्टी 37 सीटों के साथ देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी साबित हुई जबकि टीएमसी 29 सीटों के साथ चौथे और डीएमके 22 सीटों के साथ पांचवें नंबर पर काबिज है.

बता दें, इस बार के नतीजे 1991 के लोकसभा चुनाव जैसे हैं. तब कांग्रेस ने 232 सीटें जीतीं और पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने. उन्होंने पूरे पांच साल अन्य दलों के समर्थन से सरकार चलाई. इस बार भाजपा भी 240 के आसपास है. वही स्थिति अब दोबारा है.

इन राज्यों में बढ़ीं कांग्रेस की सीटें

- महाराष्ट्रः 13 (12 सीटों का फायदा)

- कर्नाटकः 9 (8 सीटों का फायदा)

- राजस्थानः 8 (8 सीटों का फायदा)

- यूपीः 6 (5 सीटों का फायदा)

- तेलंगानाः 8 (5 सीटों का फायदा)

- हरियाणाः 5 (5 सीटों का फायदा)

- बिहारः 3 (2 सीटों का फायदा)

- झारखंडः 2 (1 सीट का फायदा)

- तमिलनाडुः 9 (1 सीट का फायदा)

- गुजरातः 1 सीट (यहां खाता खुला)

- ओडिशाः 1 सीट (पहले जैसा प्रदर्शन)

- असमः 3 सीटें (पहले जैसा प्रदर्शन)

- मणिपुरः 2 सीट

इसके अलावा गोवा, मेघालय, नागालैंड, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में एक-एक सीट कांग्रेस को मिली.

कहां पहुंचा नुकसान

- केरलः 14 (एक सीट का नुकसान)

- पंजाबः 7 (एक सीट का नुकसान)

- छत्तीसगढ़ः 1 सीट (एक सीट का नुकसान)

अब तक के परफॉर्मेंस पर एक नजर

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 421 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि 2014 में 464 सीटों पर और 2009 में पार्टी ने 440 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में थे. वहीं 2004 में पार्टी ने 417 सीटों पर चुनाव लड़ा था. नतीजों की बात करें तो पार्टी ने 2019 में 52 सीटें, 2014 में 44, 2009 में 206 और 2004 में 145 सीटें जीती थीं.

इसके अलावा कांग्रेस ने 2019 में जिन करीब 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था वो 2024 में इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों को दी थीं. पार्टी ने ये सीटें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु में अपने सहयोगियों को दी थीं. ये चार राज्य लोकसभा में 201 सदस्य भेजते हैं. 1989 और 1999 के बीच कांग्रेस ने 450 से ज्यादा सीटों पर पर उम्मीदवार खड़े किये थे.

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