Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 रोज का डोज : तीसरे फेज में बीजेपी की राह के 4 कांटे  

रोज का डोज : तीसरे फेज में बीजेपी की राह के 4 कांटे  

तीसरे फेज के चुनाव में गुजरात से लेकर यूपी तक बीजेपी के लिए कांटे ही कांटे

संतोष कुमार
चुनाव
Updated:
तीसरे फेज के चुनाव में अपनी 62 सीटों को बचा पाएगी बीजेपी?
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तीसरे फेज के चुनाव में अपनी 62 सीटों को बचा पाएगी बीजेपी?
(फोटो: द क्विंट)

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तीसरे फेज के लिए 117 सीटों पर मतदान बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती हैं. इनमें से 62 पर फिलहाल बीजेपी के सांसद हैं. लेकिन तीसरे फेज में चार ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी को पाना नहीं खोना ही खोना है. इन राज्यों में पार्टी अपनी परफॉर्मेंस दोहरा नहीं पाई तो उसके लिए मुश्किल बढ़ेंगी. बीजेपी के लिए दिक्कत ये है कि 2014 के बाद इन राज्यों में हालात बदल चुके हैं,

पहला कांटा - गुजरात

गुजरात का विकास मॉडल दिखा-दिखाकर बीजेपी ने दिल्ली की सल्तनत हासिल कर ली. लेकिन 2014 में जिस गुजरात के विकास मॉडल की झांकी पूरे देश में घुमाई गई, वहां 2017 आते-आते हालात बदल गए. 2014 के आम चुनावों में बीजेपी को गुजरात की 26 की 26 सीटें मिलीं, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों में वो हारते-हारते बची. नौबत ये आ गई कि कांग्रेस और बीजेपी के वोट परसेंटेज में महज 8 फीसदी का अंतर रह गया. बीजेपी ने 99 सीटें जीतीं तो कांग्रेस भी 77 पर कामयाब रही. 16, दिसंबर 2017 को मतगणना के दिन बीजेपी की सांसें थम गई थीं. ऐसे में कम ही उम्मीद है कि बीजेपी को गुजरात में 2014 वाली कामयाबी मिलेगी. बीजेपी के तीन और कांटों के बारे में आगे बताएंगे लेकिन पहले आप जान लीजिए मंगलवार को कहां-कहां वोट पड़ने हैं.

तीसरे फेज में कहां-कहां चुनाव

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दूसरा कांटा - कर्नाटक

आप कर्नाटक में किसी से पूछिए तो बताएगा कि पिछले पांच साल में वहां का मौसम बदल चुका है. 23 अप्रैल को राज्य की जिन 14 सीटों पर चुनाव होने हैं, 2014 में उनमें से 11 पर बीजेपी जीती थी. लेकिन इस बार 14 में 11 सीटें निकालना बीजेपी के बूते की बात नहीं लग रही. पांच साल में सबसे बड़ा बदलाव तो ये हुआ है कि जेडीएस और कांग्रेस साथ आ गए हैं. विधानसभा चुनावों में इन दोनों ने मिलकर सरकार भी बनाई. अगर 2014 आम चुनाव और 2018 विधानसभा चुनाव परिणामों के आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी की कलई खुल जाती है.

2014 में बीजेपी को कर्नाटक में सबसे ज्यादा 43% वोट मिले. कांग्रेस को 41 और जेडीएस को 11 परसेंट वोट मिले. लेकिन अगर कांग्रेस और जेडीएस के वोट परसेंटेज को मिला दें तो ये हो जाता है 52%.

अब आइए 2018 विधानसभा चुनावों पर. इसमें तो वैसे भी कांग्रेस वोट परसेंटेज के  हिसाब से सबसे बड़ी पार्टी रही. लेकिन अगर इसमें जेडीएस के वोटों को भी मिला दें तो ये हो जाता है 56 फीसदी. संदेश साफ है कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन बड़ी ताकत बन गई है.

तीसरा  कांटा - यूपी

तीसरे फेज में यूपी की दस सीटों पर चुनाव होने हैं. इन दस में मैनपुरी, फिरोजाबाद,एटा और बदायूं जैसी सीटें भी हैं, जहां मुलायम की तगड़ी पकड़ है. ऊपर से उनके साथ माया भी आ गई हैं. 2014 में बीजेपी ने इन दस में से 7 सीटों पर कामयाबी पाई थी. लेकिन इस बार एसपी और बीएसपी के गठबंधन के कारण कम ही उम्मीद है कि बीजेपी 2014 जैसी कामयाबी हासिल कर पाएगी.

मैनपुरी रैली में माया-मुलायम की एक मंच पर तस्वीर राज्य की ढेर सारी सीटों की तस्वीर बदलने की ताकत रखती है. 25 साल की दुश्मनी भुलाकर ये दोनों एक साथ आए हैं तो इसके परिणाम दिखने तय हैं.

एक तरफ ये गठबंधन है और दूसरी तरफ योगी सरकार की परफॉर्मेंस. इसमें कोई दो राय नहीं कि योगी सरकार से यूपी के लोगों को शिकायते हैं. उदाहरण देखना है तो यही देख लीजिए कि योगी को अपने गढ़ यानी गोरखपुर में तमाम जुगाड़ करने पड़ रहे हैं

चौथा कांटा - महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में 23 अप्रैल को जिन 14 सीटों पर मतदान होना है, 2014 में उनमें से 9 पर बीजेपी या उसके साथी शिवसेना को जीत मिली थी. सवाल है कि क्या दोनों की जुगलबंदी इस बार भी 9 सीटें जीत पाएगी? उम्मीद कम है. इस बार महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी का तगड़ा गठबंधन हुआ है. ऊपर से राज ठाकरे का गठबंधन के पक्ष में खुलकर आना भी गुल खिला सकता है.

कांटे और भी हैं

तीसरे फेज में केरल की सभी 20 सीटों पर भी वोट पड़ने हैं. पिछली बार कांग्रेस को इनमें से 8 सीटें मिली थीं. केरल और दक्षिण को साधने के लिए राहुल गांधी वायनाड से लड़ रहे हैं. इसका असर कुछ सीटों पर होना तय माना जा रहा है.

ये सच है कि बीजेपी ने इस बार सबरीमाला मुद्दे को खूब हवा दी. लेकिन वो इसे चुनाव में कितना भुना पाएगी, ये अभी देखना बाकी है. वैसे उम्मीद कम ही है कि बीजेपी का केरल में कायाकल्प होने वाला है.

23 अप्रैल को छत्तीसगढ़ की 7 सीटों पर वोट डलने हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जो गत हुई है, अगर पैटर्न वही रहा (जो आमतौर पर होता भी आया है) तो यहां भी बीजेपी के लिए रास्ता आसान नहीं है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 22 Apr 2019,08:43 PM IST

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