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चुनाव आयोग ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के अनुरोध के बाद आचार संहिता के कथित उल्लंघन को लेकर नीति आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय को दी गई क्लीन चिट पर दोबारा विचार करने का फैसला किया है.
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों से पहले गोंदिया, वर्धा और लातूर के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए पीएमओ ने नीति आयोग का दुरुपयोग किया है. पिछले हफ्ते पोल पैनल ने कांग्रेस की इस शिकायत पर कार्रवाई बंद कर दी थी.
पीएम को ये क्लीन चिट चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की आपत्ति के बावजूद दी गई थी.
रिपोर्ट्स के अनुसार, लवासा नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगे जाने के पक्ष में थे. वे जानना चाहते थे कि इस सरकारी थिंक टैंक ने क्या वाकई गोंडिया, वर्धा और लातूर के कलेक्टरों से जानकारी इकट्ठा की और इसका इस्तेमाल पीएम की चुनावी यात्रा के लिए किया गया.
लवासा ने सवाल उठाया था कि बिना सभी तथ्यों की जांच किए इस मामले को कैसे खत्म कर दिया गया. वहीं गुरुवार, 16 मई को अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर खुद को आचार संहिता की सभी बैठकों से अलग रहने के बारे में कहा था.
लवासा की आपत्ति और पत्र के बाद, चुनाव आयोग ने गुरुवार को ही अमिताभ कांत को दूसरा लेटर लिख इस मामले में नीति आयोग की भूमिका को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है.
कांग्रेस ने 1 मई को चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कर पीएमओ पर पीएम मोदी की चुनावी रैली के लिए नीति आयोग का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था. आरोप में कांग्रेस ने कहा था कि पीएमओ ने उन जगहों की जानकारी जुटाने के लिए नीति आयोग का इस्तेमाल किया, जहां पीएम को प्रचार करना था. कांग्रेस ने इसे चुनाव प्रचार में सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन बताया था.
इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए चुनाव आयोग ने अमिताभ कांत से जवाब मांगा था. कांत ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि डेटा रुटीन एक्सरसाइज के रूप में इकट्ठा किया गया है.
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