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गुजरात चुनाव (Gujarat Elections 2022) के दूसरे चरण का मतदान सोमवार, 5 दिसंबर को संपन्न हो गया. इसके साथ ही एक-एक कर सारे एग्जिट पोल (Gujarat Chunav Exit Poll) आ गए. हरेक एग्जिट पोल ने अनुमान लगाया है कि 27 साल सत्ता में रहने के बाद भी बीजेपी का जलवा यहां खत्म नहीं हुआ है और एक बार फिर भगवा पार्टी 120 से अधिक सीट जीतकर सरकार बनाने जा रही है. अगर 8 दिसंबर को आने वाले फाइनल नतीजों में भी यही नजर आता है तो यह पीएम मोदी से इस गृह राज्य में पार्टी के लिए 2017 के पिछले चुनाव से भी बड़ी जीत होगी. तब पार्टी ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
India Today-Axis My India
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के अनुसार, गुजरात में सीटों की संख्या इस प्रकार होने का अनुमान है:
बीजेपी: 129-151, कांग्रेस: 16-30, आप: 9-21, अन्य: 2-6
ABP-CVoter
एबीपी-सीवोटर के अनुसार, गुजरात में सीटों की संख्या इस प्रकार होने का अनुमान है:
बीजेपी: 128-140, कांग्रेस: 31-43, आप: 3-11, अन्य: 2-6
Times Now-ETG
टाइम्स नाउ-ईटीजी के अनुसार, गुजरात में सीटों की संख्या इस प्रकार होने का अनुमान है:
बीजेपी: 139, कांग्रेस: 30, आप: 11, अन्य: 2
Republic-PMARQ
रिपब्लिक-पीएमएआरक्यू के अनुसार, गुजरात में सीटों की संख्या इस प्रकार होने का अनुमान है:
बीजेपी: 128-148, कांग्रेस: 30-42, आप: 2-10
Today's Chanakya
टुडेज चाणक्या के अनुसार, गुजरात में सीटों की संख्या इस प्रकार होने का अनुमान है:
बीजेपी: 150, कांग्रेस: 19, आप: 11, अन्य: 2
गुजरात चुनाव को लेकर एग्जिट पोल्स की ये भविष्यवाणियां न केवल राज्य में लगातार सातवें कार्यकाल के लिए बीजेपी की वापसी पर मुहर लगा रही हैं, बल्कि यह मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कद को मजबूती देने का भी संकेत देती हैं, जिन्होंने पिछले साल इस पद के लिए विजय रूपाणी की जगह ली थी.
इस बीच, सही अर्थों में पहली बार गुजरात में पांव जमाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी को एग्जिट पोल्स के ये नतीजे उम्मीद देते नजर आ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उसके राज्य में प्रमुख विपक्ष बनने की संभावना नहीं है, जैसा कि वो चाह रही थी.
इस सवाल का जवाब जानने के लिए 2017 के नतीजों पर नजर डालते हैं. 2017 में बीजेपी ने 99 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि उसके खाते में 49% वोट आये थे. 77 सीट जीतने वाली कांग्रेस ने भी 41% वोट हासिल किये थे. लेकिन अगर 2022 के एग्जिट पोल को देखें तो कांग्रेस को केवल 30% वोट मिलता दिख रहा है.
अगर AAP के खाते में आते वोट प्रतिशत को देखें तो यह जान पड़ता है कि कांग्रेस का एक बड़ा वोट बैंक कटा और आकर AAP में मिल गया. क्योंकि बीजेपी के सीटों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है, वोट प्रतिशत में नहीं.
अगर इस सवाल का जवाब जानना है तो खुद से सिर्फ इतना सवाल कीजिये कि क्या गुजरात में बीजेपी के सामने कोई विकप्ल खड़ा हो पाया है? जवाब शायद नहीं ही है. 2017 में भले ही पाटीदार आंदोलन ने उसको डेंट दिया था लेकिन इस बार के चुनाव में ये मुद्दा मौजूद नहीं था.
2017 के चुनावों में, इन्होंने बीजेपी को चुनौती दी थी, और तब इन्हें बीजेपी के "राम" (रूपाणी-अमित-मोदी) के खिलाफ प्रमुख विपक्षी कांग्रेस के "हज" (हार्दिक-अल्पेश-जिग्नेश के लिए) के रूप में देखा गया. हालांकि, मौजूदा चुनावों से महीनों पहले, हार्दिक ने बीजेपी में जाने के लिए कांग्रेस छोड़ दी जबकि अल्पेश ने 2019 में ही ये काम कर दिया था.
इसके अलावा भी कई ऐसे मुद्दे रहे जिसको समय रहते बीजेपी ने साध लिया. कोरोना काल में कुप्रबंधन के कारण जब गुजरात के स्थानीय अखबार मरे लोगों की याद में भरे जाने लगे तो लगा कि जनता का गुस्सा चुनाव में फूटेगा. लेकिन चुनाव आते आते यह हवा हो गया और इसका असर नहीं दिखा.
जो पार्टी पिछले 27 साल से सत्ता में हो उसके खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी एक मुद्दा होता है. बीजेपी ने इसका तोड़ निकाला. सीएम बदला और ढेर सारे विधायकों के टिकट काटे. साथ ही मोरबी केबल ब्रिज हादसा उस तरह से चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया जैसा कांग्रेस या आप चाहती थी.
इसके अलावा गुजरात में मोदी फैक्टर बीजेपी का तुरुप का इक्का तो रहा ही है. पीएम मोदी ने इस चुनाव में बीजेपी और उसके उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी और पार्टी को इसका फायदा भी मिलता दिख रहा है.
कांग्रेस का मुकाबला इस बार बीजेपी से नहीं गुजरात में कायदे से पहली बार हाथ आजमा रही आम आदमी पार्टी से दिखा. खुद राहुल गांधी केवल सिर्फ दो सीटों पर प्रचार करने गए, वो भी उन जगहों पर जहां कांग्रेस कमजोर थी-सूरत और राजकोट. जहां एक तरफ बीजेपी की ओर से पीएम मोदी से लेकर तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री गुजरात में डेरा डाले हुए थे वहीं कांग्रेस ने उस व्यक्ति के हाथ में गुजरात की जिम्मेदारी थी, जिनको अपने खुद के राज्य में ही चुनौती मिल रही है. अशोक गहलोत के बारे में कहा गया कि उनपर अब आलाकमान भरोसा नहीं करता.
गुजरात चुनाव के समय ही राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा चल रही थी. पार्टी जब खुद मानती है कि उसके पास संसाधनों की कमी है, तो इस समय संसाधन कहां लगाना चाहिए था, ये कोई भी समझ सकता है. ठीक यही बात आप हिमाचल के लिए कह सकते हैं.
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