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देश में कितनी राष्ट्रीय पार्टियां हैं? 8 तारीख की सुबह 8 बजे तक जवाब था 7. लेकिन आज से देश में जो भी जनरल नॉलेज की किताब छपेगी उसमें इस सवाल का जवाब बदल जाएगा. 10 साल पहले बनी आम आदमी पार्टी अब देश की आठवीं राष्ट्रीय पार्टी के ग्रुप में एंट्री कर चुकी है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं और ये कैसे संभव होगा ये आपको आगे बताएंगे.
फिलहाल दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजों के बाद अब गुजरात (Gujarat) और हिमाचल प्रदेश चुनाव (Himachal Pradesh Election) के नतीजे आ गए हैं. 15 साल से सत्ता में बैठी बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने MCD में बड़ा झटका तो दिया हीं अब गुजरात में भी अपनी राजनीतिक जगह बना ली है. इन सबके बीच सवाल उठता है कि गुजरात, हिमाचल, MCD चुनाव में AAP को क्या, कैसे और क्यों मिला?
इन सवालों के जवाब इतने आसान नहीं है, जितना लोग सोच रहे होंगे. लेकिन इन जवाबों से पहले एक रोचक फैक्ट जान लीजिए.
शाम 4 बजे तक गुजरात में 5 सीटों पर AAP जीतती दिख रही है. इन सीटों पर दूसरे नंबर पर बीजेपी है. यानी AAP जहां जीतती दिख रही है वहां सीधे बीजेपी को ही टक्कर दिया है.
विसवादार सीट (जूनागढ़ जिला)
जाम जोधपुर सीट (जामनगर)
बोटाद (बोटाद जिला)
गरियाधर (भावनगर)
डेडियापाडा (नर्मदा)
गुजरात में आप के मजबूत होने के पीछे सबसे अहम फैक्टर कोई है तो वो है कांग्रेस का कमजोर होना. जिस तरह से गुजरात में चुनाव प्रचार से कांग्रेस नेता राहुल गांधी दूर रहे (राहुल ने सिर्फ सूरत और राजकोट में प्रचार किया), राज्य में कांग्रेस की अंदुरूनी लड़ाई ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और वोटरों पर खासा असर डाला. वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने धर्म, राष्ट्रवाद और फ्री बिजली, पानी, शिक्षा के लुभावने वादे को अपने कैंपेन का हिस्सा बनाया. जिसका फायदा आप को वोट शेयर के हिसाब से तो मिला ही है.
अगर चुनावी आंकड़ों को देखेंगे तो पता लगेगा कि आम आदमी पार्टी ने बीजेपी की नहीं बल्कि कांग्रेस के वोट में सेंध लगाया है.
साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर करीब 43 फीसदी पहुंच गया था. वहीं बीजेपी का वोट शेयर 49.44 फीसदी था. ऐसे में अगर इस चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो फिलहाल कांग्रेस का वोट शेयर 42 से घटकर 28 फीसदी पहुंच गया है, वहीं बीजेपी का वोट शेयर पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़कर 53 फीसदी हो गया है. इन सबसे अलग इस बार आम आदमी पार्टी गुजरात में करीब 13 फीसदी वोट पाती दिख रही है. तो कुल मिलाकर कांग्रेस का 14 फीसदी वोट शेयर कम होना और आप का 13 फीसदी वोट लाना ये तो बता ही रहा है कि कांग्रेस के वोट में बड़ा सेंध आम आदमी पार्टी ने लगाया है.
इसी तरह आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में भी कांग्रेस के वोटरों को अपने पाले में लाया है, लेकिन बीजेपी के वोटरों तक पहुंच बनाने में नाकाम दिखी.
ऊपर हमने कहा था कि आगे बताएंगे कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय पार्टी बनने की बात हम क्यों कह रहे हैं और ये कैसे संभव है. तो आपको बता दें कि गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन अब इसे राष्ट्रीय पार्टी के लिए योग्य बना देगा क्योंकि गुजरात चौथा राज्य होगा जहां आप को राज्य की पार्टी का दर्जा मिल सकता है. इसके लिए आपको छह प्रतिशत वोट शेयर हासिल करने और दो सीटें जीतने की आवश्यकता थी. जोकि अब करीब-करीब हो गया है. अरविंद केजरीवाल की आप पहले से ही पंजाब, दिल्ली और गोवा में एक राज्य की पार्टी है और राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए एक और राज्य में बेहतर परफॉर्मेंस की जरूरत थी जिसकी कसर गुजरात ने पूरी कर दी है.
हिमाचल प्रदेश में अब तक मिले सभी 68 सीटों के रुझान और नतीजों में आम आदमी पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया है. जबकि हिमाचल में 3 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. हिमाचल में आप का हाल ये है कि अबतक सिर्फ 1.10 फीसदी वोट मिले हैं.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी पहली बार चुनावी मैदान में उतरी थी, चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे किए, जैसे कि- बेरोजगार युवाओं को 3000 रुपये हर महीना बेरोजगारी भत्ता, 5 साल में 6 लाख सरकारी नौकरी.
ऐसे में आम आदमी पार्टी ने वक्त से पहले ही अपने हालात को भांप लिया था, चुनाव प्रचार भी गुजरात की तरह आक्रामक नहीं दिखा, न ही किसी बड़े नेता ने वहां गुजरात की तरह कैंप किया. हार का अंदाजा आम आदमी पार्टी को पहले ही हो गया था इसलिए वक्त रहते अपनी पूरी ताकत दिल्ली नगर निगम चुनाव और गुजरात में लगा दी.
एमसीडी चुनाव 2022 में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला है. 250 में से 134 सीटों पर जीत. जिस आम आदमी पार्टी को 2017 में MCD चुनाव में 26% वोट मिले थे उसे इस बार 42% वोट मिले.
कुल मिलाकर साफ है अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के 'हाथ' को कमजोर किया है, बीजेपी को चैलेंज तो किया है लेकिन अभी भी बीजेपी के वोट में सेंध लगा पाने में नाकाम रहे हैं. अब 2024 लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी और मुख्य विपक्षी नेता के दावेदारों की लिस्ट में केजरीवाल और आप का नाम शामिल तो दिखता है, लेकिन केजरीवाल के लिए अभी 'दिल्ली दूर है' .
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