मेंबर्स के लिए
lock close icon

हारे को हरिनाम, अब हर'दा' को क्या काम

बीजेपी की जीत से ज्यादा चर्चा है कांग्रेस दिग्गज नेता हरीश रावत के नैनीताल की लालकुआं सीट से हारने की

क्विंट हिंदी
चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>उत्तराखंड कांग्रेस, हरीश रावत हारे</p></div>
i

उत्तराखंड कांग्रेस, हरीश रावत हारे

फोटो- AlteredbyQuint

advertisement

उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों के चुनाव परिणाम (Uttarakhand Election 2022 results) में बीजेपी की धुंआधार जीत से ज्यादा चर्चा हो रही है कांग्रेस महासचिव और प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत के नैनीताल की लालकुआं सीट से हारने की. उन्हें बीजेपी के डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने बड़े अंतर से हराया है. इस हार के बा हरीश रावत यानी हर'दा' के पॉलिटिकल करियर को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं.

एक कहावत है कि हारे को हरिनाम, अर्थात जो हार जाए तो उसे संन्यास लेकर भगवान का भजन जपना चाहिए. पर हरीश रावत तो बार-बार हार रहे हैं. इससे पहले वह लोकसभा चुनाव में भी अपनी सीट हार गए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दो विधानसभा सीटों से उतारा, लेकिन यहां भी उनकी हार हुई. अब कहा जा सकता है कि इस हार से हर'दा' के करियर पर लगाम लगना तय है.

पार्टी में गुटबाजी का उठाना पड़ा नुकसान

72 वर्षीय पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत 5 बार सांसद रहे हैं, साल 2014 से 2017 के बीच वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे और साल 2012 से 2014 के बीच तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे. उन्हें उत्तराखंड में पॉपुलर चेहरे के तौर पर देखा जाता है और ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी का उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है.

कांग्रेस में गुटबाजी का फायदा बीजेपी को मिला. हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रीतम सिंह के बीच कोल्डवॉर चलती रही. कहा गया कि सीएम चेहरा घोषित न किए जाने से भी हरीश रावत नाराज थे. राहुल गांधी ने हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया, लेकिन उन्हें CM चेहरा घोषित नहीं किया. ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव में कांग्रेस को इस वजह से भी सात-आठ सीटों का नुकसान हुआ है. वहीं कांग्रेस अपनी ही पार्टी के अंदर गुटबाजी की वजह से सत्ता विरोधी रुझान का पूरा फायदा नहीं उठा पाई.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सीएम फेस थे हरीश रावत

हरीश रावत को उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के सीएम फेस के रूप में देखा जा रहा था. कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से अपने सीएम प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया, लेकिन चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने कई बार खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया.

वो लगातार ये मांग भी करते रहे कि कांग्रेस को राज्य में अपने सीएम उम्मीदवार के नाम का एलान कर देना चाहिए, पर उन्हें इसमें पार्टी के किसी बड़े नेता का समर्थन नहीं मिला. उन्होंने यह भी कहा था कि सीएम के अलावा सरकार में उनकी कोई और भूमिका नहीं हो सकती.

कांग्रेस ने पहले हरीश रावत को रामनगर सीट से उम्मीदवार बनाया था. बाद में उनकी सीट बदल कर नैनीताल की लालकुआं सीट कर दी गई, लेकिन इस सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT