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जाट बहुल राज्य हरियाणा दशकों से वंशवादी राजनीति के लिए मशहूर रहा है. यहां से चौटाला, बिश्नोई, बंसी लाल और हुड्डा जैसे दिग्गज राजनीतिक परिवार हर बार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाते आ रहे हैं. इस बार भी इन्हीं परिवारों से चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे, पोते और परपोते अपनी किस्मत आजमाने चुनावी मैदान में उतरे हैं.
कांग्रेस ने भिवानी-महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से बंसीलाल की पोत्री श्रुति चौधरी को मैदान में उतारा है. श्रुति चौधरी की मां, किरण चौधरी, भिवानी के तोशाम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं. भजनलाल के पोते और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई हिसार से पार्टी उम्मीदवार हैं. भिवानी-महेंद्रगढ़ निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व सांसद चौधरी ने कहा, ''राजनीतिक परिवार से आने वाले लोगों को बाकी के मुकाबला ज्यादा फायदा होता है क्योंकि उनके परिवार की पहले से गुडविल होती है. लेकिन आजकल वोटर इन बातों को इतना तवज्जों नहीं देते. वो हमारे राजवंशों में रुचि नहीं रखते हैं लेकिन काम बोलता है. ”
पिछले साल चौटाला परिवार में विवाद के कारण बंटवारा हो गया और राजनीति में शामिल पोतों ने अलग-अलग राह पकड़ ली. शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को जेल होने के कारण, उनके बेटे अजय चौटाला ने इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) से नाता तोड़ लिया और एक नई पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठन किया. जेजेपी ने ने बाद में राज्य में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया.
गठबंधन ने हिसार-सोनीपत से दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला को चुनावी मैदान में उतारा है. कुरुक्षेत्र सीट से INLD के उम्मीदवार अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला हैं.
हिसार, हरियाणा का इंडस्ट्रियल हब और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है. दिग्विजय चौटाला और भावना बिश्नोई प्रमुख किसान नेता छोटू राम के बड़े पोते और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह के खिलाफ खड़े हैं.
हरियाणा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और करनाल से कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप शर्मा भी अपनी पारिवारिक विरासत को बरकरार रखने के लिए चुनावी मैदान में हैं. करनाल सीट को उनके दिवंगत पिता चिरंजी लाल ने लगातार चार बार चुनाव जीता, तीन बार बीजेपी के बड़े नेता सुषमा स्वराज को हराया.
इनके अलावा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हुड्डा पिता-पुत्र की जोड़ी है, जो सोनीपत सीट से चुनाव लड़ रही है और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से चुनाव लड़ रहे हैं. हुड्डा के बेटे, जो रोहतक निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं, 2014 के लोकसभा चुनावों में जीतने के लिए कांग्रेस के एकमात्र उम्मीदवार थे.
हालांकि, हुड्डा को वंशवाद की राजनीति से कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा, "अगर लोग कई बार हमारे लिए मतदान करते हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें हम पर भरोसा है. इससे क्या समस्या है?" दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, "हमारे पास परिवार की विरासत को बनाए रखने के लिए है, लेकिन पूरे हरियाणा को पता है कि राज्य में दशकों से हमने कैसा काम किया है. अगर एक परिवार की पीढ़ियों को जनता के लिए काम करने के लिए समर्पित किया जाता है, तो नुकसान क्या है? "
रोहतक, सिरसा, सोनीपत, हिसार, गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी-महेंद्रगढ़, कुरुक्षेत्र, करनाल और अंबाला समेत 10 हरियाणा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान 10 मई को होना है.
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Published: 28 Apr 2019,08:13 PM IST