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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण में शनिवार, 25 मई को वोट डाले गए. इस चरण में 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 58 सीटों पर जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इनमें हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें भी शामिल थीं जिसपर एक चरण में ही वोट डाले गए.
पांच साल पहले सत्ताधारी बीजेपी ने सुबे की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिनमें से 8 पर पार्टी को बंपर जीत मिली थी. लेकिन इस बार कहानी का प्लॉट अलग है. बीजेपी को अपनी सीटें बरकरार रखने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
चलिए बताते हैं कि हरियाणा की 10 सीटों पर कितनी वोटिंग हुई और पिछले 2 लोकसभा चुनावों के मुकाबले यह आंकड़ा कम हुआ है या बढ़ा है? हरियाणा का सियासी समीकरण क्या कहता है?
हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं. चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार शाम 6 बजे तक इन सीटों पर कुल 58.5% वोटिंग हुई है. हालांकि ये आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है. वहीं:
अंबाला: 62.2%
भिवानी-महेंद्रगढ़: 57.2%
फरीदाबाद: 55.6%
गुरूग्राम: 53.3%
हिसार: 61.4%
करनाल: 59.5%
कुरूक्षेत्र: 61.3%
रोहतक: 58.4%
सिरसा: 60.2%
सोनीपत: 56.5%
वोटिंग खत्म होने के साथ 223 उम्मीदवारों की किस्मत जनता ने ईवीएम में बंद कर दी है. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर समेत दो केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा मैदान में हैं. कुल उम्मीदवार में 207 पुरुष और 16 महिलाएं शामिल हैं.
इसके अलावा करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भी मतदान हुआ, जहां मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मैदान में हैं. मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के कारण इस सीट पर उपचुनाव जरूरी हो गया था.
इन 10 में से 9 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा एक-दूसरे से मुकाबला है. वहीं कुरूक्षेत्र में, कांग्रेस की सहयोगी आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार इंडिया ब्लॉक का उम्मीदवार है. यहां INLD के अभय चौटाला के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
पांच साल पहले, बीजेपी ने हरियाणा में क्लीन स्वीप किया था और सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. यदि कांग्रेस इसबार सेंध लगाने में कामयाब होती है, तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी.
2019 के आम चुनाव में हरियाणा की सिर्फ 2 ऐसी सीट रहीं जहां कांग्रेस मुकाबले में दिखी थी- रोहतक और सोनीपत. रोहतक में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा फिर से मैदान में हैं. हुड्डा परिवार के इस गढ़ में दीपेंद्र हुड्डा को 2019 में बीजेपी के अरविंद शर्मा से 7,503 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं सीनियर हुड्डा, भूपेंद्र सोनीपत में बीजेपी के रमेश चंद्र कौशिक से 1.64 लाख वोटों से हार गए.
2019 से पहले, कांग्रेस को हरियाणा में दो बार लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा था - इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में और 1999 में, जब बीजेपी केंद्र में सत्ता में आई थी. कांग्रेस के लिए सबसे अच्छे साल 2004 और 2009 थे, जब उसने चुनावों में 10 लोकसभा सीटों में से नौ सीटें जीतीं और केंद्र में यूपीए की सरकार बनी.
केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद से, सूबे में बीजेपी का दबदबा रहा है. 2014 में हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से सात पर जीत हासिल की. उसके बाद 2019 में सभी सीटें जीत गईं.
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