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लोकसभा चुनाव 2019 के जिन नतीजों ने हर किसी को चौंकने पर मजबूर कर दिया है, उनमें से एक अमेठी की सीट का नतीजा भी है. इस सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल को हराकर बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने जीत दर्ज की है.
अमेठी के जनादेश ने गांधी परिवार से अपना 39 साल पुराना रिश्ता तोड़ लिया है. कहा जाता है कि यह एक ऐसा रिश्ता था, जो बहुत हद तक भावनाओं से भरा हुआ था. ऐसे में स्मृति ईरानी की जीत और राहुल गांधी की हार सिर्फ चुनावी लड़ाई का नतीजा नहीं है, यह उससे कहीं ज्यादा है.
जगदीशपुर के एक व्यवसायी बेचू खान ने इस नतीजे के बारे में न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, "अमेठी में एक पीढ़ीगत बदलाव देखा जा रहा है. नई पीढ़ी के पास भावनाओं के लिए बहुत कम जगह है और वह अपने भविष्य के बारे में ज्यादा चिंतित है, जो उसने स्मृति ईरानी और बीजेपी में देखा है." इसके साथ ही उन्होंने कहा, "इस नई पीढ़ी ने राजीव गांधी का स्थानीय लोगों से जुड़ाव नहीं देखा है. उन्होंने यह नहीं देखा कि संजय गांधी ने अमेठी को कैसे खास बनाया. इसलिए उनका गांधी परिवार के साथ भावनात्मक रिश्ता नहीं है."
स्थानीय लोगों का कहना है स्मृति ईरानी को चुनने में मुख्य भूमिका युवा वोटरों ने निभाई है. मुसाफिरखाना से कांग्रेस कार्यकर्ता राम सेवक ने कहा, "वह (ईरानी) उनके पास पहुंचीं, उन्हें छात्रवृत्ति, नौकरी आदि दिलाने में मदद की. युवाओं को अपने भविष्य के लिए एक नई उम्मीद दिखाई दी. स्थानीय बीजेपी नेताओं ने स्मृति ईरानी और लोगों के बीच एक पुल का काम किया."
साल 2014 में स्मृति ईरानी अमेठी सीट पर एक लाख से ज्यादा वोटों से हारी थीं. हालांकि इसके बाद भी वह इस क्षेत्र का नियमित तौर पर दौरा करती रहीं. इस दौरान उन्होंने कई बार राहुल गांधी की 'गैर-मौजूदगी' की तरफ इशारा किया. बताया जाता है कि दिल्ली में भी अमेठी के लोग ईरानी तक आसानी से पहुंच सकते थे.
अमेठी की जीत बीजेपी के लिए कितनी बड़ी है, स्मृति ईरानी के एक ट्वीट से ही इस बात का पता चल जाता है. दरअसल अमेठी सीट जीतने के बाद स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर लिखा, ''कौन कहता है आसमां में सूराख नहीं हो सकता.''
दूसरी तरफ राहुल गांधी ने सहजता के साथ अपनी हार स्वीकार की है. उन्होंने कहा, ''मैं इस फैसले का सम्मान करता हूं और स्मृति जी को बधाई देता हूं.''
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Published: 23 May 2019,08:37 PM IST