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जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के हारने की काफी चर्चा हुई. इनमें से एक थे उत्तराखंड में सीएम का चेहरा रहे पुष्कर धामी (Pushkar Singh Dhami) और दूसरे यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya). दाेनों के हारने पर उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे थे. धामी को तो बीजेपी ने चुनाव हारने के बाद भी सीएम की उनकी पुरानी हस्ती लौटा दी, अब केवल इस बात पर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या केशव प्रसाद मौर्या केा पार्टी डिप्टी सीएम की कुर्सी फिर से सौंपेगी. तो इस बात का जवाब यह है कि धामी फॉर्मूला यूपी में भी अपनाया जा सकता है और केशव मौर्या को चुनाव हारने के बावजूद डिप्टी सीएम की कुर्सी पर फिर से बैठाया जा सकता है.
केशव प्रसाद को विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद बीजेपी क्यों फिर से डिप्टी सीएम के पद से नवाजेगी, इसकी वजह है राज्य में फैला ओबीसी वर्ग का बड़ा वोट बैंक और आने वाले लोकसभा चुनावों में इस वोट बैंक की जरूरत. बीजेपी केशव को नजर अंदाज करके ओबीसी वर्ग केा नाराज करने और सपा व अन्य विपक्षी दलों को आरोप लगाने का कोई मौका नहीं देना चाहती. बीजेपी थिंकटैंक यूपी में पहले ही उन्हें पिछड़ी जाति के अग्रिम नेता के रूप में आगे ला चुका है.
केशव प्रसाद मौर्या का चुनाव हारने का मामला धामी जितना बड़ा नहीं है, क्योंकि वह एमएलए का चुनाव हारे हैं, पर वे अभी विधान परिषद सदस्य हैं. ऐसे में केशव को योगी सरकार में जगह मिलने में सीधे तौर पर कोई परेशानी नहीं दिखती. बीच में उनको बीजेपी की राष्ट्रीय टीम में जिम्मेदारी देने की बात भी सामने आई थी, पर दिल्ली में बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने हमें इस बात के संकेत दिए हैं कि थिंकटैंक केशव को संगठन में ले जाने पर नहीं बल्कि सत्ता में ही नंबर 2 पोजिशन पर ही रखने पर विचार कर रहा है.
2017 में जब बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर प्रचंड जीत हासिल की तो केशव मौर्य का नाम उस समय बतौर सीएम आगे चल रहा था, लेकिन तब संघ ने पहली मुहर योगी आदित्यनाथ के नाम पर लगाई. चूंकि केशव संघ की पृष्ठभूमि से ही आगे आए हैं और वह विश्व हिंदू परिषद से भी काफी समय तक जुड़े रहे तो उन्हें संघ के आदेश केा मानना पड़ा. उस समय संघ के इस आदेश के कारण ही मौर्या सीएम बनते बनते रह गए और इस बार वही संघ उनकी उनकी डिप्टी सीएम पद पर दुबारा ताजपोशी की सबसे मजबूत पैरवी कर रहा है.
इसके अलावा बीजेपी सूत्रों से यूपी की सत्ता-संगठन को लेकर भी कुछ अन्य संकेत मिल रहे हैं. यूपी बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह अब सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किए जा सकते हैं. उनकी जगह पर दिनेश शर्मा को नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दी जा सकती है. ब्राह्मण वर्ग के वोट बैंक को संतुलित रखने दिनेश को यह पद दिया जाएगा.
यह सुगबुगाहट है कि बीजेपी नेतृत्व उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को भी सत्ता में बड़ा पद देने की सोच रहा है. इसका कारण भी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए वोटबैंक को स्ट्रांग करना है. बेबी रानी राज्य की प्रमुख दलित नेता हैं. वह जाटव समुदाय से आती हैं और बीजेपी उनके जरिए मायावती के प्रति लॉयल जाटव वोट बैंक को हमेशा के लिए अपनी तरफ खींच लेना चाहती है. प्रदेश में इस बार महिलाओं ने भी बीजेपी को थोक में वोट दिए हैं तो बीजेपी एक महिला को बड़ा देकर महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक संदेश देना चाहती है.
सूत्र इस ओर भी इशारा कर रहे हैं कि आगामी लोकसभा के शक्ति संतुलनों केा देखते हुए बीजेपी राज्य में तीसरे डिप्टी सीएम की कुर्सी भी शपथ ग्रहण के डायस पर लगवा सकती है. 24 मार्च को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ चर्चा में इन सभी निर्णयों पर मुहर लगाई जा सकती है.
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Published: 23 Mar 2022,09:13 PM IST