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Karnataka CM Siddaramaiah: कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया ने नाम पर किसी भी समय मुहर लग सकती है. जबकि अंतिम निर्णय अभी भी लंबित है, 80 से अधिक विधायकों ने सिद्धारमैया का समर्थन किया है, द क्विंट को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के स्रोत से पता चला है.
बता दें कि कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में 135 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत अपने नाम किया था. नतीजे आने के बाद ही सबकी जुबान पर एक ही सवाल था- कांग्रेस आलाकमान अगले मुख्यमंत्री के नाम के लिए किसका नाम फाइनल करेगा- अनुभवी सिद्धारमैया या कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख डीके शिवकुमार. कांग्रेस के विधायक दल ने इसका फैसला पार्टी अध्यक्ष मल्लिकर्जुन खड़गे के ऊपर छोड़ दिया था.
हालांकि, सोमवार को ऑफ द रिकॉर्ड बात करते हुए, सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार खेमे के सदस्यों ने, अपने नेताओं के लिए बड़ी संख्या में विधायकों के समर्थन का दावा किया. कर्नाटक में सिद्धारमैया खेमे के एक सूत्र ने दावा किया कि कुल 109 विधायकों ने उनका समर्थन किया है. जबकि शिवकुमार खेमा 75 विधायकों के समर्थन का दावा करता रहा है. अंत में, ऐसा लगता है कि सिद्धारमैया ने नवनिर्वाचित विधायकों के बहुमत का समर्थन जुटा लिया है.
सिद्धारमैया के पक्ष में यह फैक्टर रहा है कि उन्हें एक जन नेता के रूप में पहचाना जाता है, जिसे कर्नाटक की आबादी के अधिकांश वर्गों द्वारा स्वीकार किया जाता है. इसके अलावा, उनके पास प्रशासनिक अनुभव है क्योंकि वह 2013 और 2018 के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे. डीके शिवकुमार के डिफेंस में, पार्टी नेताओं ने कहा कि शिवकुमार 2020 में केपीसीसी की बागडोर संभालने के बाद से कर्नाटक के सबसे मजबूत कांग्रेस नेताओं में से एक रहे हैं. और पार्टी की किस्मत बदलने में मदद की है.
माना जा रहा है कि शिवकुमार के पास कई पहली बार जीत हासिल करने वाले विधायकों का समर्थन है.
एक वरिष्ठ नेता ने द क्विंट को बताया, “सिद्धारमैया को ज्यादातर विधायकों का समर्थन हासिल है. इसके अलावा, कर्नाटक वर्तमान में सबसे खराब वित्तीय स्थिति में है क्योंकि पिछली सरकार ने राज्य को कर्ज में डुबो दिया था. घर को व्यवस्थित करने के लिए एक अनुभवी हाथ की आवश्यकता होती है.
इससे पहले आज, 15 मई को दिन में संकेत मिले थे कि संतुलन सिद्धारमैया के पक्ष में जा सकता है, क्योंकि 75 सिद्धारमैया वर्षीय कांग्रेस नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली आये थे. जबकि डीके शिवकुमार, खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बेंगलुरु में वापस आ गए थे.
इस चुनाव में सिद्धारमैया की सबसे बड़ी ताकत यह थी कि जब नतीजे आए तो अहिंदा या दलित, बहुजन और अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस के पक्ष में आ गए. सिद्धारमैया एक कुरुबा (ओबीसी) नेता हैं, जो सामाजिक न्याय के मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि, डीके शिवकुमार खेमा दावा करता रहा है कि वाम-दलितों और 'स्पृश्य' दलितों के वोटों को कांग्रेस में जोड़ने का श्रेय केपीसीसी अध्यक्ष शिवकुमार को जाता है.
कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा कि जल्द ही एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा इसकी औपचारिक रूप से फैसला सुनाने की उम्मीद है कि किसे कर्नाटक का प्रभार दिया जाएगा.
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