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कश्मीर की बात छिड़ते ही फौज, आतंकवादी, एनकाउंटर या पत्थरबाज जैसे शब्द जहन में आते हैं. लेकिन घाटी के उस तनावग्रस्त माहौल में एक युवा अपनी बात अलग अंदाज में कहता है. उसका नाम है मुअज्जम भट्ट. उम्र-25 साल, पेशा- एक्टर, लेखक और रैपर.
मुअज्जम ‘कॉन्शयस रैप’ लिखते हैं. यानी वो रैप जिसमें शराब, पार्टी या नाच-गाने की नहीं बल्कि समाज के हालात या जिंदगी के फलसफे की बात कही जाती है. मुअज्जम कहते हैं,
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कश्मीर में फौज भारी तादाद में मौजूद है. लेकिन लोगों की दिलचस्पी चुनावों में नहीं दिखती.
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर में फौज की कार्रवाई बढ़ी है. आर्टिकल-370 और 35A को हटाने की बातें हो रही हैं. लेकिन मुअज्जम इस सख्ती को सही नहीं मानते.
मुअज्जम के रैप में कश्मीरियों का दर्द छलकता है-
संजीदा ये हालत है, अपनी रियासत की
पुलिस की बेरहमी ,गंदी सियासत भी
जगह ये इबादत की
थी दिलों में शफकत
ये वादी रूहानी थी
अब तो बस नफरत और मौसम तूफानी है
खून की रवानी और जाया जवानी है
हम सब जवानों की कितनी कुर्बानी है
दरकार ये सरकार भी बन कर बेगानी है
बैठी हुई जैसे एकदम अनजानी है
इन सब हालात से नाकाम ये हुक्मरान है
झूठे ये इंसान हैं मौत पे भी खामोश
तो कैसे शैतान है ये सोचो और देखो
इन कातिलों को रोको
जो खिदमत के नाम पे ये करते मजाक है
क्या किस्मत में अपनी ये लिखे अजाब है
पर खुद भी तो हम धोखेबाजी में शामिल हैं
क्या सच में हम लोग आजादी के काबिल हैं
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Published: 17 Apr 2019,07:03 PM IST