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स्टालिन ने केसीआर से मुलाकात में कहा - कांग्रेस के साथ आ जाइए  

तीसरे मोर्चे की पहले लेकर स्टालिन के पास पहुंचे थे केसीआर

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चुनाव
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डीएमके चीफ स्टालिन से मिलने पहुंचे केसीआर
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डीएमके चीफ स्टालिन से मिलने पहुंचे केसीआर
(फोटोः PTI)

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तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिशों को झटका लगा है. केसीआर पिछले कई दिनों से गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेसी मोर्चा बनाने की कोशिशों में जुटे हैं. इसी सिलसिले में उन्होंने सोमवार को डीएके प्रमुख एम के स्टालिन से मुलाकात की. लेकिन मुलाकात का नतीजा उम्मीद से उलट रहा.

यूपीए के सहयोगी स्टालिन ने केसीआर को कांग्रेस को ही समर्थन देने को कहा. बता दें, स्टालिन दो बार राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने की पैरवी कर चुके हैं.

राव पर उल्टा पड़ गया दांव

डीएमके सूत्रों ने कहा कि क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने के अपने प्रयासों को जारी रखते हुए केसीआर ने स्टालिन से उनके आवास पर मुलाकात की और उनके साथ संघीय मोर्चे के प्रस्ताव पर चर्चा की.

करीब एक घंटे से ज्यादा चली बैठक में स्टालिन ने राव को बताया कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन में थी और उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी का नाम भी लिया था. डीएमके के सूत्रों ने बताया कि स्टालिन ने राव से केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने की अपील की.

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तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयास में जुटे हैं केसीआर

केसीआर ने कुछ ही दिन पहले केरल के सीएम पिनराई विजयन से मुलाकात की थी. केसीआर ने पिनराई से कहा था कि चुनाव नतीजों में क्षेत्रीय दल बड़ी शक्ति बनकर उभरेंगे और केंद्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के पास पर्याप्त संख्या नहीं होगी.

ऐसी स्थिति में, टीआरएस प्रमुख ने डीएमके अध्यक्ष से कहा कि केंद्र में क्षेत्रीय दलों से मिलकर बने तीसरे मोर्चे की सरकार "राष्ट्रीय दलों" के समर्थन से बन सकती है. डीएमके सूत्रों ने बताया कि क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट करने की अपनी कवायद जारी रखते हुए केसीआर ने स्टालिन के अलवरपेट स्थित आवास पर उनसे मुलाकात की और संघीय मोर्चा बनाने को लेकर चर्चा की.

सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं ने 23 मई को लोकसभा चुनावों के नतीजों के ऐलान के बाद राष्ट्रीय स्तर पर पैदा होने वाली राजनीतिक स्थिति को लेकर चर्चा की. डीएमके ने इसे ‘‘शिष्टाचार भेंट’’ करार दिया, जबकि केसीआर ने पत्रकारों से कोई बात नहीं की.

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