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मोदी की दोबारा सत्ता में वापसी के रास्ते की 5 सबसे बड़ी अड़चनें

इन पांच राज्यों में बीजेपी को नहीं मिला समर्थन, तो मोदी की सत्ता में वापसी होगी मुश्किल 

अंशुल तिवारी
चुनाव
Published:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
(फोटोः IANS)

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पीएम मोदी की दोबारा ताजपोशी के रास्ते में 5 राज्य रुकावट बन सकते हैं. नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ विपक्ष भी ये बात अच्छी तरह जानता है.

543 सदस्यों वाली लोकसभा में इन 5 राज्यों की करीब आधी यानी 249 सदस्यों की हिस्सेदारी है. पिछली बार (2014) यहीं से शानदार प्रदर्शन के दम पर बीजेपी ने बहुमत हासिल कर लिया था. पर तब से अब तक गंगा में बहुत पानी बह गया है.

2014 के चुनाव में BJP को इन राज्यों से मिली थीं 188 सीट

2014 में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने मिलकर इन पांच राज्यों में से तीन में जबरदस्त प्रदर्शन किया था. अकेले बीजेपी ने भी अपने दम पर जलवे दिखाए थे, जरा आंकड़े देखिए

2014 लोकसभा में बीजेपी की जीत

  • उत्तर प्रदेश की 80 में 71 जीतीं
  • महाराष्ट्र की 48 में 23 जीतीं
  • पश्चिम बंगाल की 42 में 2 जीतीं
  • बिहार की 40 में 22 जीतीं
  • तमिलनाडु की 39 में 1 सीट जीती

एनडीए और उसके सहयोगी दलों ने पिछली बार इन पांच राज्यों की कुल 249 सीटों में से तीन-चौथाई यानी 188 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि बाकी की 61 सीटों पर कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, एनसीपी जैसे दलों ने जीत दर्ज कराई थी.

लेकिन इस बार विपक्ष भी कमर कसे हुए तैयार दिख रहा है.

1. उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में बीजेपी और सहयोगियों ने 73 सीटें जीतीं थीं. इनमें से बीजेपी ने 71 और दो सीटों पर उसके सहयोगी दलों ने जीत हासिल की थी.

मायावती और अखिलेश यादव(फोटोः @SamajwadiParty)

इस बार बीजेपी के मुकाबले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन है और ये नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मिले वोट को जोड़ दें तो सूबे की 41 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी इनसे काफी पीछे थी. अगर उत्तर प्रदेश इस पैटर्न पर वोट करता है तो बीजेपी को सबसे बड़ा झटका यहीं से लगेगा.

2. महाराष्ट्र

लोकसभा सीटों की संख्या के लिहाज से महाराष्ट्र दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं. साल 2014 में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन किया था. यहां बीजेपी ने 23 और शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी.

यहां कांग्रेस को 2 और एनसीपी को 4 सीटें मिलीं थीं. इसके अलावा एक सीट पर राजू शेट्टी की स्वाभिमानी पक्ष ने जीत हासिल की थी.

बीजेपी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भी अपनी सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में गठबंधन कर चुकी है.

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3. पश्चिम बंगाल

उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद पश्चिम बंगाल तीसरा सबसे महत्वपूर्ण राज्य है. पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार है.

पिछली बार बीजेपी को यहां से सिर्फ 1 सीट मिली थी. लेकिन बीजेपी चाहती है कि उत्तर प्रदेश और बाकी जगह से होने वाले नुकसान की भरपाई यहां से की जाए.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(फोटोः IANS)

पिछले लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने 42 सीटों में से 34 पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस को 4 और सीपीआईएम को दो-दो सीटें मिली थीं.

4. बिहार

लोकसभा सीटों के लिहाज से बिहार चौथे नंबर पर है. बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के पुराने सहयोगी नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे. इसके बावजूद बीजेपी ने बिहार में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था.

बिहार से एनडीए को 31 सीटें मिली थीं, जिनमें बीजेपी की 22, एलजेपी की 6 और आरएलएसपी की 3 सीटें शामिल थीं. इस चुनाव में नीतीश कुमार की जेडीयू खाता भी नहीं खोल पाई थी. वहीं यूपीए के खाते में कुल सात सीटें आईं थीं, जिनमें आरजेडी को 4, कांग्रेस को दो और एनसीपी को एक सीट मिली थी.

(फोटोः PTI)

लोकसभा चुनाव 2019 के नजरिए से देखें तो बिहार पहला राज्य है, जहां बीजेपी ने चुनाव से पहले एनडीए के पुराने सहयोगी नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया है.

हालांकि, इस बार एनडीए को बिहार में मजबूत गठबंधन का सामना करना पड़ेगा. इस गठबंधन में कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी के अलावा उपेंद्र कुशवाह की आरएलएसपी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा शामिल है.

5. तमिलनाडु

दक्षिणी राज्य तमिलनाडु किसी भी पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यूपी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार के बाद, सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें तमिलनाडु में ही हैं. तमिलनाडु से 39 लोकसभा सदस्य चुनकर संसद पहुंचते हैं. हालांकि, 1967 के बाद से तमिलनाडु में ज्यादातर समय दो क्षेत्रीय दलों - AIADMK और DMK का शासन रहा है, जिससे कांग्रेस और बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के लिए तमिलनाडु में पैठ बनाना मुश्किल हो गया है.

(फोटोः PTI)

पिछले लोकसभा चुनाव में, बीजेपी तमिलनाडु में केवल एक सीट ही जीत सकी थी. हालांकि, बीजेपी की सहयोगी AIADMK ने जयललिता के नेतृत्व में तमिलनाडु में क्लीन स्वीप कर दिया था. जयललिता की दिसंबर 2016 में मृत्यु हो गई थी.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में AIADMK ने 37 सीटें जीतीं थीं, जबकि बीजेपी और PMK को एक-एक सीट मिली थी. डीएमके और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल पिछले लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे.

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