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खट्टर-हुड्डा-चौटाला, हरियाणा में इनके बीच है ‘करो या मरो’ की लड़ाई

वंशवाद के चलते हिसार सीट बन गई है हरियाणा की हॉट सीट

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चुनाव
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वंशवाद के चलते हिसार सीट है बन गई है हरियाणा की हॉट सीट
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वंशवाद के चलते हिसार सीट है बन गई है हरियाणा की हॉट सीट
(फोटो: Altered By Quint Hindi)

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भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाले हरियाणा में लोकसभा चुनाव के छठे चरण में सभी 10 सीटों पर 12 मई को वोट डाले जाएंगे. हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौटाला परिवार के लिए ‘करो या मरो’ की लड़ाई जैसी स्थिति हो गई है. बीजेपी, कांग्रेस और ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ये तीन मुख्य पार्टियां हैं, जिनके बीच चुनावी लड़ाई है.

सबसे पहले बात चौटालाओं और हिसार सीट की

इस बार हरियाणा, विधानसभा चुनाव से पहले रोमांचक मुकाबले का साक्षी बन रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला के पोते अर्जुन और उनसे अलग हुए दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत कर रहे हैं. अर्जुन और दिग्विजय चौटाला क्रमश: कुरुक्षेत्र और सोनीपत सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. अर्जुन चौटाला, आईएनएलडी की टिकट से और दिग्विजय नई बनी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से उम्मीदवार हैं. जेजेपी, इनेलो से अलग होकर बनी है.

हिसार सीट वंशवाद की त्रिकोणीय लड़ाई का साक्षी बनने जा रहा है, जहां से जेजेपी का नेतृत्व कर रहे दुष्यंत चौटाला अपनी सीट बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस के भव्य विश्नोई और बीजेपी के नौकरशाह से राजनेता बने बृजेंद्र सिंह मुकाबले में उतर रहे हैं.

भव्य विश्नोई मुकाबले में सबसे कम उम्र के हैं. बता दें, भव्य तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत भजन लाल के पोते हैं और बृजेंद्र सिंह, स्टील मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं.

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दांव पर लगी है हुड्डाओं की प्रतिष्ठा

इस चुनाव में हुड्डा-पिता और पुत्र की प्रतिष्ठा दांव पर है, जो कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. हरियाणा में 2014 की हार के बाद से कांग्रेस की स्थिति लगातार गिरती जा रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जबकि उनके बेटे दीपेंद्र, रोहतक से चौथी बार जीत की उम्मीद कर रहे हैं.

दीपेंद्र हुड्डा, दस उम्मीदवारों में से एकमात्र कांग्रेस उम्मीदवार रहे जो 2014 के लोकसभा चुनावों में जीतने में कामयाब रहे.

2014 के चुनाव में बीजेपी को 34.8 फीसदी वोट मिले थे और सात सीटों पर जीत मिली थी. वहीं आईएनएलडी को दो सीटों पर जीत मिली थी.

बीजेपी के लिए आसान नहीं है राह

खट्टर सरकार को मोदी फैक्टर से ‘असाधारण जीत’ का भरोसा है. इससे पहले खट्टर सरकार जनवरी में जींद में हुए विधानसभा उपचुनाव को जीत चुकी है.

जींद उप चुनाव में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला दूसरे नंबर थे. वहीं, जेजेपी के दिग्विजय चौटाला तीसरे नंबर पर रहे थे और यह पहली बार था जब बीजेपी ने जींद सीट पर जीत दर्ज की थी.

बीजेपी की राह मुश्किल करने का काम दो बड़े फैक्टर कर रहे हैं. पहला, बीजेपी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में एंटी इनकंबेसी का सामना कर रही है. दूसरी बात यह है कि चुनाव में जाट आरक्षण उस राज्य में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जहां जातिगत समीकरण ने हर एक चुनाव में एक निर्णायक भूमिका निभाई है.

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