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वाराणसी में 26 अप्रैल को मीडिया के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “बातचीत” एक छोटी सी बाइट से थोड़ी ज्यादा थी. उस छोटी सी बातचीत में उन्होंने ऐसा संकेत दिया, जो राजनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा, “कुछ लोग ऐसी हवा बना रहे हैं कि मोदी जीतने जा रहे हैं, इसलिए वोट देने की जरूरत नहीं है. कृपया ऐसे लोगों की न सुनें. देश को मजबूत बनाने के लिए वोट जरूर दें.”
ये बयान काफी कुछ उनकी उस खीझ को दर्शाता है, जो बीजेपी कार्यकर्ताओं में कम होते उत्साह के कारण है, और जिसके कारण कई लोग मतदान से दूर रह सकते हैं.
पहले तीन चरण के आकलन बताते हैं कि कम से कम राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण उत्तर प्रदेश को लेकर ये डर सही साबित हो सकता है.
Anthro.ai, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर उत्तर प्रदेश में वोटिंग के रुझान का आकलन कर रहा है, दूसरे चरण के मतदान के बाद लिखा, “मतदाताओं के एक समूह ने 2014 में मोदी को वोट दिया, लेकिन इस बार बीजेपी को वोट नहीं दे रहा है... वोटरों का ये वर्ग घर में रहना पसंद कर रहा है और मतदान से उदासीन है.”
उत्तर प्रदेश में अब तक 26 सीटों पर मतदान हो चुका है, जिनमें अधिकांश पश्चिमी उत्तर प्रदेश और रोहिलखंड में हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में इनमें से 23 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी, जिसमें कई सीटों पर पार्टी भारी अंतर से विजयी हुई थी.
ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि इन सीटों पर बीजेपी को नुकसान हो सकता है और समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के महागठबंधन को भारी फायदा हो सकता है. लेकिन किस हद तक नुकसान होगा, इस विषय पर दो मत हैं: एक है पारंपरिक और दूसरा है ताजा आकलन.
इस मैप में जिन 26 सीटों पर मतदान हुए हैं, उन्हें हमने पांच वर्गों में बांटा है:
इनमें कई सीटों को लेकर और उत्तर प्रदेश में वोटिंग ट्रेंड को देखते हुए दो अलग-अलग मतों के विश्लेषकों के आकलन अलग-अलग हैं.
Chanakyya.com के राजनीतिक आंकड़ों के विश्लेषक पार्था दास के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पहले तीन चरणों में जिन 26 सीटों पर मतदान हुए हैं, उनमें महागठबंधन 16 सीटों पर, जबकि बीजेपी 10 सीटों पर जीत सकती है.
नवभारत टाइम्स के पॉलिटिकल एडिटर नदीम ने हर चरण के मतदान के बाद अपना पूर्वानुमान बताया है और थोड़ी-बहुत ऊंच-नीच के बाद काफी हद तक उनका आकलन भी दास के आकलन के बराबर है. कुछ अन्य विश्लेषकों के मुताबिक, महागठबंधन को इनमें 13 सीटों पर जीत मिल रही है. अगर हम मैप पर गौर करें तो पारम्परिक आकलन के मुताबिक, महागठबंधन हरे रंग में रंगी सभी सीटें जीत सकता है, जहां वो काफी आगे है, जबकि दो सीटों पर भी उसे थोड़ी बढ़त मिली हुई है.
इस पारंपरिक विश्लेषण में भी बीजेपी को 10 सीटों का नुकसान और महागठबंधन को 10 सीटों का फायदा है.
संख्या के अलावा पारंपरिक आकलन निम्न कारणों पर आधारित है:
हालांकि, ताजा आकलन के मुताबिक, राज्य में बीजेपी का सफाया हो सकता है. 23 अप्रैल को तीसरे दौर के मतदान के बाद, Anthro.ai के आकलन के मुताबिक-
इस आकलन के मुताबिक, SP-BS-RLD गठबंधन मैप में दिखाए गए न सिर्फ सभी 13 सीटों पर जीत हासिल कर रहा है, बल्कि नजदीकी मुकाबलों वाली सभी पांच सीटों पर भी जीत रहा है. हो सकता है कि जहां बीजेपी को बढ़त बताई जा रही है, उन सीटों पर भी जीत हासिल कर ले. मोटा-मोटी महागठबंधन के खाते में 26 में से 20 सीट जा रहे हैं, जो संकेत देता है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी का लगभग सफाया होने जा रहा है.
एक बार फिर संख्या को अलग कर दें, तो इस पूर्वानुमान का निम्नलिखित आधार है:
Anthro.ai इस रुझान को चुनावों से इतर देखता है और इसे “comradery of oppressed classes” की संज्ञा दी है.
“मुस्लिम वोटर इस बात से सहमत हैं कि गठबंधन के उम्मीदवार सबसे बेहतर हैं. उत्तर प्रदेश में ये नई राजनीतिक सच्चाई की ओर इशारा कर रहा है, जिसमें योगी आदित्यनाथ पर उनके सवर्ण आधार के कारण संदेह बढ़ता जा रहा है.”
एक और दिलचस्प आंकड़ा CVoter ट्रैकर ने उपलब्ध कराया है. इसके मुताबिक, उत्तर प्रदेश में करीब 13 फीसदी वोटर बीएसपी सुप्रीमो मायावती को अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. मायावती जाटव समुदाय की हैं, जिनकी आबादी उत्तर प्रदेश में 6 फीसदी है. शेष 7 फीसदी समर्थन दूसरे समुदाय से मिल रहा है. ये समर्थन मुस्लिम और गैर-जाटव दलितों का हो सकता है. अगर गैर-जाटव दलित बीएसपी को समर्थन देते हैं, तो ये बीजेपी के लिए नुकसानदेह है, जिसे 2014 लोकसभा चुनाव और 2017 विधानसभा चुनाव में इस वर्ग का समर्थन मिला था.
हालांकि, दोनों मत बीजेपी के नुकसान की भविष्यवाणी कर रहे हैं, लेकिन नुकसान के कारणों को लेकर भारी मतभेद है. पारंपरिक विश्लेषकों का कहना है कि महागठबंधन बनने के कारण बीजेपी को कुछ सीटों का नुकसान हो रहा है. इसका अर्थ है कि बीजेपी और SP-BSP-RLD गठजोड़ दोनों ही लगभग 35-40 सीटों पर कब्जा करेंगे, जबकि कांग्रेस के खाते में 3-4 सीट जाएंगी.
हालांकि, अगर वास्तव में अल्पसंख्यक और दलित समुदाय भारी संख्या में महागठबंधन के समर्थन में एकजुट हो जाते हैं, साथ ही बीजेपी विरोधी हवा बह निकलती है, तो इसका अर्थ है कि बीजेपी विशेषकर बड़े शहरों में सिर्फ अपने कुछ मजबूत सीटों पर ही कब्जा जमा पाएगी. इसका मतलब ये है कि पार्टी की सीट 25 या 20 से भी कम हो सकती है. इस आकलन के मुताबिक, महागठबंधन 50 का आंकड़ा पार कर सकता है.
NDA, जिसने 2014 में उत्तर प्रदेश में 73 सीटें जीती थीं, की शुरुआत 35 सीटों के नुकसान से हो रही है, और हालात बदतर हुए राज्य में बीजेपी को 50 सीटों का नुकसान हो सकता है.
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Published: 27 Apr 2019,04:16 PM IST