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हर चुनाव में पार्टियां मतदाता को अपने पाले में खींचने की कोशिश करती हैं. जनता भी खेमों में बंटती है लेकिन अलग-अलग पार्टियों के समर्थकों के बीच ऐसी खाई शायद ही कभी दिखी हो. कई जगहों पर तो किसी खास पार्टी के समर्थक होने का मतलब खुद को खतरे में डालना तक हो गया है. लेकिन पश्चिम बंगाल के आसनसोल के वोटरों ने इसका तोड़ निकाला है. वो हर उम्मीदवार की चुनावी सभा जाते हैं. उनका कहना है कि सुरक्षित रहने का यही एक तरीका है.
आसनसोल के लोग अपनी पसंद के उम्मीदवार पर चर्चा करने से बचते हैं. उनका कहना है कि इस तरह की चर्चा के लिए माहौल सही नहीं है. आसनसोल पश्चिम बंगाल का एक मेट्रो शहर है और यहां कोयला व्यापार का बड़ा केंद्र भी है.
इस इलाके में चुनावी हिंसा कोई नई बात नहीं है. इस चुनावी मौसम में भी यहां हिंसा की छिटफुट घटना देखने को मिली है. बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान मई महीने में काफी हिंसा देखने को मिली थी. आसनसोल में रामनवमी के जुलूस के दौरान भी हिंसा भड़क गई थी. पथराव, आगजनी और बम फेंकने की कई वारदातें सामने आई थीं.
लेफ्ट पार्टी के एक सपोर्टर ने बताया कि कैसे वो पॉलिटिकल मीटिंग में सबसे आगे की लाइन में आकर बैठते हैं, जिससे कि लोकल नेता की उसपर नजर जा सके और उसके बाद ही वो वहां से बाहर निकलते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि जिस तरह का माहौल है ऐसे में वो वोट डालेंगे कि नहीं अभी कुछ तय नहीं है.
नाम न बताने की शर्त पर एक वोटर ने बताया कि कैसे यहां लगभग हर दिन हिंसा की घटना होती है और इसमें मुख्य रूप से सत्ताधारी दल (तृणमूल कांग्रेस) के लोग शामिल रहते हैं.
टीएमसी के नेता और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने इन आरोपों का खंडन किया. साथ ही उन्होंने कहा कि आसनसोल के लोग जानते हैं हिंसा के पीछे किनका हाथ है. उन्होंने कांग्रेस- बीजेपी और लेफ्ट दलों के ऊपर इस हिंसा का आरोप लगाया.
पीटीआई से बात करते हुए कानून मंत्री घटक ने कहा कि इनमें से कोई भी दल आसनसोल में हमारी उपस्थिती को लेकर गंभीर नहीं था और सबने मिलकर साजिशन ये मनगढंत आरोप गढ़ा है.
हालांकि, जब घटक से पूछा गया कि राज्य में चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की अभूतपूर्व उपस्थिति क्यों है तो उनके पास कोई जवाब नहीं था बारे में जब पीटीआई ने उनसे सवाल पूछा तो उनके पास कोई जवाब नहीं था. वहीं, कई लोग इतनी बड़ी संख्या में रिजर्व बलों की मौजूदगी को राज्य सरकार के लचर कानून व्यवस्था का संकेत भी मान रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस ने इस बार मुनमुन सेन को आसनसोल में उम्मीदवार बनाया है, वहीं बीजेपी ने मौजूदा सांसद बाबुल सुप्रियो को मैदान में उतारा है. आसनसोल सीट पर लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होगा. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए आसनसोल सीट से दस उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
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