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Madhya Pradesh Exit Poll Results: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल वही अनुमान लगा रहे हैं जैसा राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने 17 नवंबर को सूबे में वोटिंग से पहले भविष्यवाणी की थी- राज्य में कांटे की टक्कर है, हालांकि कई एग्जिट पोल में बीजेपी आगे दिख रही है.
8 एग्जिट पोल में से 5 में कांग्रेस आगे दिख रही वहीं 3 में बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिख रही है. हालांकि जब आठों एग्जिट पोल का औसत देखते हैं तो बीजेपी 113 से 128 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा पार करती दिख रही है वहीं कांग्रेस 97 से 112 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर दिख रही है.
चलिए जानते हैं कि तमाम बड़े एग्जिट पोल्स में क्या भविष्यवाणी की गयी है और यह सूबे की राजनीति के बारे में क्या इशारा कर रहा है. साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि पिछले चुनाव यानी कि 2018 के एग्जिट पोल्स कितने सही साबित हुए थे.
सबसे पहले बात करते हैं जन की बात-इंडिया न्यूज के एग्जिट पोल की. इस अनुसार कांग्रेस सूबे की 230 सीटों में से 102 से लेकर 125 सीटों पर बाजी मार सकती है जबकि बीजेपी के पाले में 100 से 123 सीटें आ सकती हैं. यानी दोनों ही पार्टी बहुमत के आंकड़े को पार कर सकती है.
हालांकि न्यूज 24- टुडेज चाणक्या का एग्जिट पोल बीजेपी को खुश कर रहा है. इस एग्जिट पोल में बीजेपी स्पष्ट बहुमत ही नहीं, बम्पर जीत हासिल करती दिख रही है. न्यूज 24- टुडेज चाणक्या के एग्जिट पोल के अनुसार बीजेपी 139 से 163 (औसत 151) सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है जबकि कांग्रेस को 62 से 86 (औसत 74) सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है.
दूसरी तरफ एबीपी-सी वोटर के एग्जिट पोल कांग्रेस खेमे को खुश कर रहे हैं. इसके अनुमानों को माने तो कांग्रेस 113 से लेकर 137 सीटें (औसत 125) जीत सकती है वहीं बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर 88 से लेकर 112 (औसत 100) के बीच सीट हासिल कर सकती है. वहीं अन्य पार्टियों के खाते में 1 से 6 सीटें मिल सकती हैं.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल को देखें तो बीजेपी 140 से लेकर 162 सीट जीत सकती हैं वहीं कांग्रेस 68 से लेकर 90 सीट के बीच सिमट सकती है. यानी इस एग्जिट पोल में बीजेपी को बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया है.
बता दें कि चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार 76.22 फीसदी वोटिंग हुई है. मध्य प्रदेश के इतिहास में ये अबतक का सबसे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत है.
1. शिवराज से मोहभंग लेकिन 'मामा' इमेज कारगर?
2018 के चुनावों के बाद कांग्रेस के 15 महीने के शासन को छोड़ दें, तो 2003 से लगातार बीजेपी एमपी की सत्ता पर काबिज है. ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी बहुत बड़ा फैक्टर माना जा रहा था. बीजेपी ने भी शिवराज सिंह चौहान के नाम पर नहीं बल्कि उनकी योजनाओं, खासकर महिलाओं के लिए 'लाड़ली बहन योजना', के नाम पर चुनाव लड़ा. एग्जिट पोल जब चुनाव को इतना करीबी बता रहे हैं, ऐसा लगता है कि बीजेपी की यह रणनीति काम कर गयी है- भले ही शिवराज से जनता का मोहभंग हुआ हो लेकिन महिलाओं के बीच उनकी 'मामा' इमेज अभी भी कारगर है.
2. कांग्रेस के पास तीसरा चेहरा नहीं लेकिन मैदान में बरकरार
चुनाव से पहले, कांग्रेस का कैंपेन मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कमल नाथ के इर्द-गिर्द घूमता रहा. 77 वर्षीय कमलनाथ ने 114 रैलियां कीं. उनके लंबे समय से सहयोगी दिग्विजय सिंह ज्यादातर समय मंच के पीछे रहे, उन्होंने पार्टी को संगठित करने और एकजुट करने का काम किया. इन दोनों को छोड़कर, कांग्रेस के पास राज्य इकाई में शायद ही कोई तीसरा कद्दावर चेहरा था. इसके बावजूद पार्टी सत्ता की रेस में दिख रही है और 3 दिसंबर को सितारे फिट बैठें तो पार्टी एक बार फिर सरकार बना सकती है.
3. पीएम मोदी की अगुवाई में कैंपेन + मैदान में 7 सांसद = बीजेपी के लिए कारगर
बीजेपी के चुनावी कैंपेन का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और पार्टी इस बात पर स्पष्ट जवाब देने से बचती रही कि मध्य प्रदेश में जीत हासिल करने पर क्या शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री होंगे.
इतना ही नहीं पार्टी ने फिर से सत्ता हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और विधानसभा चुनाव के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते सहित सात सांसदों को भी मैदान में उतार दिया. अगर पार्टी सत्ता में वापसी करती है तो यह रणनीति बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित होगी.
अगर एमपी में फाइनल नतीजे एग्जिट पोल की तरह ही करीबी रहे तो सूबे की सियासत एक बार फिर जोड़-तोड़ के कयासों से सरगर्म रहेगी. जो भी पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े से 2-3 सीट दूर रहेगी, वो छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में करने की हर संभव कोशिश करेगी. जिस राज्य में बहुमत हासिल करने वाली पूरी की पूरी सरकार का ही तख्तापलट हो जाए ( ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से), वहां सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ की कोशिशों से इंकार नहीं किया जा सकता.
मध्य प्रदेश में, सात प्रमुख एग्जिट पोल के औसत को देखें तो उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि कांग्रेस पर बीजेपी को मामूली बढ़त मिलेगी लेकिन किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा.
केवल एबीपी न्यूज-सीएसडीएस ने कांग्रेस को बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की थी जबकि इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया, टाइम्स नाउ-सीएनएक्स और इंडिया-सीएनएक्स ने बीजेपी के बहुमत की भविष्यवाणी की थी. जब फाइनल नतीजे आये तो अधिकतर एग्जिट पोल गलत साबित हुए.
कांग्रेस ने 15 साल बाद बीजेपी को सत्ता से बाहर करते हुए एमपी में सरकार तो बनाई, लेकिन कमलनाथ ज्यादा दिन तक सीएम नहीं रह पाए. ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थित 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस सरकार गिर गई और मार्च 2020 में शिवराज सिंह चौथी बार सीएम बन गए.
आखिर में बस एक सलाह- एग्जिट पोल के इन आंकड़ों को केवल अनुमान की तरह ही देखें. फाइनल नतीजे इससे अलग भी हो सकते हैं.
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