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'मोदी की गारंटी' या राहुल की 'मोहब्बत की दुकान'? मध्य प्रदेश की जनता किसकी दुकान पर कौन सी गारंटी वाला प्रोडक्ट लेती है, इसके लिए सारे प्रोसेस पूरे कर लिए गए हैं. मतलब ये हुआ कि मध्य प्रदेश चुनाव (Madhya Pradesh Elections 2023) की 230 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 76.22 फीसदी वोटिंग हुई है. बता दें कि मध्य प्रदेश के इतिहास में ये अबतक का सबसे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत है.
भिंड, दिमनी, इंदौर समेत कई जगहों पर पत्थरबाजी, तोड़फोड़, हिंसा की खबरें आईं, लेकिन इन सबके बावजूद वोटरों ने जमकर वोटिंग की.
ऐसे में आइए समझते हैं कि इस ताबड़तोड़ वोटिंग का मतलब क्या है और ऐसे वोटिंग से किसे फायदा और नुकसान होता दिख रहा है?
ऐसे तो कांग्रेस और बीजेपी के लिए राज्य की सभी सीटें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनमें से 6 सीटें ऐसी हैं, जिनपर सबकी निगाहें टिकी हैं. ये सीटें हैं: छिंदवाड़ा, दिमनी, चुरहट, दतिया, बुढ़नी और इंदौर-1.
2013 के आंकड़ों को देखें तो मध्य प्रदेश में वोटिंग टर्नआउट या मतदान प्रतिशत 72.7 रहा था.
तब चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी को 165 सीटें मिली थी, जबकि कांग्रेस 71 से घटकर 58 सीट पर पहुंच गई थी.
सीट के हिसाब से देखें तो 2013 में बीजेपी को 44.9 फीसदी वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस को 36.4% वोट.
2013 और 2018 के आंकड़े देखेंगे तो समझ आएगा कि जब वोटिंग टर्नआउट बढ़ा तो कांग्रेस को फायदा हुआ और बीजेपी का वोट प्रतिशत गिरा.
बुधनी- 81.59%
छिंदवाड़ा -75.33%
दिमनी - 64.22%
चुरहट- 64.96%
दतिया - 67.58%
इंदौर 1 - 62.30%
पहले आपको एक-एक कर इन सीटों के हॉट कहलाने के पीछे की वजह बता देते हैं फिर इन वोटिंग प्रतिशत का मतलब समझाएंगे.
दरअसल, सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं. यह उनकी परंपरागत सीट है.
इस बार कांग्रेस ने टीवी एक्टर विक्रम मस्ताल को शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मैदान में उतारा है. विक्रम रामायण सीरियल में हनुमान का किरदार निभा चुके हैं.
छिंदवाड़ा से कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरा और मौजूदा विधायक कमलनाथ चुनाव लड़ रहे हैं. कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ दफा लोकसभा सदस्य रहे हैं. कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में 81.50 प्रतिशत वोटिंग हुई है. अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कमलनाथ पहली दफा 2019 में विधानसभा के सदस्य बने थे.
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन नियम के मुताबिक मुख्यमंत्री बने रहने के लिए कमलनाथ को छह महीने के अंदर मध्यप्रदेश विधानसभा का सदस्य बनना अनिवार्य था. इसलिये उनके समर्थक दीपक सक्सेना ने छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से त्यागपत्र देकर उनके लिये सीट खाली की और निर्वाचन आयोग ने छिंदवाड़ा विधानसभा के लिये उपचुनाव कराया.
बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. बता दें कि 2018 और फिर 2019 के उपचुनाव में दिमनी से कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली थी. हालांकि इस बार मुरैना की दिमनी सीट पर बीएसपी के पूर्व विधायक बलवीर दंडोतिया के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से त्रिकोणिय मुकाबला माना जा रहा है. 2013 के चुनाव में, बीएसपी के बलवीर सिंह दंडोतिया ने 2,106 वोटों (1.69%) के अंतर से सीट जीती हासिल की थी.
2018 में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया को 49.23% वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के शिव मंगल तोमर को 36.16% वोट. हालांकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद दिमनी से कांग्रेस विधायक गिर्राज दंडोतिया भी बीजेपी में शामिल हो गए थे. लेकिन जब दिमनी में उपचनाव हुए तो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे गिर्राज हार गए और कांग्रेस के उम्मीदवार रविंद्र सिंह तोमर ने 24267 वोट से जीत दर्ज की थी.
दतिया विधानसभा सीट गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की सीट के रूप में जानी जाती है. दतिया में BJP पिछले तीन चुनाव से जीतती आ रही है.
बता दें कि कांग्रेस ने पहले दतिया से अवधेश नायक को टिकट दिया था, लेकिन विरोध के बाद अपना उम्मीदवार बदला और 2018 के उम्मीदवार राजेंद्र भारती को मैदान में उतारा.
बीजेपी ने इंदौर 1 से फायर ब्रांड नेता कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिया है. कैलाश विजयवर्गीय पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां से कांग्रेस ने अपने सिटिंग विधायक संजय शुक्ला को टिकट दिया है. इंदौर 1 पर शाम 5 बजे तक 62.30% वोट पड़े हैं. पिछली बार 2018 में में इंदौर-1 सीट पर 68.62% मतदान हुआ था. 2013 में 64.93% मतदान हुआ था. मतलब इस बार वोटिंग प्रतिशत में कमी आई है.
इस बार भी वोटिंग ज्यादा हुई है, तो क्या बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर यानी एंटी इनकंबेंसी का ये नतीजा है? एबीपी सी वोटर के ओपनियन पोल की माने तो 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच पिछले चुनाव की तरह ही कांटे की टक्कर है. एबीपी सी वोटर के मुताबिक, कांग्रेस को 113-125 और बीजेपी को 104-116 सीटें मिल सकती हैं.
अब 3 दिसंबर को नतीजे बताएंगे कि वोटिंग प्रतिशत का बढ़ना किसके हक में बेहतर रहा.
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