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"हमें विश्वास है कि जनता बीजेपी के साथ है और हम 2023 के चुनाव में अप्रत्याशित संख्या में सीटें जीतेंगे." ये दावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने क्विंट हिंदी को दिए इंटरव्यू के दौरान किया.
चौहान ने बताया कि उनकी "लाडली बहना" की "खुशी और समृद्धि" सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है.
चौहान, जिन्हें कथित तौर पर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 से पहले पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने मुख्यमंत्री के रूप में उनके चार कार्यकाल से उत्पन्न सत्ता विरोधी लहर के कारण दरकिनार कर दिया था, मतदाताओं के दिल और वोट जीतने की कोशिश में एक समानांतर अभियान चला रहे है.
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उन्हें 'उम्मीद' है कि 'लाडली बहना योजना' और वर्षों से किए गए उनके सभी काम 3 दिसंबर को उनकी और पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे.
मौजूदा बीजेपी पहले ही चुनाव में कमजोर दिख रही थी, जब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और उदय प्रताप सिंह को एमपी विधानसभा चुनाव 2023 के मैदान में उतारा गया था.
लेकिन आखिरी प्रयास में, चौहान ने 'मामा' के अपने सर्वकालिक पसंदीदा व्यक्तित्व के साथ वापसी की. पिछले कुछ साल में उनके भाषण आक्रामक शिवराज शैली से बदलकर उनकी 'बहनों का भाई और भांजे-भांजियों का मामा' वाली छवि में बदल गए, जिसने एक समय पूरे मध्य प्रदेश में उनकी लोकप्रियता बनाई थी.
आज से लगभग छह महीने पहले भले ही बीजेपी खराब फॉर्म में रही हो, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी चौहान के नेतृत्व में अच्छी तरह से उबर गई है और पार्टी ने विपक्षी कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने के लिए जोरदार वापसी की है.
सत्ता विरोधी लहर के सवाल पर चौहान ने कहा कि उनके और राज्य की जनता के बीच एक 'पारिवारिक बंधन' है और वह बंधन 'अटूट' है.
जब उनसे पूछा गया कि 2018 के चुनाव से 2023 के चुनाव तक क्या बदलाव आया है? तो उन्होंने कहा...
उन्होंने कहा, "जब तक मैं अपनी लाडली बहनों के सारे सपने पूरे नहीं कर देता, मैं कहीं नहीं जाने वाला (जब तक मैं अपनी प्यारी बहनों के सारे सपने पूरे नहीं कर लेता, तब तक मैं कहीं नहीं जाऊंगा)."
मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर 17 नवंबर को मतदान है. राज्य में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके वफादारों के पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस सरकार गिर गई थी.
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