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"पुलिसवाले ने गन तान कहा, पीछे हट जाओ नहीं तो गोली चला दूंगा. मैंने कहा हम वोट डालने जा रहे थे. तुम गोली नहीं चला सकते. पत्थर चलाने की बात झूठी है. खुद को बचाने के लिए पुलिस ऐसा कह रही है."
ये कहना है मुजफ्फरनगर के ककरौली (मीरापुर) की रहने वाली तोहिदा का. उपचुनाव में मतदान के दौरान गन लहराती पुलिस और सामने खड़ी महिला का वीडियो वायरल हुआ था. इसमें जो महिला बार-बार पुलिस से कह रही है कि पुलिस उसे गोली नहीं मार सकती. उसे वोट देने जाना है. उसी का नाम तोहिदा है. क्विंट हिंदी ने तोहिदा और वहां मौजूद अन्य महिलाओं से बात कर जानने की कोशिश की कि मीरापुर उपचुनाव में क्या हुआ? गन लहराने वाले SHO राजीव शर्मा से बात की. प्रशासन से सवाल किए कि पुलिस ने वोटर पर गन क्यों तानी? आखिर में ये भी बताएंगे कि इतना कुछ होने के बाद तोहिदा अपना वोट डाल पाई?
मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर 20 नवंबर को मतदान था. बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही आरएलडी ने पूर्व विधायक मिथलेश पाल को मैदान में उतारा था. उनके सामने सपा ने संबुल राणा थी. वोट करने का दिन था. इस दौरान ककरौली और आसपास के कई इलाकों से सुबह से ही कई मुस्लिम मतदाताओं के वीडियो सामने आए. शिकायत की गई कि उन्हें वोट नहीं डालने दिया जा रहा. कुछ ने मारपीट का भी आरोप लगाया. क्विंट हिंदी ने ऐसे मतदाताओं से बात की. जिनमें एक नाम मोहम्मद अब्दुल्ला का है.
ककरौली के रहने वाले मोहम्मद अब्दुल्ला ने बताया, मैं सुबह बाइक से वोट डालने गया. मेरे साथ एक बुजुर्ग भी बैठे थे. मैंने जैसे ही गाड़ी खड़ी की. पुलिस ने लाठी भाजना शुरू कर दिया. मेरे पैर में चोट लग गई. मैं वहां से तेजी से नहीं भाग पाया क्योंकि मेरे साथ एक बुजुर्ग थे. मैं बिना वोट दिए घर वापस आ गया. मेरी दाढ़ी और टोपी देखकर पुलिस ने मारा. अगर मैंने गलत जगह गाड़ी पार्क की थी पुलिस कह देती तो मैं गाड़ी हटा लेता. उसमें डंडा मारने की क्या जरूरत थी.
ककरौली की ही हुश्नजहां ने बताया, मेरे जेठ का लड़का फरीद वोट देने गया. उसे वोट नहीं देने दिया गया. उस पर डंडा बजाया. जब वह वापस आया तो मोहल्ले के कुछ लोग इकट्ठा हुए और पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया.
अकीला ने भी कुछ ऐसा ही आरोप लगाया. उन्होंने बताया, हम लोग वोट देने जा रहे थे. रोड पर बहुत सारी पुलिस खड़ी थी. उन्होंने हमें रोक दिया. कहने लगी कि हम तुम्हें नहीं जानें देंगे. तुम्हारा वोट डाल दिया गया है. हमने पूछा कि हम गए ही नहीं तो हमारा वोट किसने डाल दिया. हमारे घर के मर्द गए थे उनपर भी लाठी चार्ज किया गया.
ककरौली से ऐसे कई वीडियो वायरल हुए, जिन्हें ट्वीट कर समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों को वोट देने से रोकने के आरोप लगाए. चुनाव आयोग से कार्रवाई की भी मांग की. ऐसे ही एक आरोप में दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई. उनपर मतदाताओं के पहचान पत्र चेक करने के आरोप लगे.
अब वापस महिलाओं पर गन तानने के विवाद पर आते हैं. बताते हैं कि सभी विवादों के बीच इसकी शुरुआत कैसे हुई?
ऊपर अब्दुला, हुश्नजहां और अकीला की बात से पता चलता है कि वोट देने को लेकर सुबह से ही मुस्लिम मतदाता शिकायत कर रहे थे. गन के सामने खड़ी महिला तोहिदा ने क्विंट हिंदी से बताया,
तोहिदा ने बताया, इस विवाद के बाद जब हम इधर से वोट डालने जा रहे थे. तब वह एसएचओ खड़े थे. पुलिसवालों के हाथ में पत्थर थे. उन्होंने जेब से बंदूक निकाली और कहा कि पीछे हट जाओ नहीं तो मैं गोली चला दूंगा. हमने कहा, तुम गोली नहीं चला सकते. तुम्हें इतना अधिकार नहीं है. हम वोट डालने जा रहे थे. हम अपना हक मांग रहे हैं. हमें वोट डालने जाना है. लेकिन वह बार-बार कहते रहें कि मैं गोली चला दूंगा. मैं डरी नहीं. वह मुझे भले ही गोली मार देते. लेकिन हम अपने हक के लिए लड़ रहे थे."
मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि ककरौली में दो पक्षों के बीच विवाद हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने एक्शन लिया. वायरल वीडियो पर उन्होंने कहा कि ये आधा वीडियो है. पुलिस पर पथराव किया गया, लेकिन जब ये वीडियो बनाया गया तब उपद्रवी वहां से भाग गए थे. उन्होंने महिलाओं को आगे कर दिया था. इस मामले में दर्ज FIR के मुताबिक,
"दोनों पक्षों के लोगों ने पुलिस पर ही हमला कर दिया. पथराव किया. मौके पर मौजूद प्रभारी निरीक्षक राजीव शर्मा और उनके साथी गंभीर रूप से घायल हो गए. मौके पर अफरा-तफरी फैल गई. दोनों तरफ से ट्रेफिक जाम हो गया. गाड़ियों में बैठे महिलाएं और बच्चे डर के मारे चीखने-चिल्लाने लगे. तब पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर लोगों को तीतर-बीतर किया."
क्विंट हिंदी ने वीडियो में दिख रहे ककरौली SHO राजीव शर्मा से बात की. उन्होंने बताया,
वीडियो के सवाल पर राजीव शर्मा ने कहा, ये तो पोलिंग बूथ से काफी दूर का है. इस संबंध में अधिकारियों ने पूरी स्थिति साफ कर दी है. उन्होंने बयान दे दिया है.
क्विंट हिंदी से बात करते हुए तोहिदा ने कहा, पुलिस पर पत्थरबाजी का आरोप झूठा है. खुद को बचाने के लिए. पुलिसवाले खुद ईंट लिए हुए थे. जब उन्होंने ईंट ऊठाई तो यहां पर कुछ छोटे-छोटे बच्चे थे. पुलिस को डंडा चलाते देखा तो बच्चों को गुस्सा आया. हालांकि बच्चे बहुत छोटे-छोटे थे. 10-10 साल के. 5-5 साल के.
वायरल वीडियो के बाद क्या हुआ तोहिदा ने उसके बारे में भी बताया, जब पूरा मामला खत्म हो गया. हम अपने घर आ गए. तो एक गाड़ी पुलिस की आई और मिलीट्री आई. वह कम से कम थे 50.
इस पूरे विवाद में थाना ककरौली पुलिस ने 28 नामजद 100-120 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं.स्थानीय लोगों से पूछताछ की जा रही है. अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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