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ऐन चुनावों से पहले कांग्रेस ने NYAY (Nyuntam Aay Yojna) का ऐलान क्या किया, हंगामा मच गया. खासकर BJP की तरफ से सवालों की बौछार हुई. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे धोखा बताया, वहीं यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने तो कह दिया - ‘’खुद राहुल गांधी खुद नहीं बता पाएंगे NYAY योजना क्या है.’’ बाल की खाल निकालने वाले सवालों की लंबी लिस्ट सामने आ गई.
थोड़े में सार ये है कि देश के जो परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं उनके खाते में हर महीने 6 हजार रुपए आएंगे. पैसा घर की महिला प्रमुख के खाते में आएगा. 6 हजार क्यों? दरअसल कांग्रेस का तर्क है कि सेंसेक्स, हंगर इंडेक्स आदि के तमाम आंकड़े बताते हैं कि देश में उन परिवारों को गरीब माना जा सकता है जिनकी मासिक आमदनी 6 हजार तक है. लेकिन जिन्दगी जीने के लिए ये काफी नहीं है. कम से कम हर परिवार को 12 हजार प्रति माह की आमदनी होनी चाहिए. कांग्रेस इसी गैप को भरेगी. हर गरीब परिवार को 6 हजार रुपए देगी. पैसा कोई कहां खर्च कर रहा है, ये भी नहीं पूछा जाएगा यानी न सिर्फ पैसा मिलेगा बल्कि उसे मर्ज और जरूरत के मुताबिक खर्च करने की आजादी भी होगी.
5 करोड़ परिवारों को. एक औसत भारतीय परिवार में 5 सदस्य होते हैं. ऐसे में 25 करोड़ लोगों को योजना का लाभ होगा. करीब 20 फीसदी आबादी योजना के तहत कवर हो जाएगी.
- जैसे 'आयुष्मान भारत' योजना के तहत गरीबों की पहचान कर हेल्थ इंश्योरेंस दिया जा रहा है. जैसे भूमिहीन किसानों की पहचान कर उन्हें 2 हजार हर महीने दिया जा रहा है. जैसे डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के तहत कई और योजनाएं चल रही हैं. आखिर आधार किस मर्ज की दवा है?
बिल्कुल मिलेगी. योजना ये नहीं है कौन छह हजार कमाता है और कौन नहीं. योजना ये है कि जो गरीबी रेखा से नीचे हैं उन्हें 6 हजार की मदद मिलेगी. चूंकि आंकड़े बताते हैं कि 6 हजार तक की आमदनी वालों को गरीब माना जाना चाहिए और बेसिक मिनिमम जरूरत 12 हजार है इसलिए ऐसे परिवारों को 6 हजार की मदद दी जाए.
ये सही है कि गांवों और शहरों में जीने का खर्च अलग-अलग है. लेकिन इस योजना का सिर्फ एक आधार है. जो गरीब हैं उनकी आमदनी 6 हजार के आसपास है, सो उन्हें 6 हजार की मदद दी जाए. शहरी और ग्रामीण परिवारों में कोई मतभेद नहीं. भूमिहीन या भूमिहर परिवारों में कोई मतभेद नहीं.
5 करोड़ परिवारों को 72 हजार सालाना देना हो तो खर्च आता है 3.6 लाख करोड़. यानी कुल केंद्रीय बजट का 13 परसेंट. जीडीपी का 1.2 से 1.8 फीसदी.
चूंकि पैसा 25 करोड़ गरीबों को मिल रहा है इसलिए वो इसे रखेंगे नहीं, खर्च करेंगे. ऐसा होगा तो बाजार में पैसा आएगा.. इकनॉमी को रफ्तार मिलेगी. यानी और ज्यादा रेवेन्यू की गुंजाइश बनेगी.
कोई भी मुख्य सब्सिडी खत्म नहीं होगी. फूड सिक्योरिटी, हेल्थ, रसोई गैस आदि को मिलाकर देश में 11 मुख्य सब्सिडिया हैं. लेकिन इनके अलावा भी हैं..सैकड़ों..कुल मिलाकर 950. बाकी 939 पर उतना ही खर्च आता है जितना इन 11 पर. तो इन 939 योजनाओं को रिव्यू करने की भी योजना है.
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Published: 01 Apr 2019,06:06 PM IST