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राहुल,माया,अखिलेश,पवार-चुनाव नतीजों से पहले नायडू की मैराथन मीटिंग

चुनाव नतीजों से पहले विपक्षी नेताओं में बैठकों का दौर

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चुनाव
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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ चंद्रबाबू नायडू
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समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ चंद्रबाबू नायडू
(फोटोः Quint Hindi)

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू 23 मई को लोकसभा चुनाव नतीजे घोषित होने के मद्देनजर गैर-बीजेपी सरकार गठन करने की कोशिशों में लगे हैं. इसे लेकर नायडू ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर एनसीपी चीफ शरद पवार, सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव और बीएसपी चीफ मायावती समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की.

विपक्ष को एकजुट करने के लिए अलग-अलग स्तर पर कोशिशें तेज हो गई हैं. एक तरफ चंद्रबाबू नायडू गैर-बीजेपी दलों को साधने में जुटे हैं, तो वहीं केसीआर तीसरे मोर्चे की तैयारी में लगे हैं.

दिल्ली में सीपीएमआई नेता सीताराम येचुरी के साथ चंद्रबाबू नायडू(फोटोः PTI)

दावा पेश करने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिरी चरण का चुनाव खत्म होने से पहले ही सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त हैं. लेकिन इसके बीच राजधानी दिल्ली में कुछ और भी पक रहा है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू दिल्ली आकर चुनाव बाद का समीकरण साधने में जुटे हैं.

दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ चंद्रबाबू नायडू(फोटोः PTI)

शुक्रवार को नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीआई नेता सीताराम येचुरी, एनसीपी नेता शरद पवार, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और वरिष्ठ नेता शरद यादव से मुलाकात की.

एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ चंद्रबाबू नायडू(फोटोः PTI)

हालांकि, अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि इन मुलाकातों का नतीजा क्या रहा और विपक्षी दलों के इन बड़े नेताओ से नायडू की क्या बात हुई. लेकिन इतना तय है कि इन मुलाकातों के जरिए कोशिश ये हो रही है कि अगर एनडीए बहुमत से चूकी तो पहले ही ऐसी तैयारी हो कि महागठबंधन सरकार बनाने का दावा मजबूती से पेश कर सकें.

शरद यादव के साथ चंद्रबाबू नायडू(फोटोः PTI)

NDA के संयोजक रहे नायडू गैर-BJP दलों को साधने में जुटे

चंद्रबाबू एक जमाने में एनडीए के संयोजक रहे. गठबंधन की गांठों को कसने की कला वे अच्छी तरह से जानते हैं. दरअसल, नायडू के लिए ये अग्निपरीक्षा है. गैर बीजेपी सरकार आने की स्थिति में वो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अहमियत बनाए रखना चाहते हैं.

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बीएसपी चीफ मायावती के साथ चंद्रबाबू नायडू(फोटोः @Quint Hindi)

क्षेत्रीय दलों की बढ़ी हैसियत

बीजेपी और कांग्रेस को चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की चर्चा के बीच क्षेत्रीय दलों को अपनी हैसियत बढ़ती दिख रही है. क्षेत्रीय दलों का 200 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव है, ऐसे में क्षेत्रीय दलों को अपनी ताकत का एहसास है.

तीसरे मोर्चे की तैयारी में केसीआर

चुनाव बाद समीकरण साधने में अकेले चंद्र बाबू नायडू सक्रिय नहीं है, केसीआर और स्टालिन मुलाकात ने भी विपक्षी नेताओं में खलबली मचाई है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने जनवरी महीने में ही फेडरल फ्रंट बनाने का विचार दिया था. इसे लेकर केसीआर भी पूरी सक्रियता के साथ लगे हुए हैं. बीते 13 मई को केसीआर ने डीएमके चीफ स्टालिन से मुलाकात की थी. हालांकि, स्टालिन ने केसीआर से मुलाकात में कांग्रेस के साथ बने रहने की ही बात कही. इससे पहले 6 मई को केसीआर ने सत्ता समीकरण को लेकर कर्नाटक के सीएम कुमारस्वामी केरल के सीएम पिनराई विजयन से भी बातचीत की थी.

23 मई को सोनिया गांधी ने गैर एनडीए दलों की बैठक भी बुलाई है. ऐसे में लगता है कि लड़ाई किंग बनने से ज्यादा किंग मेकर बनने की हो गई है.

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