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दिल्ली मॉडल के रास्ते अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पंजाब (Punjab) की सियासत को साधने की जो रणनीति बनाई थी, वो आज फलीभूत होती नजर आ रही है. एग्जिट पोल (Exit Poll) के आए नतीजों से साफ हो रहा है कि पंजाब का अगला सरदार अरविंद केजरीवाल ही हैं. कांग्रेस की बात करें तो उसे उतनी ही सीटें मिल रहीं, जिससे की वो विपक्ष में बैठ सके. पहले आप एग्जिट पोल नतीजे देखिए..फिर मतलब भी समझाएंगे.
इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया के मुताबिक आम आदमी पार्टी यानी AAP को 41 फीसदी वोट शेयर के साथ 79 से 90 सीटें मिल रही हैं. वहीं, कांग्रेस 28 फीसदी वोट शेयर के साथ 19 से 31 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. वहीं, कई बार राज्य की सत्ता में रह चुकी शिरोमणी अकाली दल को 7 से 11 सीटें मिलने का अनुमान है. इसके अलावा बीजेपी को 1 से 4 सीटें हासिल हो रही है.
NEWSX-CNX के सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 24 से 29 सीटें मिलने के अनुमान है. वहीं, आप को 56 से 61 सीटें मिल रही हैं. बीएसपी के साथ मैदान में उतरी शिरोमणी अकाली दल, कांग्रेस को टक्कर देती नजर आ रही है. सर्वे में एसएडी गठबंधन को 22 से 26 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. वहीं, बीजेपी को 1-6 सीटों से ही संतुष्ट होना होगा.
पंजाब के एग्जिट पोल Republic ने भी आप की ही सरकार बनाई है. इसके मुताबिक आप को 62 से 70 सीटें मिलने की उम्मीद है. वहीं, कांग्रेस को सिर्फ 23 से 31 सीटें ही मिलेंगी. उधर, SAD गठबंधन को 16 से 24 सीटें मिल रही हैं, जबकि बीजेपी को 1 से 3 सीटें ही मिल रही हैं
CVoter एग्जिट पोल में कांग्रेस और SAD के बीच दूसरे नंबर की होड़ है. इसके मुताबिक पंजाब में आप को 51 से 61 सीटों के मिलने का अनुमान है. वहीं, कांग्रेस को सिर्फ 22 से 28 सीटें ही मिल रही हैं. उधर, अकाली दल गठबंधन को 20 से 26 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बीजेपी को 7 से 13 सीटे हासिल हो रही हैं.
आप को मिला कांग्रेस के आंतरिक कलह का फायदा पंजाब में केजरीवाल तो चले ही हैं लेकिन लगता है कि कांग्रेस को अंदरूनी लड़ाई ले डूबी. सिद्धू के बागी तेवर देख कांग्रेस सीएम अमरिंदर को हटाया और चन्नी को ले आई लेकिन अब दिख रहा है कि न तो सिद्धू की गेंद चली और न ही बल्ला और उनकी टीम यानी कांग्रेस आउट हो चुकी है.
इस बात से कोई असहमत नहीं होगा कि अरविंद केजरीवाल का पंजाब दूसरा डेस्टीनेशन है. दिल्ली के बाद अरविंद हमेशा से पंजाब पर ही डेरा डालते रहे हैं. पांच राज्यों के चुनाव में केजरीवाल ने पंजाब को हमेशा ऊपर रखा जिसका नतीजा सामने है. केजरीवाल ने पंजाब में सबसे पहले दिल्ली मॉडल को पेश करने की बात की. फ्री बिजली, फ्री पानी, सब फ्री फ्री फ्री....वहीं, पंजाब की जनता ने दिल्ली मॉडल को ऊपर रखते हुए कांग्रेस और कई बार सत्ता में रही अकाली दल को नकार दिया. भगवंत मान ने भी केजरीवाल का मान रख लिया है.
अब बात बीजेपी की कर लेते हैं. पंजाब में वैसे भी बीजेपी का कोई जनाधार नहीं था. अगर था तो शिरोमणी अकाली दल का जो बीजेपी का एक लंबे समय से पार्टनर था. लेकिन, उसने भी अपनी सियासत को ऊपर रखा और किसान कानून के विरोध में बीजेपी से अलग हो गया. मोदी सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर ने भी इस्तीफा देकर आंदोलन की राह पकड़ ली और सड़कों पर नारा लगाने लगीं किसानों को न्याय दो, किसानों का हक दो. जाहिर है किसान आंदोलन और पार्टनर से ब्रेकअप बीजेपी को बहुत भारी पड़ा.
बीजेपी से अलग होने के बाद शिरोमणी ने BSP के साथ मिलकर इस विधानसभा में एक प्रयोग किया है. अकाली को पता था कि पंजाब में दलित समुदाय की एक बड़ी संख्या है तो उसके लिए बीएसपी के साथ गठबंधन फायदे का सौदा साबित हो सकता है. लेकिन, पंजाब ने सारी संभावनाओं और भावनाओं को किनारे पर रखकर आप की नैया को पार करा दिया. इस एग्जिट पोल से तो यही समझ में आ रहा है कि पंजाब के लोगों ने जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठकर वोट दिया. लेकिन अभी अंतिम कुछ नहीं है. 10 मार्च का इंतजार कीजिए
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Published: 07 Mar 2022,11:07 PM IST