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चुनावी सरगर्मियों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कानूनी पचड़ों में भी उलझे हुए या उलझाए गए हैं. मंगलवार को इन 3 खबरों पर आपकी नजर जरूर गई होगी.
सुप्रीम कोर्ट में अवमानना के मामले और ठाणे की अदालत में मानहानि के मामले पर तो कुछ कहना ठीक नहीं होगा लेकिन नागरिकता पर सवाल का केस बड़ा रोचक है.
गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी से दो हफ्ते में स्थिति साफ करने को कहा है. मंत्रालय ने नोटिस में लिखा है-
नोटिस पर सवाल उठे तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे एक सामान्य प्रक्रिया करार दिया.
गृह मंत्रालय के नोटिस के बाद कांग्रेस ने कुछ कागजात जारी किए और दावा किया कि 21 अगस्त, 2003 में बैकॉप्स कंपनी से जुड़े सर्टिफिकेशन ऑफ इनकॉरपोरेशन में राहुल गांधी ने अपनी नागरिकता भारतीय बताई थी.
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'पूरी दुनिया जानती है कि राहुल गांधी जन्म से ही भारतीय हैं. मोदीजी के पास बेरोजगारी, कृषि संकट और ब्लैक मनी के मामले पर कोई जवाब नहीं है. ऐसे में वो इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए गलत कहानी गढ़ रहे हैं.'' कांग्रेस महासचिव और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने कहा - क्या बकवास है ये?
खास बात ये है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने साल 2015 में ये मुद्दा उठाया था. अब चार साल बाद गृह मंत्रालय राहुल गांधी से सफाई मांग रहा है. क्या ये महज संयोग है कि ऐसा ऐन चुनावों के बीच किया गया है?
नवंबर, 2015 में सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी की नागरिकता की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर चुका है. तब के चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस अमिताभ रॉय ने अर्जी को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा से कहा था कि किसी एक व्यक्ति को केंद्र में बनाकर जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती. कोर्ट ने तब याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए कागजातों की वैधता पर भी सवाल उठाए थे.
गृह मंत्रालय के नोटिस के बाद कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि क्या गृह मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है. जब कोर्ट ने संबंधित याचिका खारिज कर दी तो इस नोटिस का क्या मतलब है? चार साल तक चुप रहने के बाद नोटिस क्यों?
एक तथ्य ये भी है कि संसद की जिस एथिक्स कमेटी को राहुल की नागरिकता का मामला भेजा गया था वो चुप है. ये मामला आने के बाद कमेटी ने पिछले चार साल में कोई बैठक ही नहीं की. बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी इस कमेटी के अध्यक्ष हैं. कमेटी की आखिरी बैठक 3 दिसंबर, 2015 को हुई थी.
2015 में जब सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पीएम को चिट्ठी लिख राहुल की नागरिकता का सवाल उठाया था तो तब भी कांग्रेस ने बैकॉप्स कंपनी के ही कागजात पेश कर राहुल को इंडियन नागरिक बताया था.
जानकार बताते हैं कि एथिक्स कमेटी ने इस मामले को आगे फॉलो नहीं किया क्योंकि उसे लगता था कि इस मामले में कोई दम नहीं है. कमेटी के सदस्य और बीजेपी सांसद कड़िया मुंडा कह चुके हैं कि कमेटी की कोई बैठक क्यों नहीं हुई ये तो सिर्फ अध्यक्ष एलके आडवाणी बता सकते हैं.
10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील में गड़बड़ी के मामले में फिर से सुनवाई करना स्वीकार किया. राहुल गांधी ने बयान दिया कि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया - ‘’चौकीदार चोर है.’’ इसपर बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी सुप्रीम कोर्ट चली गईं. अवमानना का केस बना. राहुल गांधी ने दो बार हलफनामा दाखिल कर कहा कि उन्हें अपने बयान पर खेद है और उन्होंने चुनावी झोंक में ये बात कह दी। राहुल गांधी ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि इसी केस में 14 दिसंबर, 2018 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को BJP क्लीन चिट करार दे रही है. जबकि ये सच नहीं है. अब जबकि कोर्ट मामले पर फिर सुनवाई कर रहा है तो क्लीन चिट कैसे? बहरहाल अदालत ने राहुल गांधी को तीसरा हलफनामा देने को कहा है.
मंगलवार को ठाणे की एक अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि के दावे पर 1 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की है. याचिका में आरएसएस कार्यकर्ता विवेक चंपानेरकर ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या में आरएसएस को दोषी बताकर उसे बदनाम कर रहे हैं.
चुनावों के बीच आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में आयकर छापों पर पहले ही सवाल उठ चुके हैं. मंगलवार को सीबीआई ने YRSCP पार्टी के नेता रघुराम कृष्णम राजू के यहां 2655 करोड़ के बैंक फ्रॉड मामलों में छापे डाले.
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Published: 30 Apr 2019,10:10 PM IST