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राहुल का वायनाड से खास रिश्ता,1991 में लाए थे राजीव की अस्थियां

राहुल का वायनाड के साथ संवेदनात्मक रिश्ता है, यहां उनके पिता राजीव गांधी की अस्थियां विसर्जित हुई थीं

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चुनाव
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वायनाड में पर्चा दाखिल करने के बाद समर्थकों का जोश बढ़ाते राहुल और प्रियंका 
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वायनाड में पर्चा दाखिल करने के बाद समर्थकों का जोश बढ़ाते राहुल और प्रियंका 
फोटो : PTI 

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राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने के लिए पर्चा दाखिल कर दिया है. इसके साथ ही गांधी परिवार के साउथ कनेक्शन की चर्चा होने लगी है. दरअसल इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक को आड़े वक्त में दक्षिण के राज्यों ने ही सहारा दिया था. गांधी परिवार के सदस्यों की निजी जिंदगी के कई वाकये भी साउथ के राज्यों से जुड़े रहे हैं.

इंदिरा गांधी को रायबरेली ने ठुकराया तो चिकमंगलूर ने अपनाया

1977 में जब उत्तर भारत में कांग्रेस की करारी हार हुई थी तो दक्षिण के राज्यों में इसे पनाह मिली थी. खुद 1977 में रायबरेली में राजनारायण से चुनाव हारने के बाद इंदिरा ने कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से चुनाव जीत कर वापसी की थी. इंदिरा ने 1978 के उपचुनाव में चिकमंगलूर से जनता पार्टी के वीरेंद्र पाटिल को 70 हजार वोटों से हरा कर वापसी की थी. 1980 के चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली के साथ मेडक (अब तेलंगाना में) सीट से भी लड़ी थीं और उन्होंने इसे जीत लिया था.

वायनाड में राहुल के रोड शो में उमड़ी भीड़फोटो : PTI 
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राजनीति में आने के बाद सोनिया का मैदान-ए-जंग बना बेल्लारी

1991 में राजीव गांधी की श्रीपेरेंबुदुर में आत्मघाती बम विस्फोट में हत्या कर दी गई थी. इसके सात साल बाद यानी 1998 में उनकी पत्नी सोनिया गांधी राजनीति में उतरी. 1999 के चुनाव में वह अमेठी के साथ कर्नाटक की बेल्लारी सीट से भी उतरीं. यहां उन्होंने बीजेपी की सुषमा स्वराज को 56 हजार वोटों से हराया था.

सोनिया को कर्नाटक में उतारने का कांग्रेस को जबरदस्त फायदा हुआ. राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 18 सीटें मिली थीं. , बीजेपी को 7 और जनता दल को 3 सीटें हासिल हुई थीं. जबकि इससे पहले कांग्रेस के पास यहां सिर्फ पांच सीटें थीं.

वायनाड की इस नदी में राजीव की अस्थियां हुई थीं विसर्जित

गांधी परिवार का दक्षिण से सिर्फ राजनीतिक रिश्ता ही नहीं जुड़ा है. परिवार से इसके संवेदनात्मक रिश्ते भी रहे हैं. राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी अस्थियों को वायनाड की पापनाशिनी नदी में ही विसर्जित किया गया था. मननथवडी से 30 किलोमीटर तिरुनेल्लि में राहुल गांधी के साथ केरल के सीएम रहे कांग्रेस नेता के करुणाकरन ने पापनाशिनी नदी में राजीव का अस्थि विसर्जन किया था. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी भी उनके साथ साथ वायनाड गए थे. यहां पहले राहुल ने थिरुनेल्ली मंदिर में पूजा अर्चना की, फिर अस्थियों को विसर्जित किया.

1991 में के. करुणाकरन ने ही वहां कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया था. राजीव गांधी की हत्या के बाद पार्टी को उनके प्रति लोगों की सहानुभूति का भरपूर फायदा मिला था. 1991 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वामपंथी दलों के नेतृत्व वाले एलडीएफ का प्रदेश से पूरी तरह सफाया हो गया था.

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Published: 04 Apr 2019,05:00 PM IST

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