Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Rajasthan election  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राजस्थान में BJP और चुनावों का 'रिवाज': दशकों से सरकार बदलने की कहानी बदलती नहीं दिख रही

राजस्थान में BJP और चुनावों का 'रिवाज': दशकों से सरकार बदलने की कहानी बदलती नहीं दिख रही

राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां 1990 के राम मंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी की सरकार बनी थी.

अमिताभ तिवारी
राजस्थान चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>राजस्थान और चुनाव का 'रिवाज': भारतीय जनता पार्टी को कैसे मिलती दिख रही बढ़त?</p></div>
i

राजस्थान और चुनाव का 'रिवाज': भारतीय जनता पार्टी को कैसे मिलती दिख रही बढ़त?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

राजस्थान (Rajasthan Election) समेत पांच राज्यों में चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है. हाल ही में आए सीवोटर (CVoter) के सर्वे से पता चलता है कि राजस्थान में रिवाज कायम रहेगा और BJP के जीतने की अधिक संभावना है. यहां तक ​​कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी पहले राजस्थना में जीत को लेकर आश्वस्त नहीं दिखे थे.

लेकिन राजस्थान बीजेपी में गुटबाजी के बावजूद बीजेपी के जीत की संभावना अधिक क्यों है? बीजेपी ने वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित क्यों नहीं किया?

मजबूत ट्रेंड

राजस्थान में पिछले तीन दशकों से हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा चलती आज रही है. इस तरह के ट्रेंड के पीछे- "विकास के लिए परिवर्तन जरूरी", एक मजबूत कारण है.

राजस्थान के अलावा पंजाब, तमिलनाडु और केरल में भी इसी तरह का ट्रेंड देखने को मिला था. हालांकि, इन राज्यों में सत्ता परिवर्तन के इस ट्रेंड पर ब्रेक लगा है. लेकिन राजस्थान में ऐसा हो सके इसके लिए किसी ठोस कारण की जरूरत है, जो मिसिंग है.

फोटो- द क्विंट

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बदलाव वाली सीटों की अधिक संख्या

परिसीमन के बाद से पिछले तीन चुनावों के ट्रेंड को देखें तो प्रदेश में 52 सीटें ऐसी हैं जो एक पार्टी से दूसरी पार्टी के पास आती-जाती रही हैं, बिल्कुल पेंडुलम की तरह.

इनमें से 47 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं 44 सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी-कांग्रेस जाती-आती रही है. ट्रेंड के मुताबिक, कांग्रेस इनमें से अधिकांश सीटें हार सकती है, जो बीजेपी की जीत का बड़ा कारण बन सकती है.

बदलाव वाली सीटों की अधिक संख्या

(सोर्स: ECI, Author's Calculations)

कांग्रेस के पास कम मजबूत सीटें

28 सीटें ऐसी हैं जिन पर बीजेपी ने पिछले तीन चुनावों में तीनों बार जीत हासिल की है, इन सीटों को बीजेपी का गढ़ कहा जा सकता है. वहीं, कांग्रेस के पास महज 5 सीटें ही ऐसी हैं.

वहीं 54 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस पिछले तीन चुनावों में एक बार भी नहीं जीती है, ये पार्टी की कमजोर सीटें हैं. अगर बीजेपी की बात करें तो उनके पास ऐसी सिर्फ 19 सीटें ही हैं.

बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस के पास मजबूत सीटों की संख्या कम और कमजोर सीटों की संख्या ज्यादा है और कांटे की टक्कर में यह पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

लोकल मुद्दों पर चुनाव

  • राज्य में सत्ता परिवर्तन का एक कारण तो लोकल मुद्दों पर लड़ा जाने वाला चुनाव है, यहां सीएम के चेहरे पर बहुत ज्यादा वोट नहीं पड़ते. सीएसडीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में सीएम के चेहरे को लेकर केवल 4 फीसदी मतदान हुआ था.

  • इससे बीजेपी को कांग्रेस विधायकों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने में मदद मिलेगी. सत्ता परिवर्तन का ये रिवाज कुछ विधायकों के इस्तीफे का कारण भी बनता है.

  • वहीं विपक्षी दल के विधायकों को सत्ता विरोधी लहर का नुकसान नहीं होता क्योंकि उनके पास ये बहाना होता है कि उनकी पार्टी सत्ता में नहीं थी. लेकिन जो सत्ता पक्ष के विधायक हैं उनके पास कोई बहाना नहीं होता और इस वजह से वे पार्टी बदल लेते हैं.

  • वहीं सीएम के चेहरे पर बहुत ज्यादा वोटिंग नहीं होती इसलिए बीजेपी को वसुंधरा राजे को अपना चेहरा घोषित करने की जरूरत नहीं है.

5 में से 2 क्षेत्र- बीजेपी का गढ़

पांच क्षेत्रों- मेवाड़, मारवाड़, ढूंढाड़ , शेखावाटी और हाड़ौती में से बीजेपी दो क्षेत्रों में मजबूत है. 2018 में चुनाव हारने के बावजूद बीजेपी हाड़ौती (वसुंधरा राजे का क्षेत्र) और मेवाड़ में 60 सीटों का प्रतिनिधित्व करते हुए कांग्रेस से आगे थी.

दो अन्य क्षेत्र - शेखावाटी और ढूंढाड़ ट्रेंड के अनुरूप बदलते हैं और वैकल्पिक दलों को वोट देते हैं. उन्होंने 2018 में कांग्रेस का समर्थन किया था और अब बीजेपी की बारी है, इन क्षेत्रों में 79 सीटें हैं.

2018 में बीजेपी की हार का एक कारण ढूंढार में हार थी, उसने मुश्किल से 10/58 सीटें जीतीं थीं. इसीलिए उसने अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए अब तक घोषित 7 सांसदों में से 4 को इसी क्षेत्र से मैदान में उतारा है.

बीजेपी का मजबूत संगठन

2019 के लिए इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर हर चुनाव में केवल 31% मतदाताओं ने हमेशा एक ही पार्टी को वोट दिया है. राजस्थान में यह संख्या बहुत अधिक है जो कि 50% के करीब है.

बीजेपी का संगठन आधार भी बहुत मजबूत है. राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां 1990 के राम मंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी की सरकार बनी थी.

राजस्थान में क्षेत्रवार बढ़त

(सोर्स: ECI, Author's Calculations)

पीएम मोदी की लोकप्रियता

राजस्थान में पीएम मोदी काफी लोकप्रिय हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में पीएम मोदी को पसंद करने वाले 32 फीसदी थे. आलोचक यह तर्क दे सकते हैं कि मोदी फैक्टर ने 2018 में बीजेपी को राहत नहीं दी तो अब यह कैसे हो सकता है.

2018 में, बीजेपी सत्ता में थी और इसलिए, लोग राज्य सरकार के प्रदर्शन को नजरअंदाज नहीं कर सकते थे. 2023 में, बीजेपी विपक्ष में है और वह सीएम चेहरे की घोषणा न करने और मोदी के नाम पर वोट मांगने के अपने आजमाए और परखे हुए मॉडल के साथ आगे बढ़ी है.

बीजेपी के लिए जोखिम

बीजेपी ने जो पहली 41 उम्मीदवारों की सूची जारी की है उसमें से कई सीटों पर पार्टी को बगावत का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी को इस विरोध को मैनेज करने की जरूरत है क्योंकि अगर ये नेता स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़े तो पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.

पार्टी को वसुंधरा राजे पर अधिक नजर रखने की जरूरत है क्योंकि उनके कुछ समर्थकों को टिकट नहीं दिया गया है. अगर वह गुपचुप तरीके से राजपूत और महिला समर्थकों को मतदान से दूर रहने के लिए कहती हैं तो इससे पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.

(लेखक एक स्वतंत्र राजनीतिक टिप्पणीकार हैं और एक्स (ट्विटर) पर इन्हें @politicbaaba के नाम से खोजा जा सकता है. व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. क्विंट हिंदी न तो उनका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT