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इन दिनों देशभर में गाय पर सियासत हो रही है. ''गाय हमारी माता है, उसका अपमान देश बर्दाश्त नहीं करेगा'', कुछ इस तरह के डायलॉग आपको हर दूसरे दिन सुनने को मिल जाएंगे. जब देशभर में गाय को लेकर चर्चा हो रही हो, ठीक ऐसे ही वक्त खबर आती है कि देश में इकलौते गाय मंत्री चुनाव हार गए.
राजस्थान के सिरोही विधानसभा से गाय पालन मंत्री ओटाराम देवासी तकरीबन 10 हजार वोटों से चुनाव हार गए. राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां पिछली सरकार ने गाय पालन मंत्रालय बनाया था. राज्य सरकार ने गोकशी को रोकने और गोशालाओं की स्थिति बेहतर बनाने के लिए इस मंत्रालय को बनाया था.
ओटाराम देवासी राजस्थान के मुंडारा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बीजेपी के टिकट से साल 2008 में सिरोही विधानसभा से चुनाव लड़ा था. ओटाराम पिछले दो बार से लगातार बीजेपी के टिकट से विधायक थे और इसी सरकार में गाय पालन मंत्री बने थे.
साल 2008 और 2012 दोनों विधानसभा चुनावों में ओटाराम ने कांग्रेस के संयम लोढ़ा को मात देकर अपनी सीट बरकरार रखी थी. ओटाराम धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं. वो राजनेता होने का साथ-साथ संत भी हैं.
पिछले कुछ महीनों में देशभर में गाय के नाम पर पहलू खान, अखलाक, सुबोध कुमार जैैसे कई लोगों की हत्याएं हुईं. अकेले राजस्थान के अंदर एक साल में गाय के नाम पर कई हिंसक वाारदात सामने आई हैं. ओटाराम खुद राजस्थान से गाय मंत्री हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जनता अब गाय पर होने वाली सियासत को समझने लगी है?
सवाल ये है कि जब देश भर में गाय-गाय का शोर था, तो उसी दौरान एक गाय मंत्री को जनता ने क्यों नकार दिया? लगता है कि गाय पर छिड़ी तकरार को जनता अब समझने लगी है.
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