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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया, सचिन पायलट और राज्यवर्धन राठौड़ जैसे कई दिग्गज नेताओं की किस्मत का फैसला जनता ने वोट डाल कर तय कर दिया है. अब राजस्थान चुनाव 2023 के रिजल्ट आने शुरू हो गए हैं.
ऐसे में जानिए कि आखिर राजस्थान के इन दिग्गजों को लेकर जनता ने क्या फैसला किया है. कौन से नेता आगे चल रहे हैं और कौन पीछे. हम राजस्थान की सभी वीआईपी सीटों का रिजल्ट पल-पल अपडेट कर रहे हैं. यहां देखें रिजल्ट...
राजस्थान के मुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस का चेहरा अशोक गहलोत 2018 में तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने, वो अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करने वाले हैं. इस बार भी उन्होंने अपने गढ़ यानी जोधपुर जिले के सरदारपुरा से चुनाव लड़ा. गहलोत ने 1977 में अपना पहला चुनाव भी इसी सरदारपुरा सीट से लड़ा था और जीता हासिल की थी. इस बार बीजेपी ने सरदारपुरा में सीएम गहलोत का मुकाबला करने के लिए महेंद्र सिंह राठौड़ पर दांव लगाया.
वसुंधरा राजे सिंधिया दो बार (2003-08 और 2013-18) राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इसके साथ ही, वे कैबिनेट के कई पद संभाल चुकी हैं. 1985 में उन्होंने धौलपुर से चुनाव लड़ा था. 2003 में पहली बार राजे ने झालरापाटन की सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. उसके बाद से वो लगातार यहां से जीतती आईं. वसुंधरा को उनके गढ़ में चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने राम लाल सिंह चौहान को चुनावी मैदान में आगे किया.
सचिन पायलट राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. वो सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. टोंक पायलट की पारंपरिक सीट है. 2023 के विधानसभा चुनाव में उनका मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने अजित सिंह मेहता को उतारा.
सीपी जोशी कांग्रेस के टिकट पर नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र से 5 बार विधायक रहे हैं. इस बार भी उन्होंने यहीं से चुनाव लड़ा। 2008 में नाथद्वारा के रोमांचक मुकाबले में सीपी जोशी बीजेपी के कल्याण सिंह से एक वोट से हार गए थे. इस साल बीजेपी ने नया प्रयोग करते हुए इस सीट से विश्वराज सिंह मेवाड़ को मैदान में उतारा. विश्वराज सिंह मेवाड़ के पूर्व राजा महाराणा प्रताप सिंह के वंशज हैं.
अलवर के वर्तमान सांसद बाबा बालकनाथ को बीजेपी ने तिजारा विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा. इन्हें राजस्थान को ‘योगी’ भी कहा जाता है. 2018 में तिजारा से पूर्व बीएसपी नेता संदीप कुमार ने जीत हासिल की थी. हालांकि, संदीप बाद में कांग्रेस में चले गए. बीजेपी के हिंदुत्व के मुद्दे के जवाब में यहां से कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार इमरान खान को चुनावी मुकाबले में खड़ा किया.
गौरव वल्लभ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. उन्होंने उदयपुर सीट से चुनावी दंगल लड़ा. 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने झारखंड से लड़ा था. उदयपुर सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के ताराचंद से हुआ. गौर करने वाली बात है कि गुलाब चंद कटारिया के नेतृत्व में 2003 से ही बीजेपी उदयपुर में मजबूत स्थिति में है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और ओलंपिक पदक विजेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने झोटवाड़ा से चुनाव लड़ा. राठौड़ जयपुर ग्रामीण से मौजूदा सांसद भी हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के युवा नेता अभिषेक चौधरी ने किया. 2018 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार लालचंद कटारिया ने जीत हासिल की थी.
लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस के गोविंद सिंह डोटासरा ने चुनाव लड़ा. वो राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष हैं. डोटासरा 2008 से ही लक्ष्मणगढ़ से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. इस चुनाव में बीजेपी के सुभाष मेहरिया ने उनके खिलाफ ताल ठोकी.
राजेंद्र सिंह राठौड़ चूरू की तारानगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के वर्तमान विधायक हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरेंद्र बुडानिया से रहा.
दीया कुमारी ने विद्याधर नगर सीट से चुनाव लड़ा. वे राजसमंद सीट से मौजूदा सांसद हैं. कुछ लोग उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार भी मानते हैं. वे राजस्थान के शाही परिवार की सदस्य हैं और जयपुर के अंतिम शासक मान सिंह द्वितीय की पोती हैं.
बता दें कि विधाधर नगर सीट पर वर्तमान विधायक नरपत सिंह राजवी को टिकट ना देकर बीजेपी ने दीया कुमारी को टिकट दिया. विद्याधर नगर निर्वाचन क्षेत्र पिछले छह प्रमुख चुनावों में बीजेपी के प्रति वफादार रहा है. कांग्रेस ने इस सीट पर सीताराम को दीया कुमारी के सामने खड़ा किया.
हनुमान बेनीवाल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख और नागौर से सांसद हैं, उन्होंने 2023 का चुनाव खींवसर से लड़ा है. खींवसर सीट फिलहाल उनके भाई नारायण बेनीवाल के पास है, जिन्होंने 2019 में हुए उपचुनाव में आरएलपी की तरफ से जीत दर्ज की थी. बेनीवाल ने 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में खींवसर सीट जीती. इस सीट को आरएलपी का गढ़ माना जाता है.यहां से कांग्रेस ने तेजपाल मिर्धा को, बीजेपी ने रेवत राम डांगा को आरएलपी उम्मीदवार के सामने खड़ा किया.
कांग्रेस ने सिवाना सीट से मानवेंद्र सिंह पर भरोसा जताया, जो बीजेपी के पूर्व विधायक और बीजेपी के कद्दावर नेता दिवंगत जसवंत सिंह के बेटे हैं.उनका मुकाबला बीजेपी के मौजूदा विधायक हम्मीर सिंह भायल से हुआ. कांग्रेस ने आखिरी बार इस सीट पर 1998 में जीत हासिल की थी.
किरोड़ी लाल मीणा बीजेपी के दिग्गज नेता और राज्यसभा सदस्य हैं. उन्होंने सवाई माधोपुर से पार्टी की बागी नेता आशा मीना(निर्दलीय) और कांग्रेस विधायक दानिश अबरार के खिलाफ चुनाव लड़ा. इस सीट पर 2018 का चुनाव कांग्रेस के अबरार ने जीता था.
गिर्राज सिंह मलिंगा तीन बार इस सीट से कांग्रेस के विधायक रहे हैं, वो 2008 से बाड़ी में लगातार जीत हासिल की. गिर्राज सिंह मलिंगा पहले कांग्रेस में थे. 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले वे बीजेपी में शामिल हो गए. इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रशांत सिंह परमार से है.
प्रताप सिंह खाचरियावास अशोक गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्रियों में से एक हैं और वर्तमान में सिविल लाइंस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के गोपाल शर्मा से है.
कांग्रेस ने धौलपुर सीट से शोभा रानी कुशवाह को उम्मीदवार बनाया है. 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की. हालांकि, राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग में शामिल होने के आरोपों के कारण उन्हें पिछले साल जून में बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था.उनके खिलाफ बीजेपी ने उनके बहनोई डॉ. शिवचरण सिंह कुशवाह को खड़ा किया है. बसपा ने इस मुकाबले में रितेश शर्मा को टिकट देकर इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का काम किया.
बीजेपी ने 2023 विधानसभा चुनाव में शाहपुरा सीट से उपेन यादव को चुनावी मैदान में उतारा है. बीजेपी लगातार 2 विधानसभा चुनाव में कैलाश चन्द्र मेघवाल के चेहरे पर यहां से जीत दर्ज करती आ रही है लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया. साथ ही निर्दलीय पर्चा भरने के लिए उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है. बेरोजगार संघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने पहली बार चुनावी मैदान में भाग्य आजमाया.
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