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Congress in Rajasthan Exit Polls 2023: राजस्थान की राजनीति की रवायत मरुधरा ने साफ कर दी है. एग्जिट पोल के आए नतीजों में मौजूदा सरकार पर खतरा मंडराता दिख रहा है. 10 एग्जिट पोल के नतीजों में 7 में बीजेपी सरकार की वापसी नजर आ रही है, जबकि 3 एग्जिट पोल ने अपनी अलग राय रखी है. अब सवाल है कि अशोक गहलोत का जादू क्यों नहीं चला? ऐसी क्या वजह रही कि गहलोत सरकार जनता का भरोसा खो बैठी. हालांकि, ये अंतिम परिणाम नहीं है, बस अंकगणितीय कायास हैं, लेकिन इन एग्जिट पोल्स ने बहुत कुछ साफ कर दिया है.
एबीपी न्यूज-सी वोटर के एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान में बीजेपी को 94-114 और कांग्रेस को 71-91 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं. दैनिक भास्कर के पोल में बीजेपी को 98-105 सीटें और कांग्रेस को 85-95 सीटें, जन की बात पोल में बीजेपी को 100-122 सीटें और कांग्रेस को 62-85 सीटें, पी-एमएआरक्यू पोल में बीजेपी को 105-125 सीटें और कांग्रेस को 69-91 सीटें मिलती दिख रही हैं.
वहीं, रिपब्लिक टीवी-मैट्राइज के पोल में राजस्थान में बीजेपी को 115-130 सीटें और कांग्रेस को 65-75 सीटें, टाइम्स नाउ-ईटीजी के पोल में बीजेपी को 108-128 सीटें और कांग्रेस को 56-72 सीटें और टीवी 9 भारतवर्ष -पोलस्ट्रेट के पोल में बीजेपी को 100-110 सीटें और कांग्रेस को 90-100 सीटें मिलने अनुमान लगाया गया है.
राजस्थान में न्यूज 24-टुडेज चाणक्य के एग्जिट पोल के आंकड़ों में कांग्रेस को 101 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जबकि बीजेपी को 89 सीटें मिल सकती हैं. इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के पोल के मुताबिक, बीजेपी को 80-100 सीटें और कांग्रेस को 86-106 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, इंडिया टीवी-सीएनएक्स के पोल में राजस्थान में बीजेपी को 80-90 सीटें और कांग्रेस को 94-104 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
किसी भी सरकार के सत्ता से बाहर होने में एंटी इनकंबेंसी की बड़ी भूमिका होती है. जनता की सरकार से नाराजगी चुनावों में दिखती है. कई एग्जिट पोल्स ने इस तरफ इशारा किया है, लेकिन जो आंकड़े सामने आएं हैं वो एंटी इनकंबेंसी को ज्यादा पूर्ण रूप से जस्टिफाई नहीं कर पा रहे हैं. इन एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार भले नहीं बन रही है, लेकिन हालात भी बुरे नहीं हैं. इस हिसाब से कह सकते हैं कि गहलोत सरकार एंटी इनकंबेंसी से बाहर निकलने में कामयाब रही है. यही वजह है कि जिन तीन एग्जिट पोल में सरकार बन रही है, इसी का नतीजा है.
अगर एग्जिट पोल के कायस परिणाम में बदले तो इसमें काफी हद तक भूमिका गहलोत के टिकट वितरण पर पुराने चेहरों को तवज्जों देना होगा. टिकट बंटवारे से पहले कहा जा रहा था कि आलाकमान कई चेहरों को बदलना चाहता है, लेकिन गहलोत इस बदलाव के खिलाफ थे. उन्होंने आलाकमान से साफ कह दिया था कि जो हमारे साथ थे, वो इस चुनाव में भी साथ रहेंगे. गहलोत नए चेहरों के बदले पुराने चेहरों पर दांव लगाना खुद को ज्यादा सुरक्षित लगा. लेकिन, वही सुरक्षा कांग्रेस की सत्ता से बाहर होने में मुख्य कड़ी हो सकती है.
राजस्थान में 25 नवंबर को चुनाव हुए. चुनाव से कुछ ही समय पहले गहलोत और पायलट, राहुल गांधी के साथ एक मंच पर नजर आए. लेकिन, उससे पहले इन दोनों के बीच की तल्खी किसी से छिपी नहीं है. इसका असर समर्थकों के बीच भी नजर आया. दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच की बयानबाजी ने प्रदेश की जनता की राय पर भी प्रभाव डाला. दोनों के बीच बनते उलझते रिश्तों ने प्रदेश की राजनीति को भी प्रभावित किया. दोनों नेताओं के लेकर सीएम फेस पर भी समर्थकों के बीच 'जंग' नजर आई.
गहलोत सरकार के नेतृत्व में प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर पर खूब सवाल उठे. NCRB के आंकड़ों में भी राजस्थान चर्चा का विषय रहा. रेप, हत्या, दंगा जैसे क्रइम्स की खबरों से गहलोत सरकार की छवि पर असर पड़ा. विपक्षी नेताओं ने इसको चुनावी मुद्दा बनाया और बीजेपी ने तो राजस्थान को 'रेपिस्तान' तक कह दिया. इसका असर भी कहीं ना कहीं कांग्रेस के खिलाफ गया, जिसका नतीज एग्जिट पोल के आंकड़ों में साफ नजर आ रहा है.
राजस्थान की जनता हर पांच साल में निजाम चेंज करने के लिए जानी जाती है. अधिकतर एग्जिट पोल ने इसके तरफ इशारा भी किया है. राजस्थान में अगर बीजेपी जीतती है तो करीब 3 दशक से चली आ रही वो परंपरा कायम रहेगी, जो 1993 के चुनाव में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद शुरू हुई थी. बता दें, 1993 के बाद से पिछले विधानसभा चुनाव तक राजस्थान में हर पांच सरकार में सरकार बदलती रही हैं. इस दौरान कांग्रेस और बीजेपी की सरकार ही बनती रही हैं.
हालांकि, एग्जिट पोल अंतिम परिणाम नहीं हैं, लेकिन इन कायसों ने गहलोत सरकार की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में 3 दिसंबर को ही पता चलेगा कि राजस्थान में किस करवट ऊंट बैठता है.
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