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झारखंड में 24 साल के एक मुस्लिम युवक, तबरेज अंसारी को चोरी के शक में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. भीड़ इस शख्स को 18 घंटे तक लगातार मारती रही. तीन दिन बाद, उसकी मौत हो गई.
इस घटना का अब एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें हमलावर युवक से जबरदस्ती 'जयश्री राम' के नारे लगवा रहे हैं.
झारखंड के मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाओं पर राजनीति करने का ट्रेंड काफी खतरनाक है. उन्होंने कहा, 'बीजेपी, आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल के साथ ऐसी घटनाओं को जोड़ने का इन दिनों ट्रेंड चल पड़ा है. ये कॉपी कर छापने का समय है.'
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घटना को 'भयावह और शर्मनाक' बताया. उन्होंने झारखंड सरकार से इस मामले में सख्त से सख्त कार्यवाई करने को कहा.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि ये लिंच की सभी घटनाओं का यही पैटर्न है. 'पहले, एक मुस्लिम को गोरक्षक मार देते हैं. फिर सबसे बकवास कारण: बीफ के शक में, चोरी के शक में और लव जिहाद.'
ट्विटर यूजर्स ने पूछा कि क्या ये 'नया इंडिया' है जहां टॉर्चर किया जा रहा है, हत्याएं हो रही हैं?
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने लिखा, ‘हिंदू भीड़ एक युवक को इसलिए मारती है क्योंकि उसने जयश्री राम बोलने से इनकार कर दिया था. क्या ये एनडीए 2.0 का नया इंडिया है? ये कौन सा तरीका है सबका विश्वास जीतने का?’
जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट में कहा, 'एक कहानी जो हम सभी का सिर शर्म से झुका देती है.'
वकील प्रशांत भूषण ने घटना पर लिखा, 'क्या ये नया इंडिया है जिसकी सरकार बात कर रही है? पुलिस भीड़ को टॉर्चर करने और मारने की खुली छूट दे रही है? कोई कानून या किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है?'
कई लोगों ने उसका जिक्र किया कि भारत ने अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि भारत में धार्मिक असहिष्णुता दक्षिणपंथी सरकार के अंदर बढ़ रही थी.
एक यूजर ने लिखा, 'आज इंडिया ने अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज कर दिया, ये कहते हुए कि देश सहनशीलता के लिए कमिटेड है.
कल झारखंड में एक मुस्लिम युवक से जबरदस्ती जयश्री राम के नारे लगवाए गए और भीड़ ने उसे पीट-पीट कर मार डाला. '
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने पूछा कि बीजेपी सरकार कैसे अमेरिका की रिपोर्ट को खारिज कर सकती है, जब मुस्लिमों और दलितों के साथ रोज ऐसी घटनाएं हो रही हैं.
एक ट्विटर यूजर ने पूछा कि 'क्या जयश्री राम मारने का लाइसेंस है?'
एक और ट्विटर यूजर ने ये बात उठाई कि कैसे देश में 'जयश्री राम' को थोपा जा रहा है. 'मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार इसके खिलाफ सख्त कानून लाएगी, बस एक बार वो संसद में सांसदों के जयश्री राम से निपट जाएं.'
जर्नलिस्ट रिफत जावेद ने ट्वीट में लिखा कि लोकल एसएसपी ने कहा है कि तबरेज अंसारी की मौत में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. जावेद ने पूछा कि तो फिर क्यों मारने से पहले उससे 'जयश्री राम' और 'जय हनुमान' के नारे लगवाए गए?
पत्रकार संजुक्ता बसु ने कहा, 'हिंदुत्व ब्रिगेड, मोदी भक्त अल्पसंख्यकों, खासकर के मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा को इंजॉय करते हैं. हमारे गुस्से का कोई मतलब नहीं है.'
एक्टिविस्ट कविता कृष्णन ने पूछा कि इस मामले पर विपक्ष क्यों अब तक चुप है? 'देश के पीएम और झारखंड की सीएम इस मामले पर चुप हैं, लेकिन विपक्ष के नेता, राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, मायावती, अखिलेश यादव.. आपकी चुप्पी का मतलब है कि आप विपक्ष नहीं हैं.'
इसपर खामोशी चुभ रही है. उदासीनता चिंताजनक है. और 'चोरी का संदेह' जैसे बहानों पर यकीन नहीं किया जाएगा. हमलावरों ने अंसारी को जीवन के लिए भीख मांगते हुए शूट किया, जबकि भीड़ खड़ी और देखती रही. भीड़ को जब पता चला कि वो मुस्लिम है, तो उससे 'जय श्री राम' का नारा लगाने को कहा गया.
तो, क्या 'सबका साथ' में अल्पसंख्यकों को शामिल करने के बारे में बात सिर्फ डायलॉग है? क्यों विपक्ष अल्पसंख्यकों के हक में आवाज नहीं उठा रहा है और क्यों उनके साथ हुए जघन्य अपराध की निंदा नहीं कर रहा है? हालांकि, इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और तीन आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन यह काफी नहीं है.
वक्त आ गया है कि सरकार लिंचिंग को एक खतरे के रूप में स्वीकार करे और कड़े कानून बनाए.
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