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फ्रीलांस पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया पर लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है. ट्विटर पर लगातार #ReleasePrashantKanojia और #FreePrashantNow जैसे हैशटेग ट्रेंड हो रहे हैं. 'अभिव्यक्ति की आजादी' की बात कहकर कई लोग फ्रीलांस पत्रकार को जेल से तुरंत रिहा करने की मांग कर रहे हैं. कनौजिया की गिरफ्तारी के खिलाफ सोमवार दोपहर एक बजे कुछ पत्रकार दिल्ली में प्रोटेस्ट मार्च भी निकालेंगे.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी बयान जारी कर कहा कि पत्रकार पर आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करना "कानून का दुरुपयोग" है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का पूरा बयान यहां पढ़ें
8 जून को यूपी पुलिस ने प्रशांत कनौजिया को एक महिला का वीडियो शेयर करने और कमेंट के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. जिसमें महिला ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से संबंध होने का बयान दिया था. महिला ने सीएम योगी के साथ अपने प्रेम संबंधों का दावा किया था.
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने कहा, "हम प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी की निंदा करते हैं. इस तरह आईटी अधिनियम के प्रावधानों का उपयोग, प्रेस की आजादी और हर एक सोशल मीडिया यूजर की अभिव्यक्ति पर हमले की तरह हो रहा है."
एक यूजर ने लिखा, पत्रकार प्रशांत कनौजिया को यूपी के सीएम के खिलाफ 'आपत्तिजनक' पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया. ऐसे लोकतंत्र का क्या भाग्य होगा, जहां कोई भी सवाल नहीं उठा सकता है?
सागरिका घोष ने लिखा, “गैर लोकतांत्रिक क्रिमिनल मानहानि कानून को खत्म कर देना चाहिए. एक वीआईपी सीएम के बारे में सूचना देने और बोलने की आजादी का इस्तेमाल करने पर प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी पुलिस और नेता द्वारा इस भ्रष्ट कानून का एक और दुरुपयोग है”
पत्रकार अनुभा भोंसले ने कहा- “सीएम आदित्यनाथ के खिलाफ व्यंग्यात्मक ट्वीट के लिए फ्रीलांस पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी कानून का दुरुपयोग है और बोलने की आजादी के खिलाफ है.”
जहां एक ओर सोशल मीडिया पर प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी का विरोध हो रहा है, वहीं कुछ लोग इस गिरफ्तारी को सही भी बता रहे हैं. उनका कहना है कि कनौजिया का अपराध एक व्यक्ति के रूप में भले ही गंभीर न हो, लेकिन एक पत्रकार के रूप में गंभीर है.
एक यूजर ने लिखा, “ये प्रशांत कनौजिया की फेसबुक पोस्ट है. क्या इस भाषा का पत्रकारिता से कोई लेना-देना है? कुछ लोग सिर्फ ट्विटर पोस्ट शेयर करेंगे, जबकि वह वास्तव में इस वजह से गिरफ्तार किया गया था. उसका अपराध एक व्यक्ति के रूप में गंभीर नहीं हो सकता है, लेकिन एक पत्रकार के रूप में है.”
एक यूजर ने लिखा, “अगर प्रशांत कनौजिया उस जनादेश का सम्मान नहीं कर सकते जो यूपी वालों ने सीएम योगी को दिया है, तो उन्हें बेकार बोलने से पहले लोकतंत्र को समझना होगा.”
ट्विटर पर प्रशांत की रिहाई की एक पोस्ट पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने लिखा, “क्या प्रशांत कनौजिया जैसे लोगों को हिंदू धर्म के खिलाफ बोलना पसंद है? क्या आपने उन्हें इस्लाम के खिलाफ बोलते देखा है?”
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