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जहां कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए एहतियातन वीकेंड कर्फ्यू का निर्णय लिया गया है वहीं उत्तर प्रदेश ने भी दिशा निर्देश जारी किए हैं. सरकारी गाइडलाइन में 6 जनवरी से नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया गया है जो कि रात के 10 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे तक प्रभावी रहेगा. इसके अलावा प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल 16 जनवरी तक बंद रहेंगे.
स्वीमिंग पूल, वॉटर पार्क एवं जिम पूर्णतया बंद रहेंगे वहीं रेस्टोरेंट, होटल, फूड ज्वाइंट और सिनेमा हॉल 50% की क्षमता के साथ संचालित होंगे.
सरकारी आंकड़ों की मानें तो मंगलवार को पूरे प्रदेश में 992 एक्टिव केस मिले. अगले दिन 5 जनवरी को यह आंकड़ा दोगुने से ज्यादा होकर 2038 हो गया है. इस अवधि में एक भी मौत नहीं हुई. गुरुवार को सबसे ज्यादा कोरोना के मामले गौतम बुध नगर जिले में मिले. पास के ही गाजियाबाद में 255 लखनऊ में 288 और मेरठ में 110 एक्टिव केस मिले हैं.
प्रदेश सरकार के अगर दावे की बात करें तो 20 करोड़ पचास लाख से अधिक टीकाकरण और 9 करोड़ 36 लाख से अधिक टेस्टिंग करके उत्तर प्रदेश टेस्टिंग और टीकाकरण में देश में प्रथम स्थान पर है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार टीकाकरण के लिए पात्र प्रदेश की कुल आबादी में लगभग 88 फ़ीसदी को 1 और 51 फ़ीसदी को दोनों डोज मिल चुकी हैं.
3 जनवरी से प्रारंभ हुए 15 से 18 आयु वर्ग के बच्चों के टीकाकरण की बात करें तो सरकार का दावा है कि अभी तक तीन लाख से ज्यादा किशोरों ने कोविड टीकाकरण प्राप्त कर लिया है.
कांग्रेस द्वारा बरेली में आयोजित मैराथन में हुई भगदड़ के बाद कोविड के बढ़ते प्रभाव के बीच हो रही चुनावी रैलियों और आयोजनों से सोशल मीडिया पर राजनैतिक पार्टियों को लोगों की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था. इस घटना के बाद कांग्रेस ने प्रदेश में आयोजित होने वाली सारी मैराथनों और रैलियों को रद्द कर दिया है.
6 जनवरी को गौतमबुधनगर में होने वाली मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली को भी रद्द कर दिया गया है. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव की रैली और कार्यक्रमों पर भी कोरोना के बढ़ते प्रभाव का असर दिखा है और 7 जनवरी को गोंडा में होने वाली पदयात्रा को रद्द कर दिया गया है.
कोरोना के बढ़ते आंकड़े चुनाव आयोग के लिए भी चिंता का विषय होंगे और यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आयोग वर्चुअल रैली कराने पर जोर देगा जिसकी तैयारी विभिन्न राजनीतिक दलों ने पहले से ही शुरू कर दी है. सूत्रों की मानें तो डिजिटल मीटिंग और जनसभा कराने के लिए उपयोग होने वाले सभी संसाधनों को जुटाने में सभी पार्टियां लग गई हैं.
कयास यह अभी लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में अगर कोरोना के आंकड़ों ने बहुत तेजी पकड़ी तो चुनाव टालने पर भी निर्णय लिया जा सकता है लेकिन इस पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग का ही होगा. चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने कुछ दिनों पहले लखनऊ में बैठक कर चुनाव तैयारियों का जायजा लिया था और बाद में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने तैयारियों से संबंधित अपना पक्ष रखा. उस समय यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि चुनाव टालने को लेकर किसी प्रताव पर चर्चा हुई या नहीं.
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