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बरदउत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Election Results 2022) के नतीजे आ चुके हैं. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में बीजेपी ने राज्य में प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन औरैया जिले में ऐसा होता नहीं दिखा. जिले की तीन विधानसभा सीटें औरैया, दिबियापुर और बिधुना है. इनमें से दो सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की है, जबकि बीजेपी को सिर्फ 1 सीट मिली. दिबियापुर में भी एसपी-बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर हुई, लेकिन एसपी नेता प्रदीप कुमार यादव ने 473 वोटों से बाजी मार ली.
दिबियापुर
जीते- प्रदीप यादव (एसपी) - वोट 80,865
दूसरे - लाखन सिंह राजपूत (बीजेपी) - वोट 80,392
तीसरे - अरुण कुमार दुबे (बीएसपी) - 31,500
चौथे- ओम प्रकाश राजपूत (जनादीप पार्टी) - वोट 7,021
बिधुना
जीते- रेखा वर्मा (एसपी) - वोट 97,257
दूसरे - सुश्री रिया शाक्य (बीजेपी) - वोट 89,492
तीसरे - गौरव रघुवंशी (बीएसपी) - वोट 32,220
चौथे- संजीव कुमार (जनादीप पार्टी) - वोट 927
औरेया सदर
जीते- गुडिया कठेरिया (बीजेपी) - वोट 88,631
दूसरे- जितेंद्र दोहरे (एसपी) - वोट 66,184
तीसरे- रवि शास्त्री दोहरे (बीएसपी) - वोट 36,159
चौथे - नोटा - वोट 1,192
यहां पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी की तीनों सीटों पर जबरदस्त टक्कर रही है.
औरैया जिले के लोगों का कहना है कि ब्राह्मण वोट जिस तरफ झुकता है, जीत उसकी होती है. हालांकि, कुछ दिन पहले एक बीजेपी नेता के एक जाति विशेष को लेकर गाली देने का वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद औरैया जिले के आस-पास के ब्राह्मणों ने आरोपी नेता पर कार्रवाई न होते देख कोतवाली का घेराव किया था. बाद में माहौल बिगड़ता देख पुलिस की तरफ से आरोपी बीजेपी नेता को गिरफ्तार किया गया था. उस समय ब्राह्मण वोट बीजेपी से कटना चालू हुआ और अंत मे वोट बैंक एसपी की तरफ चला गया. हालांकि सवर्णों में से क्षत्रिय ने बीजेपी को वोट किया, पर वह पर्याप्त नहीं हुआ.
औरैया जिले में दलित वोटों की अगर बात की जाए, तो लगभग 76,175 हैं, जिसके बाद ब्राह्मण वोट 36,654 हैं, यह दलित वोटवोट हर बार औरैया विधानसभा में किसी भी प्रत्याशी को जिताने के लिए अहम भूमिका रखता है. इन वोटों ने इस बार सपा का साथ दिया. तीनों ही सीट पर दलित वोट सपा के पक्ष में ज्यादा जाता दिखा.
औरेया जिले की सबसे चर्चित सीट दिबियापुर सीट पर जीते उम्मीदवार प्रदीप यादव पहले इटावा से सांसद और विधायक भी रहे चुके है. प्रदीप यादव की यहां हर वर्ग में अच्छी पकड़ है. लगातार यहां पर लाखन सिंह राजपूत का जबर्दस्त विरोध रहा. वो उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी थे लेकिन जनता से तालमेल बहुत कम रहा. मंत्री का विराेध उन्हें हार की ओर ले गया.गया.
औरेया से समाजवादी पार्टी का पलड़ा ज्यादा भारी रहता ही है, क्योंकि ये इलाका शुरुआत से ही मुलायम सिंह यादव की पकड़ में रहा.पहले ये इटावा में ही आता था. बाद में मुलायम सिंह ने इसको अलग जिला घोषित करवाया.
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप शुक्ला का कहना है, "औरेया शुरुआत से ही समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है. मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि के रूप मे औरेया जाना जाता थीं, लेकिन मोदी आने के बाद यहां के वोटरों का मन 2017 में बीजेपी की ओर डायवर्ट हुआ था, और यहां 3 सीटें बीजेपी ने जीती थी, लेकिन जनता के साथ यहां पर जाती-पाती की राजनीति होने लगी और फिर से जनता का रुख समाजवादी पार्टी की ओर गया और 2022 मे 3 में 2 सीटें समाजवादी पार्टी को गई."
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