EXIT POLL पर खूब शोर, लेकिन 50% में गलतियां घनघोर

18 सालों के चुनावों के Exit Polls बता रहे हैं कि कभी भी एग्जिट पोल नतीजों की बिल्कुल साफ तस्वीर नहीं बता पाती.

क्विंट हिंदी
उत्तर प्रदेश चुनाव
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EXIT POLL पर

(फोटो : क्विंट हिंदी) 

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पांच राज्यों की वोटिंग के बाद एग्जिट पोल (Exit Poll) की मानो बाढ़ आ चुकी है. अलग-अलग चैनल्स और एजेंसियों ने एग्जिट पोल के आंकड़े जारी कर दिए हैं. ये पोल्स बता रहे हैं कि पांच में तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड में बीजेपी सरकार बनाने के करीब पहुंच रही है. पंजाब में आम आदमी पार्टी को ये पोल्स बहुमत के आंकड़े पर दिखा रहे हैं. पर जरा ठहरिए, क्या हम इन पोल्स को पूरी तरह से सच मान लें? जब भी एग्जिट पोल्स आते हैं तो उनके सटीक होने पर सवाल उठते हैं.

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इन सवालों का जवाब देने हम पिछले कुछ समय में किए गए एग्जिट के वे आंकड़े आपके सामने रखते हैं, जब एग्जिट पोल का दूर-दूर तक सच्चाई से कोई वास्ता नहीं नजर आता.

साल 2004 लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल की सच्चाई

अगर हाल का ही कोई उदाहरण देखें तो पिछले साल का पश्चिम बंगाल चुनाव हमारे सामने है. कोरोना महामारी के दौरान हुए पश्चिम बंगाल चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल ने BJP को 130 से 170 तक के बीच में सीटें मिलने का दावा किया, लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी महज 77 सीटों पर सिमट गई और ममता बनर्जी की TMC ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई.

इससे पहले के समय पर गौर करें तो एग्जिट पोल्स की नाकामी का सबसे चर्चित वाकया 2004 में दिखता है. उस वक्त ज्यादातर एग्जिट पोल्स में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के फिर सत्ता में आने की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन नतीजे बिल्कुल उलट. एनडीए को 189 सीटों पर ही सिमट गया और कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए ने 222 सीटें लाकर सरकार बनाई. डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने.

2004 के बाद अगले चुनाव यानी 2009 में भी एग्जिट पोल्स फेल हुए. ज्यादातर एग्जिट पोल्स में यह तो कहा गया कि यूपीए को बढ़त मिलेगी लेकिन किसी ने भी कांग्रेस की ज्यादा सीटें न बताकर उसके सहयोगियों की सीटें ज्यादा बताई थीं. उस बार कांग्रेस अकेले ही 200 के पार पहुंचकर 206 सीटें लाई और यूपीए सरकार बनी.

बिहार में भी फेल एग्जिट पोल

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी एग्जिट पोल्स पूरी तरह गलत साबित हुए. पोल्स में बीजेपी गठबंधन को लालू नीतिश के जेडीयू-आरजेडी गठबंधन पर बढ़त बताई गई थी, लेकिन नतीजे जब आए तो बीजेपी गठबंधन 58 सीटों पर सिमट गया. जबकि लालू नीतिश ने 178 सीटें जीत कर परचम लहरा दिया.

2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में भी ऐसा ही हुआ. तब एग्जिट पोल्स में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की बात कही गई थी. हालांकि कांग्रेस ने 69 सीटें जीतीं. जबकि भाजपा 14 सीटों पर सिमट गई.

बिहार विधानसभा के साल 2020 में हुए चुनावों में भी ऐसा ही हुआ. तब ज्यादातर चैनल और एजेंसियों ने लालू के राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस गठबंधन की जीत का दावा किया था. पर रिजल्ट आने पर बीजेपी और JDU गठबंधन ने तीसरी बार सरकार बनाई.

दिल्ली विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल

2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल्स में बीजेपी की सरकार बनने की बात कही गई थी और आम आदमी पार्टी को कम सीटें बताई थी, पर फाइनल रिजल्ट में यहां बीजेपी 32 सीटें पाकर बहुमत से तीन सीटें पीछे लटक गई और केजरीवाल की नई नवेली पार्टी ने 28 सीटें पाकर शानदार प्रदर्शन किया था.

तो ये रहे एग्जिट पोल्स के फेल होने के पुराने मामले. इसके साथ ही एक इंट्रेस्टिंग आंकड़ा बता दें कि जब हमने इस वीडियो के लिए पिछले 18 सालों के चुनावों के एग्जिट पोल्स पर रिसर्च की तो पता चला कि कभी भी एग्जिट पोल्स नतीजों की बिल्कुल एक्यूरेट तस्वीर नहीं बता पाते. हालांकि कुछेक बार पोल्स लगभग तौर पर सही साबित हो जाते हैं. फिर भी इनके गलत होने का प्रतिशत 50% है. यानि अभी तक के एग्जिट पोल्स में आधे के लगभग गलत ही हुए हैं. जो बाकी का पचास प्रतिशत है, वह फाइनल आंकड़ों के आसपास ही आ पाए हैं. कभी भी कोई पोल चुनाव परिणाम की जस की तस स्थिति पहले से नहीं बता पाया है.

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