advertisement
पश्चिमी उत्तर प्रदेश (West UP) और पूर्वी उत्तर प्रदेश (East UP) को जोड़ने वाले जनपद फर्रुखाबाद(Farrukhabad) की सभी चारों सीटों ने इस बार बीजेपी से गांठ जोड़ी. चारों विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी उम्मीदवार ही जीते. 192 कायमगंज विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी और अपनादल एस के गठबंधन की तरफ से डॉ.सुरभि गंगवार चुनाव लड़ी और जीत भी दर्ज करवा दी. वहींं विधानसभा क्षेत्र 193 अमृतपुर से बीजेपी के सुशील शाक्य ने एसपी के जितेंद्र यादव को पटखनी देते हुए जीत दर्ज की. 194 फर्रुखाबाद सदर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के सुनील दत्त द्विवेदी ने एसपी के प्रत्याशी सुमन शाक्य को पछाड़ते हुये जीत दर्ज की है. 195 विधानसभा क्षेत्र भोजपुर से भी बीजेपी ही जीती. यहां से नागेंद्र सिंह राठौर ने एसपी के अरशद जमाल सिद्दीकी को चुनाव हराकर जीत दर्ज की.
पूर्व सांसद एवं भारत सरकार के पूर्व विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद का गढ़ कहे जाने वाले फर्रुखाबाद से कांग्रेस कोई गुल नहीं खिला पाई. जनपद की चारों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हुई है. फर्रुखाबाद सदर सीट से सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद इस बार चुनाव लड़ रही थी. उनको मात्र 2033 वोट ही मिले और उनकी जमानत जब्त हो गयी. आपको बता दें कि सलमान खुर्शीद का पैतृक गांव पितौरा जो कि कायमगंज विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है, वहां से भी कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई है.
अपनादल/भाजपा (डॉ. सुरभि गंगवार) -114647
सपा (सर्वेश अम्बेडकर) -96400
बसपा (दुर्गाप्रसाद) -18441
कांग्रेस (शकुंतला) -2243
भाजपा (सुशील शाक्य) -98848
सपा (जितेंद यादव) -54162
बसपा (अमित कुमार) -13049
कांग्रेस (शुभम) -1313
भाजपा (सुनील दत्त द्विवेदी)-111497
सपा (सुमन शाक्य)-38687
बसपा (विजय कटियार)-16478
कांग्रेस (लुईस खुर्शीद)-2033
भाजपा (नागेंद्र सिंह राठौर)-99979
सपा (अरशद जमाल सिद्दीकी)-27458
बसपा (आलोक वर्मा)-15714
कांग्रेस (अर्चना राठौर)-2053
यादव लैंड का मुख्य क्षेत्र कहे जाने वाले फर्रुखाबाद में पहले एसपी के लिए स्थिति मुफीद कही जा रही थी, पर यहां के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने गांव गांव जाकर केंद्रीय नेतृत्व, पीएम मोदी और सीएम योगी की नीतियों की ब्रांडिंग की. इसका पार्टी को फायदा मिला.
फर्रुखाबाद जनपद के सभी विधानसभा क्षेत्रोंं का इतिहास रहा है कि वोटर यहां कभी चेहरा देखकर वोट नहीं देते. यहां से आने वाले सलमान खुर्शीद कांग्रेस के बड़े नेता हैं. वे बड़ों पदों पर भी रहे. इसके बाद भी इस सीट से जनता ने जितनी बार उन्हें जीत नहीं दी उससे ज्यादा हराया है. ऐसे में यहां परिवर्तन के पूरे चांसेज मौजूद रहते हैं. एसपी वोटर के इस व्यवहार केा अपने पक्ष में नहीं भुना पाई और योगी की आंधी में यह जनपद भी उनके साथ ही चला गया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)