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शामली: मुस्लिम-जाट समीकरण ने बिगाड़ा BJP का खेल, Yogi लहर के बावजूद हारी सब सीट

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हवा के बावजूद कैराना, थाना भवन और शामली विधानसभा सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा.

क्विंट हिंदी
उत्तर प्रदेश चुनाव
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<div class="paragraphs"><p>अखिलेश यादव के साथ जयंत चौधरी</p></div>
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अखिलेश यादव के साथ जयंत चौधरी

(फोटो: ट्विटर)

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उत्तर प्रदेश में बीजेपी एक बड़े बहुमत से सत्ता में वापसी कर रही है, लेकिन शामली जनपद में बीजेपी तीनों सीट पर चुनाव हार गई है. प्रदेश में बीजेपी की हवा के बावजूद कैराना, थाना भवन और शामली विधानसभा सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. 2017 में बीजेपी ने यहां की दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार सारे समीकरण फेल हो गए और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

किस सीट पर क्या स्थिति ?

शामली

जीते- प्रसन्‍न चौधरी (RLD)- 1,03,070 वोट

दूसरे- तेजेंद्र सिंह निर्वाल (बीजेपी)- 95,963 वोट

तीसरे- बिजेंद्र (बीएसपी)- 8,183 वोट

चौथे- मो. अयूब जंग (कांग्रेस)- 780 वोट

कैराना

जीते- नाहिद हसन (एसपी)- 1,31,035 वोट

दूसरे- मृगांका सिंह (बीजेपी)- 1,05,148 वोट

तीसरे- राजेंद्र (बीएसपी)- 2077 वोट

चौथे- अखलाक (कांग्रेस)- 1522 वोट

थानाभवन सीट

जीते- असरफ अली खान (RLD)- 1,03,751 वोट

दूसरे- सुरेश कुमार राणा (बीजेपी)- 92,945 वोट

तीसरे- जहीर मलिक (बीएसपी)- 11,039 वोट

चौथे- शेरपाल उर्फ सुधीर उर्फ शेर सिंह (निर्दलीय)- 3975 वोट

शामली में बीजेपी की हार के कारण

1. इन नतीजों से जो बातें निकलकर सामने आईं हैं, उनसे लग रहा है कि मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद जो मुस्लिम-जाट समीकरण गड़बड़ा रहा था वह इस बार मजबूत हुआ है. जिसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा है.

2. यहां पर किसानों का मुद्दा भी बीजेपी की हार का एक कारण माना जा रहा है. ऐसे कई मुद्दे थे जिन्हें लेकर किसानों में आक्रोश था. वोटिंग के जरिए किसानों ने सरकार के खिलाफ अपना असंतोष जाहिर किया है.

3. थानाभवन सीट पर गन्ना मंत्री सुरेश राणा को जाट-मुस्लिम गठबंधन भारी पड़ा. किसानों की गन्ना भुगतान में हुई देरी की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ठाकुर शेर सिंह के चुनाव लड़ने से भी बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ा.

4. शामली विधानसभा सीट पर मुस्लिम क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत अधिक होने और प्रसन्न चौधरी के पक्ष में भारी मतदान होने से वह अपनी सीट को बचाने में सफल रहे. लेकिन यहां बीजेपी ने प्रसन्न चौधरी को टक्कर दी है.

5. कैराना विधानसभा सीट पर जाटों का एक मुश्त वोट नाहिद हसन के पक्ष में था. इस सीट पर सबसे अधिक 75 फीसदी मतदान ने नाहिद हसन की जीत के अंतर को भी बढ़ा दिया है. तो वहीं नाहिद हसकी की बहन इकरा हसन ने शानदार चुनाव प्रबंधन किया, जिससे बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.

वहीं, शामली सहित पूरे प्रदेश में दलित वोट बीजेपी के पक्ष में ट्रांसफर होता दिखाई दिया, जिसकी वजह से विपक्षी प्रत्याशियों की जीत के अंतर पर असर पड़ा है.
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2017 में क्या था परिणाम ?

2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने शामली जिले में अच्छा प्रदर्शन किया था. बीजेपी ने तीन में से दो सीटों पर कब्जा जमाया था. शामली सीट से बीजेपी के तेजेंदर निरवाल ने कांग्रेस के पंकज मलिक को हराया था. थानाभवन सीट से बीजेपी के सुरेश राणा ने जीत हासिल की थी. कैराना सीट से एसपी के नाहिद हसन 98,830 वोटों के साथ जीते थे.

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