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भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद (Chandrasekhar Azad) "रावण" ने पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर बयान जारी करते हुए कहा कि वो एसपी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे, क्योंकि अखिलेश यादव ने मेरा अपमान किया है. चन्द्रशेखर ने द क्विंट से बात करते हुए अखिलेश यादव पर धोखा देने का आरोप लगाया है.
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव से पिछले 6 महीनों से गठबंधन पर बातचीत चल रही थी, मैं पांच सीटों तक के लिए तैयार हो गया था लेकिन आखिरी में आकर उन्होंने मुझे धोखा दे दिया.
चंद्रशेखर ने क्विंट से बात करते हुए आगे कहा कि अखिलेश यादव ने मुझसे पूछा कि चुनाव लड़ने का मन है, तो मैंने मना कर दिया, उसके बाद उन्होंने पूछा कि हम चुनाव लड़ाएं? तो मैंने जवाब दिया कि अगर आपका लड़ाने का मन है तो जहां से योगी आदित्यनाथ लड़ेंगे वहां से लड़ा दीजिएगा.
उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मैं समझता हूं कि मेरे साथ ही नहीं, हर उस शख्स के साथ जो जमीन से उठकर आता है और अपने हक, अधिकार और हिस्सेदारी की बात करता है तो उसको इन सब चीजों का सामना करना पड़ रहा है और करना पड़ा होगा. डॉ. अंबेडकर को भी करना पड़ा होगा, मान्यवर काशीराम को भी करना पड़ा होगा. हमारे जो रहबर हैं, हम जिनको नेता मानते हैं उन सबको करना पड़ा होगा. उसी कड़ी में मुझे भी करना पड़ रहा है. हमारे आंदोलन की शुरुआत है, सब लोग इतनी आसानी से तो स्वीकार नहीं करेंगे. परिवर्तन प्रकृति का नियम है, लेकिन स्वीकार नहीं होता है.
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि केन्द्र सरकार के जरिए मैं करीब ढाई साल तक जेल में रहा, मैंने लाठियां खाईं, आंदोलन चलाया. मैंने ये महसूस किया कि भारतीय जनता पार्टी का सत्ता में रहना बेहद खतरनाक है क्योंकि ये सरकार लोकतंत्र विरोधी है, संविधान विरोधी है. जो देश का पूरा स्ट्रक्चर है उसको प्राईवेट करके, बेचकर ये सरकार देश को गुलाम बना देना चाहती है, कमजोर कर देना चाहती है और इसके पीछे बहुत बड़ा आरएसएस एक सिस्टम खड़ा किया गया है. इसलिए मैंन प्रयास किया कि एक बहुजन एकता बने और मैं लंबे समय से कह रहा था कि एक लार्जर अलायंस बनना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जब गठबंधन का ऐसा प्रयास मान्यवर काशीराम और मुलायम सिंह जी ने किया था तो सरकार बनी थी, लोकसभा में गठबंधन किन कारणों से विफल हुआ मैं उस पर चर्चा नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा कि विधानसभा में ये गठबंधन एक बड़ा रोल अदा कर सकता था, तो मैंने इसके लिए प्रयास किया कि दलितों का प्रतिनिधित्व अगर सही तौर पर मिल जाए. जैसा कि मेरे साथ तय भी हुआ था, तो मैं अपनी बात रखने के लिए गया था और अंत समय में प्रस्ताव को ना के बराबर कर गए. उन्होंने सोचा कि जब मैं इसकी हिस्सेदारी खत्म करके न के बराबर बात करूंगा तो ये मना करके चला जाएगा.
बात कहां अटक गई...इस सवाल पर जवाब देते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि हमारी बात 6 महीने पहले शुरू हुई थी और हमारा एक प्रस्ताव था, जिस पर सहमति बनी थी. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी हमने एक-दूसरे की मदद ली, मैंने बिजनौर में उनकी मदद की. उनके पार्टी के मेंबर भले ही भाग गए हों लेकिन भीम आर्मी के लोगों ने उनका सपोर्ट किया.
अखिलेश यादव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आपके जो चाचा हैं वो भी तो यही बात कह रहे हैं कि उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा, हिस्सेदारी मिलेगी. जब आपके परिवार के लोग हिस्सेदारी ले रहे हैं तो आप इतने बड़े समाज को कैसे नकार सकत हैं.
उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि मैंने हिस्सेदारी की बात की और मुझे इस बात का दुःख भी था कि ये गठबंधन अगर नहीं बनता है तो बीजेपी सत्ता में वापसी करेगी, अगर ऐसा होता है तो इसके लिए मैं दोषी नहीं हूं, इसके लिए वही दोषी होंगे क्योंकि मैंने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया.
चंद्रशेखर ने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार में जो हुआ, दलितों में उसको लेकर पीड़ा है, दलितों ने खून के आंसू रोए हैं. हमारी मांग थी कि बीजेपी को हराना जरूरी है लेकिन हमारा प्रतिनिधित्व होना भी जरूरी है.
अखिलेश यादव ने कहा कि मैंने दो सीटों का प्रस्ताव रखा तो चंद्रशेखर आजाद किसी से बात करने के बाद मना कर दिए. इस पर जवाब देते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि....
आप अखिलेश यादव से गठबंधन की चर्चा को लेकर कितनी बार मिले हैं और क्या बात हुई है, क्या बता सकते हैं?
इस पर चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि मैंने उनसे कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए मैं पूरी तरह से समर्पित हूं इसलिए मैं पांच सीटों पर भी सम्झौता कर लूंगा. मैं कोई मंत्री पद के लालच के लिए और कोई विधायक बनने के लिए वहां पर नहीं गया था. मैं पार्टी की हिस्सेदारी के लिए गया था.
मेरी उनके प्रति कोई नाराजगी नहीं है. उनकी नजरों में अभी दलित बहुत हल्के हैं, दलित अपनी ताकत तैयार करेगा.
चंद्रशेखर आजाद का अगला कदम क्या होगा, क्या कांग्रेस या AIMIM के साथ गठबंधन होगा?
इस पर उन्होंने कहा कि दलित अब ज्यादा दिन धोखा नहीं खाने वाले हैं. आगे क्या होगा, इसके लिए इंतजार करना होगा. मैं नहीं चाहता था कि हल्के से बिखराव की वजह से भी बीजेपी को फायदा मिले, मैंने अपनी तरफ से सारे प्रयास किए.
क्या मायावती के शांत रहने से बीजेपी को फायदा होगा?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं उनके बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं, क्योंकि यह उनको सोचना है.
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