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आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का विधानसभा चुनाव होने वाला है. एआईएमआई के चीफ असदुद्दीन ओवैसी यूपी में एक ऐसे उम्मीदवार हैं, जो हमेशा की तरह एक दिलचस्प खिलाड़ी बनकर सामने आए हैं. क्विंट से बात करते हुए ओवैसी ने यति नरसिंहानंद पर बात करते हुए कहा कि जज साहब को समझना चाहिए कि जब धर्म संसद होता है, देश के संविधान को खत्म करने की बात और अल्पसंख्यक समाज के लोगों के कत्लेआम की बात और मुझे जान से मारने की बात की जाती है.
ओल्डर जनरेशन के मुसलमानों के लिए आप अभी पराए हैं और आपको बीजेपी की बी टीम कहते हैं, उनको कैसे अपने साथ लेंगे?
जो लोग मेरा विरोध करते हैं, ये उनका अधिकार है लेकिन मैं एक बात कहना चाहूंगा कि आप ये बताइए कि हम 2019 के दौरान यूपी में लोकसभा चुनाव नहीं लड़े, तो कैसे बीजेपी ने जीत हासिल की... मेरी वजह से तो बीजेपी नहीं जीत रही है ना, अखिलेश तो 2017 का भी चुनाव हारे हैं. बीजेपी इसलिए जीत रही है कि बहुसंख्यक समुदाय का साथ बीजेपी को मिल रहा है.
मुसलमानों को हमेशा से परेशान किया गया, सीएए में मारा गया...मैं मुसलमानों से पूछना चाहता हूं कि कौन आपका नेता है, आपकी लड़ाई कौन लड़ेगा?
एसपी, बीएसपी, कांग्रेस,आरएलडी सारी पार्टियों को मुसलमानों ने वोट दिया है, उस तरफ से भी तो मुसलमानों को टिकट दिए जा रहे हैं?
जब मुजफ्फरनगर का कांड हुआ तो, 50 हजार के करीब लोग बेघर हुए थे. मैं कह रहा हूं कि 2013 में 69 मुस्लिम विधानक यूपी विधानसभा में थे, उनका रिकॉर्ड उठाकर देखिए उन्होंने मुजफ्फरनगर के लिए आवाज नहीं उठाई थी. जिस पार्टी से वो जीतते वो मुस्लिम समाज के नेता नहीं होते.
हमारी लड़ाई ये है कि जब एक समाज की पॉलिटिकल लीडरशिप होगा, नेता होगा तभी उसकी मुश्किलें हल होती हैं.
अखिलेश यादव ने कई मुस्लिम नेताओं का टिकट क्यों काटा, अखिलेश यादव ने धर्म संसद पर कोई स्टेटमेंट क्यों नहीं दिया... आप बोलना ही नहीं चाहते, मुसलमान के बजाय अल्पसंख्यक समाज भी नहीं बोलना चाहते.
आपने बाबू कुशवाहा को मुख्यमंत्री कैंडीडेट का दर्जा दिया, कोई मुस्लिम क्यों नहीं चुना आपने?
हमने ये तय किया कि अगर उत्तर प्रदेश की जनता हमें मौका देती है तो बाबू सिंह कुशवाहा साहब ढाई साल के लिए पहले मुख्यमंत्री होंगे और दूसरे ढाई साल के लिए दलित समाज से मुख्यमंत्री होगा...और पांच साल में तीन डिप्टी सीएम जो दो पिछडे समाज के होंगे और एक मुसलमान रहेगा.
हम शुरू से ये कह रहे हैं कि ये पॉलिटिकल पार्टीज क्यों डिप्टी सीएम का चेहरा नहीं तय करतीं? ये मजदूरी भी कराती हैं और मजदूरी भी नहीं देतीं. हम हर चाहते हैं कि हर चीज में सबको हिस्सा मिले.
एआईएमआईएम एलाइंस के गेम में स्ट्रॉन्ग क्यों नहीं है?
पहली बात तो ये है कि राजभर खुद भाग गए, मगर उसमें जितनी पार्टियां थी बाबूसिंह कुशवाहा साहब के साहब के साथ आ गई हैं. दूसरी बात मैं किसी पार्टी पर दबाव नहीं बना सकता कि वो मेरे साथ आए.
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