आजादी के 7 दशक बाद भी पानी के लिए तरसता यूपी का एक गांव

जलेसर विधानसभा की ग्राम पंचायत तखावन में आज भी लोग पानी के लिए बाहर से आते लोगों के हाथ निहारते हैं

शुभम कुमार
उत्तर प्रदेश चुनाव
Updated:
<div class="paragraphs"><p>ग्राम पंचायत तखावन</p></div>
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ग्राम पंचायत तखावन

फोटो- Piyush Rai 

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हमारे देश में आज भी एक बड़ी आबादी पानी के संकट से अभी तक नही उभर पा रही है, ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के जनपद एटा की जलेसर (Jalesar) विधानसभा से सामने आया है, जलेसर विधानसभा की ग्राम पंचायत तखावन में आज भी लोग पेयजल के लिए बाहर से आते लोगों के हाथ निहारते हैं.

पानी की कमी के चलते नहाने में भी हिचकते हैं, साफ कपड़ों को पहने हुये महीनों बीत जाते हैं, अगर पानी मिलता है तो खेतों में सिचाईं में उपयोग होने वाला खारा पानी, वैसे तो कहा जाता है बिना पानी के जीवन संभव नहीं होता है, लेकिन पानी के अकाल के बीच मे जीवन कैसे जिया जाता है ये उदाहरण पेश कर रही तखावन ग्राम पंचायत.

लोग नहीं जानते मीठे पानी का स्वाद

जलेसर विधानसभा में बसी हुई तखावन ग्राम पंचायत में लगभग 2800 नागरिकों (वोटिंग) आबादी है, वहीं कुल जनसंख्या 12000 के आसपास है. लगभग 15 किमी के क्षेत्रफल में बसे हुये ये 10 गांव हैं, जिसमें तखावन की कुल आबादी 2200, नगला दया की कुल आबादी 1200, आंनद गढ़ी की कुल आबादी 400, नगला मन्धा की कुल आबादी 1000, ग्राम बाबू गढ़ी की कुल आबादी1500, गढ़ी शलूका की कुल आबादी 1500, भूपाल गढ़ी ग्राम की कुल आबादी 400, ओमनगर और बाबूगढ़ की कुल आबादी 400-400 और नगला साधू की कुल आबादी 150 लोगों के आसपास की है. वहीं पूरी ग्राम पंचायत की बात करें तो आबादी 12000 के आसपास की है. इसके अलावा शकरौली ग्राम पंचायत के लगभग 10 गांव की यही हालत है.

कुछ ऐसी दिखाई दी लोगों की जिंदगी

जब क्विंट की टीम ने इन गांवों का दौरा किया तो स्थित बहुत ही भयानक सामने आई,आखिर लोग बगैर पानी के जीवन रूपी नाव को कैसे चला रहे हैं. पहले पहुंचते ही गांव के लोग बोले कुछ नही होगा इसमें, कोई नही सुनता है हमारी. विधायक से लेकर प्रधान,प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री कुछ नही कर पायेंगे, गुस्से में लोगों की परेशानी सुनी तो उनकी कुछ पीड़ा बांटने की कोशिश तो की लेकिन किसानी और मजदूरी पर निर्भर रहने वाले गाँव के लोग अपने आने वाले बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित दिखाई पड़े.

हमारे गांव मे लोग नहीं करते हैं लड़कियों की शादी

गांव की ग्रहणी सरस्वती देवी बताती हैं, हमारे गांव मे लोग अपनी लड़कियों की शादी करने से बचते हैं, एक बार अगर कोई शादी करने के लिए लड़कों को देखने आता है गांव में देखता है तो पानी की समस्या को देखते हुये मना कर देते हैं.

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पढ़ी लिखी बहू बोली, शादी होने के बाद पिता से हुई लड़ाई

2011 में शादी हुई वीनेश बताती है,मैं मूल रूप से फिरोजाबाद की रहने वाली हूं, मैं ग्रेजुएशन कर चुकी हूं, जब मेरी नई-नई शादी हो कर के आयी थी तो मैं बहुत मुश्किल में ही ढल पाई थी, शादी के अगले ही दिन हम पोखर पर नहाने के लिए गए थे,उसके अगले दिन से मैं भी सिंचाई हो रहे खेतों की तरफ बाल्टी लेकर के चल दिये,जब मैं अपने घर पहुंची, उसके बाद में मैंने अपने पिता जी से बोला मेरी शादी ऐसी जगह क्यों कर दी, जिसके बाद में मेरी पीहर (मायके) से लड़ाई होने लगी.

भारतीय वायुसेना में अपनी सेवा दे रहे रमेश बताते हैं कि केवल पानी की वजह से लोग अपने काम पर नहीं जा पाते हैं, बच्चे स्कूल नही जा पाते हैं, बल्कि इंतजार करते हैं किसी खेत की सिंचाई हो तो पानी मिल सके, इसके कारण हमारे से यहां से बच्चे कोई अच्छी जगह अच्छे पद पर काम नही कर पाते हैं, जबकि कोई भी जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नही देता है.

आखिर क्या बोले जनप्रतिनिधि?

ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार बताते हैं हमने विधायक जी से बात की है, जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा. वहीं एक सवाल खड़ा हुआ है जब विधायक जी साढ़े चार साल में समस्या का समाधान नहीं कर पाए तो तीन महीने में क्या करते हैं ये देखने वाली बात होगी.

जलेसर एसडीएम राम नयन सिंह ने बताया कि जलेसर क्षेत्र में खारे पानी की समस्या है जिसके लिये टीमें काम कर रही हैं, सर्वे को दोबारा से करवाया जाएगा,पता करेंगे कहा पर मीठा पानी है वहा पर बोरिंग करवाई जाएगी.

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Published: 06 Dec 2021,11:29 PM IST

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