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UP: सबसे युवा MLA कुशाग्र चुनाव हारे, पिता को उम्रकैद के बाद राजनीति में आए थे

कुशाग्र सागर पहली बार 2017 में यूपी के विधायक चुने गए थे, उस वक्त उनकी उम्र 26 साल थी

Siddharth Sarathe
उत्तर प्रदेश चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>सबसे कम उम्र के प्रत्याशी कुशाग्र सागर</p></div>
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सबसे कम उम्र के प्रत्याशी कुशाग्र सागर

फोटो : Altered by Quint

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उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी सरकार ने भारी बहुमत के साथ वापसी कर ली है. लेकिन, प्रदेश के सबसे युवा विधायक कुशाग्र सागर मामूली अंतर से चुनाव हार गए हैं. कुशाग्र पहली बार साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बिसौली सीट से चुनकर विधायक बने थे.

कुशाग्र के फैमिली बैकग्राउंड और निजी जीवन में कई विवादित पहलू हैं. 2018 में कुशाग्र की नौकरानी ने आरोप लगाया था कि उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया गया. इसके अलावा कुशाग्र की राजनीति में एंट्री भी उनके जीवन में एक ट्रेजडी से ही हुई, जब उनके पिता को उम्रकैद हुई.

2017 में जब कुशाग्र पहली बार विधायक बने, उनकी उम्र 26 साल थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी वे सबसे कम उम्र के उम्मीदवार थे, पर इस बार वो विधायक नहीं बन सके बीजेपी प्रत्याशी कुशाग्र और एसपी के आशुतोष मौर्या के बीच मुकाबला टक्कर का रहा. कुशाग्र महज 1586 वोटों से चुनाव हार गए.

कम उम्र में सिर्फ विधायक नहीं, करोड़पति भी बने थे कुशाग्र 

कुशाग्र पूर्व बसपा विधायक योगेंद्र सागर के बेटे हैं, उनकी मां जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. नामांकन भरते वक्त दाखिल किए अपने एफिडेबिट में कुशाग्र ने बताया था कि उनके पास लगभग 61 लाख की चल संपत्ति है और 1 करोड़ की अचल संपत्ति उन्होंने खरीदी है. कुशाग्र के पास 100 ग्राम और उनकी पत्नि के पास 150 ग्राम सोना है. लगभग 78 लाख की संपत्ति उन्हें विरासत में मिली है.

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2018 में लगे थे कुशाग्र पर शोषण के आरोप

2018 में कुशाग्र सागर पर उनके घर की नौकरानी की बेटी से दुष्कर्म का आरोप लगा था. पीड़िता का आरोप था कि पांच साल पहले अपने घर में उसका यौन शोषण किया था. पीड़िता के मुताबिक उस वक्त वो नाबालिग थी और कुशाग्र विधायक नहीं बने थे.

पिता को उम्रकैद के बाद आए राजनीति में 

कुशाग्र के पिता योगेंद्र सागर बसपा से विधायक थे, एक छात्रा के साथ अपहरण और दुष्कर्म के मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा हो गई थी, जिसके बाद कुशाग्र बीजेपी के सहारे राजनीति में आए. 2008 में कुशाग्र के पिता पर लगे आरोपों ने तूल पकड़ा था, कहा जाता है कि राजनीतिक दबाव में आरोपों को दबा दिया गया था. लेकिन, अदालतों से लगातार फरियादियों के पक्ष में फैसले आते रहे और आखिरकार योगेंद्र सागर को बसपा से निष्कासित कर दिया गया था.

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