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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election) से ठीक पहले सूबे को नया मुख्य सचिव मिला है. 1984 बैच के आईएएस और आवास व शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा यूपी के नए मुख्य सचिव बनाए गए हैं. रिटायरमेंट से दो दिन पहले डीएस मिश्रा को एक्सटेंशन देकर चीफ सेक्रेटरी बनाया गया है. ऐसे में विपक्ष सवाल उठा रहा है कि ऐसी क्या जरूरत थी कि डीएस मिश्रा को एक्सटेंशन दिया गया? क्यों चुनाव से ठीक पहले ये बदलाव हुए?
आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक दुर्गा शंकर मिश्रा को केंद्र सरकार ने रिलीव किया है.
ये वही दुर्गा शंकर मिश्रा हैं जिन्हें साल 2012 में अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद उनके पद से हटाकर वेटिंग में डाल दिया गया था. अखिलेश यादव के सीएम बनने से पहले डीएस मिश्रा मायावती के करीबी अफसरों में से थे. उन्हें साल 2010 में मायावती ने मुख्यमंत्री कार्यालय का प्रमुख सचिव बनाया था. अखिलेश सरकार में पद से हटने के बाद डीएस कुछ दिनों की छुट्टी पर चले गए थे. लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्हें केंद्र में डेप्यूटेशन पर बुला लिया गया. और अब एक बार फिर उन्हें यूपी का रास्ता दिखाया गया है.
यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न सिडनी से इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले डीएस मिश्रा को लेकर माना जा रहा है कि वो पीएम मोदी की पसंद हैं. साथ ही विपक्षी पार्टियां ये बताने में जुटी हैं कि केंद्र और यूपी सरकार में सब ठीक नहीं है.
इस नियुक्ति को लेकर सवाल ये भी है कि मुख्य सचिव के पद पर तैनात वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार तिवारी को अचानक क्यों हटाया गया? और डीएस मिश्रा को क्यों लाया गया? फिलहाल आरके तिवारी को सरकार ने नई जिम्मेदारी देकर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का अध्यक्ष बनाया है. आरके तिवारी फरवरी 2023 में रिटायर्ड होने वाले हैं. साथ ही ये भी माना जाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के नेता आरके तिवारी से खुश नहीं थे.
माना जाता है कि किसी भी राज्य में मुख्य सचिव सबसे पावरफुल नौकरशाह होते हैं लेकिन फिलहाल यूपी में ऐसा नहीं दिख रहा था. योगी आदित्यनाथ के करीबी, 1987 बैच के आईएएस अफसर और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के सबसे ताकतवर आईएएस अफसरों में शुमार किए जाते हैं.
बता दें कि अभी एक साल पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लम्बे समय तक सचिव रहे वरिष्ठ आईएएस अफसर एके शर्मा को वीआरएस दिलाकर यूपी भेजा गया था. पहले अटकलें लगाई गईं कि एके शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी आलाकमान योगी सरकार पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं. योगी आदित्यनाथ को कई बार दिल्ली का दौरा करना पड़ा. जिसके बाद बीच का रास्ता निकालते हुए एके शर्मा को एमएलसी बनाकर प्रदेश बीजेपी में उपाध्यक्ष पद दे दिया गया. अब माना जा रहा है कि डीएस मिश्रा को मुख्य सचिव बनाकर मोदी सरकार योगी सरकार के कामकाज पर नजर बनाए रखना चाहती है.
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