Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019West bengal election  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नंदीग्राम भले हार गईं ममता,पर आसपास की 56 में से 33 सीटें जीती TMC

नंदीग्राम भले हार गईं ममता,पर आसपास की 56 में से 33 सीटें जीती TMC

नंदीग्राम के आसपास के इलाके में TMC ने चुनाव से पहले के अनुमान को गलत साबित किया

क्विंट हिंदी
पश्चिम बंगाल चुनाव
Published:
सुवेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी
i
सुवेंदु अधिकारी और ममता बनर्जी
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम विधानसभा सीट पर टीएमसी चीफ ममता बनर्जी की हार के बाद भले ही उनके यहां से चुनाव लड़ने के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हों, लेकिन इस इलाके के आसपास टीएमसी के प्रदर्शन को करीब से देखें तो यह फैसला गलत नजर नहीं आता.

जंगलमहल-मेदिनीपुर क्षेत्र में, जिसके अंदर 5 जिले और 56 विधानसभा सीटें आती हैं, टीएमसी ने 33 सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी इन 56 सेगमेंट में से 32 में आगे रही थी और यहां उसका वोट शेयर टीएमसी (43.3 फीसदी) की तुलना में ज्यादा (44.8 फीसदी) था. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी और इस क्षेत्र में मजबूत नेता माने जाने वाले सुवेंदु अधिकारी जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे, तो माना जा रहा था कि नंदीग्राम के आसपास के इन 56 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी का कद और बढ़ेगा. हालांकि, यहां से 46.1 फीसदी वोट शेयर हासिल करते हुए 33 सीटें जीतकर टीएमसी ने इस अनुमान को गलत साबित कर दिया. बीजेपी को इस चुनाव में यहां 43.7 फीसदी वोट मिले हैं.

294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा की 292 सीटों पर हाल ही में हुए चुनाव में टीएमसी ने कुल 213 सीटें जीती हैं, वहीं बीजेपी के खाते में 77 सीटें गई हैं. राज्य की बाकी दो सीटों पर अभी चुनाव होना बाकी है.

इस चुनाव के हाई प्रोफाइल मुकाबलों की बात करें, तो उनमें सबसे अहम मुकाबला नंदीग्राम का रहा, जिसमें ममता बनर्जी को बीजेपी उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा है. साल 2016 में अधिकारी को इस सीट पर टीएमसी उम्मीदवार के तौर पर जीत मिली थी.

टीएमसी के लिए क्यों खास रहा है नंदीग्राम?

साल 2007 में जब ममता बनर्जी विपक्ष की नेता थीं, तब उन्होंने नंदीग्राम और सिंगूर में औद्योगिकीकरण के लिए कृषि योग्य भूमि अधिग्रहण करने को लेकर लेफ्ट की सरकार के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की थी.

उनकी पार्टी को इसका फायदा भी मिला था और 2008 में 50 फीसदी पंचायत सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार जीते थे और 2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इसके बाद 2011 के विधानसभा चुनाव में भी टीएमसी जीती थी और इस तरह राज्य में लेफ्ट फ्रंट के 34 साल लंबे शासन का अंत हो गया था.

टीएमसी के लिए नंदीग्राम कितना अहम है, इसका पता इस बात से ही चलता है कि पार्टी 14 मार्च को ‘नंदीग्राम दिवस’ के तौर पर मनाती है. 2007 में जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान इस दिन पुलिस की गोलीबारी में मारे गए लोगों के सम्मान में वो यह दिवस मनाती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT