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लोकसभा चुनाव से पहले नमो टीवी विवादों के घेरे में आ गया है. इस चैनल पर पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण, बीजेपी की योजनाएं और पार्टी से जुड़ा कंटेंट दिखाया जा रहा है. बीजेपी सोशल मीडिया पर आधिकारिक रूप से इसका प्रचार-प्रसार भी कर रही है. ऐसे में विपक्ष इसे आचार संहिता का उल्लंघन बता रहा है. विपक्ष की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस चैनल की जानकारी मांगी है. इस चैनल को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब नहीं मिल रहे हैं.
डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर टाटा स्काई ने ट्विटर पर कहा था कि नमो टीवी एक हिंदी न्यूज सर्विस है, जो नेशनल पॉलिटिक्स पर लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज देता है.
हालांकि बाद में टाटा स्काई के सीईओ हरित नागपाल ने एनडीटीवी से कहा कि नमो टीवी न्यूज सर्विस नहीं है. उन्होंने कहा, ''नमो टीवी हिंदी न्यूज सर्विस नहीं है. अगर टाटा स्काई की तरफ से किसी ने ऐसा ट्वीट किया है या ऐसा कहा है तो यह एक गलती है.'' इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''(नमो टीवी की) फीड इंटरनेट के जरिए बीजेपी से आ रही है. स्पेशल सर्विस के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती.''
देश में टीवी चैनलों का प्रसारण केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 के तहत होता है. टीवी चैनल शुरू करने के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय को आवेदन करना होता है. मंत्रालय उसे सिक्योरिटी क्लीयरेंस के लिए गृह मंत्रालय को भेजता है. साथ ही फ्रीक्वेंसी आवंटन के लिए संचार मंत्रालय के डब्लूपीसी और एओसीसी विभाग को भेजा जाता है और विदेशी निवेश के लिए डीआईपीपी और वित्त मंत्रालय को भेजा जाता है. इंटरनेट पर प्रसारण के लिए कोई कानून नहीं है. IT रूल्स 2011 के तहत कुछ स्टैंडर्ड जरूर बनाए गए हैं.
न्यूज चैनलों में 49% विदेशी निवेश की इजाजत है जबकि डिजिटल केबल और DTH सेवा में 100% विदेशी पूंजी लगाई जा सकती है. न्यूज चैनलों में 49% विदेशी निवेश के लिए भी सरकार से परमिशन की जरूरत पड़ती है, लेकिन नॉन न्यूज चैनलों में 100 % विदेशी निवेश के लिए भी मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती.
चुनावी मौसम में सबसे बड़ी खबरें होती हैं- नेताओं के बयान, भाषण, वादे, इरादे. नमो टीवी पर दिन-रात यही दिखाया जा रहा है. फिर भी यह न्यूज चैनल नहीं. क्या ऐसा इसलिए है ताकि इसे कानून के दायरे से बाहर रखा जाए और इसका मालिकाना हक किसके पास है, ये भी ना बताना पड़े?
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Published: 04 Apr 2019,02:57 PM IST