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रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharta) जैसे ग्रंथों पर कई सालों से कई सारी फिल्में और धारावाहिक बन चुके हैं. इसमें से कई हिट रहे, कई काफी विवादास्पद - जैसे सीता सिंग्ज द ब्लू, राजकुमार संतोषी की लज्जा, फिर लंका दहन और संपूर्ण रामायण.
ये सब केवल भारत ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी रामायण पर आधारित फिल्में बनाई जाती है, एक चर्चित एनिमेटेड फिल्म रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम - यह भारत और जापान के कलाकारों ने मिलकर बनाई, इसे राम मोहन और कोइची सीसीकी ने मिलकर डायरेक्ट की थी.
अब इन्हीं फिल्मों के बीच एक और रिलीज हुई ओम राउत की आदिपुरुष जिसमें प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म ने पहले ही एक डिस्क्रिप्शन दिया है कि फिल्म वाल्मिकी की रामायण पर आधारित है, लेकिन कई क्रिएटिविटी के साथ.
और वाकई में ये सच भी है क्योंकि फिल्म ने कई डिटेल छोड़कर अन्य ऐसी चीजों को जोड़ा है ताकी फिल्म नए अवतार में दिख सके.
फिल्म के विजुअल्स की बात करें तो रावण और उसकी सोने की लंका को काफी अलग दिखाया गया है. रावण को पिशाच की तरह दिखाया गया है और रावण पुष्पक विमान पर नहीं, बल्कि एक चमगादड़ जैसे बड़े पक्षी पर बैठा दिखाया गया है.
प्रभास जितने शानदार फिल्म बाहुबली में दिखाई दे रहे थे, उतने शानदार फिल्म आदिपुरुष में नहीं दिखे, कहीं न कहीं कमी दिखती है. क्योंकि भावनात्मक रूप से वह दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पाते हैं. वहीं सीता का किरदार निभा रही कृति सेनन ने अपनी पहले की फिल्मों से बेहतर प्रदर्शन किया है.
रावण का किरदार निभा रहे सैफ का अभिनय अच्छा रहा, एक खलनायक के किरदार को निभाने में वे सफल रहे.
अजय-अतुल का संगीत काबिल-ए-तारीफ रहा, लेकिन दिक्कत विजुअल के साथ रही वो इतने शानदार नहीं थे. रामायण की कहानी हमारे मन में जिस स्तर पर है वीएफएक्स उस स्तर के बिल्कुल नहीं थे.
पटकथा यानी स्क्रीनप्ले की बात करें तो वो काफी अजीब थे. फिल्म में संवाद भी अजीब जैसे 'उनको रावण का घमंड तोड़ना ही होगा' और 'आग तेरे बाप की है'. पौराणिक कथाओं से अपेक्षा रहती है कि उसके संवाद भावनात्मक हो, लेकिन यहां इसके उलट था.
फिल्म में राघव और रावण के बीच जो युद्ध होता है वो भी कुछ खास नहीं दिखाया गया, हमें बताया गया कि राघव और रावण दोनों ही निडर थे. रावण के पुत्रों की जब-जब मौत होती है, तब तब रावण की कोई प्रतिक्रिया हमें कभी देखने को नहीं मिलती.
आदिपरुष में फिल्म मैट्रिक्स और मार्वल की फिल्मों का तड़का लगा हुआ दिखता है.
बुद्धिजीवियों का मानना है कि हमें रामायण और महाभारत में महिलाओं के पात्रों पर और ज्यादा ध्यान डालना चाहिए. जैसे सूर्पनखा के साथ जो हिंसा होती है उसे काफी नम्रता के साथ दिखा दिया गया, फिर अगर इसे सीता के नजरिए से दिखाया जाए तो लंका से निकलने के बाद सीता ने जो झेला उस पर प्रकाश डाला जाना चाहिए.
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