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"हिंदू सहिष्णु हैं, तो क्या उनकी परीक्षा ली जाएगी"- आदिपुरुष पर इलाहबाद हाईकोर्ट

Allahabad highcourt on Adipurush: लखनऊ पीठ फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

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<div class="paragraphs"><p>Adipurush Poster&nbsp;</p></div>
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Adipurush Poster 

(फोटो- twitter)

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इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad Highcourt) ने मंगलवार को विवादास्पद फिल्म "आदिपुरुष" (Adipurush) में महाकाव्य रामायण के प्रमुख पात्रों को जिस तरह से दिखाया गया है, उस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हिंदू सहिष्णु हैं लेकिन हर बार उनकी परीक्षा क्यों ली जाती है."

लखनऊ पीठ जो फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उसने फिल्म के हिंदी संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को भी पक्षकार बनाने के लिए एक आवेदन की अनुमति देने के बाद नोटिस जारी किया है. पीठ ने सुनवाई के दौरान क्या अहम बातें कही आइए आपको बताते हैं.

न्यायमूर्ति राजेश सिंह एवं श्रीप्रकाश सिंह चौहान की पीठ ने कहा, “हिंदू सहिष्णु हैं लेकिन हर बार उनकी परीक्षा क्यों ली जाती है? जब हिंदू सभ्य हैं तो क्या उन्हें दबाना सही है?''

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी/फैज़ान अहमद)

“हमें उनका आभारी होना चाहिए. कुछ अनुयायी सिनेमा हॉल बंद करने गए थे, लेकिन उन्होंने केवल हॉल ही बंद कराए, जबकि वे और भी कई काम कर सकते थे."

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी/फैज़ान अहमद)

याचिकाकर्ता की वकील रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि यह फिल्म "न केवल बड़े पैमाने पर लोगों की भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जो भगवान राम, देवी सीता, भगवान हनुमान आदि की पूजा करते हैं, बल्कि जिस तरह से चरित्र का प्रदर्शन किया गया है,रामायण का जो चित्रण किया गया है वह समाज में गंभीर वैमनस्यता भी पैदा करेगा” जिसके बाद यह बेंच ने यह मौखिक टिप्पणी की."

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी/फैज़ान अहमद)

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पीठ ने कहा कि यह अच्छी बात है कि यह विवाद उस धर्म से संबंधित है जिसके अनुयायियों ने कहीं भी सार्वजनिक व्यवस्था में खलल नहीं डाला है.

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी/फैज़ान अहमद)

न्यायमूर्ति राजेश सिंह एवं श्रीप्रकाश सिंह चौहान की पीठ ने कहा, "जब फिल्म निर्माता ने भगवान राम, देवी सीता, भगवान लक्ष्मण, भगवान हनुमान, रावण, लंका आदि को दिखाया है, तो अस्वीकरण बड़े पैमाने पर लोगों को कैसे समझाएगा कि कहानी रामायण से नहीं है."

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी/फैज़ान अहमद)

अदालत कुलदीप तिवारी और नवीन धवन द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी/फैज़ान अहमद)

पीठ ने आदेश में कहा, “आवेदन में दिखाए गए कारण उचित प्रतीत होते हैं, इसलिए, पक्षकार आवेदन की अनुमति दी जाती है. श्री मनोज मुंतशिर/मनोज शुक्ला को विपरीत पक्ष संख्या के रूप में पक्षकार बनाया जाए. 15... नोटिस जारी किए जाएं...सात दिनों के भीतर कदम उठाए जाएं,''

(ग्राफिक्स- क्विंट हिंदी/फैज़ान अहमद)

(इनपुट्स - लाइव लॉ)

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