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जुहू के एक आलीशान होटल के कॉरीडोर से गुजरते वक्त, इस इंटरव्यू के लिए अमिताभ बच्चन से मिलने से पहले मैं कुछ मजेदार खयालों में उलझी हुई हूं. जैसे उन्होंने क्या पहना होगा, उनके बालों का रंग ग्रे का कौन सा शेड होगा या फिर वो उतने हाजिर जवाब नजर आएंगे या नहीं, जितने वे टॉक शोज में होते हैं.
कुछ देर में अमिताभ मेरे सामने हैं, तरीके से कलफ किए हुए सफेद कुर्ते में. उनके बाएं कंधे पर एक कश्मीरी शॉल पड़ी हुई है, पर आकर्षक बाहरी व्यक्तित्व से भी कुछ और आकर्षक है] तो वह है उनका शानदार प्रभाव, जो किसी को भी अपनी ओर खींचता है.
अमिताभ एक हल्की मुस्कान के साथ मिलते हैं. मेरी जवाबी मुस्कान भी वैसी ही है. हम इंटरव्यू के लिए तैयार हैं. न्यू इयर है, तो न्यू इयर के सवाल के साथ ही शुरुआत करना सही रहेगा ना?
नया साल कई रेजोल्यूशन लेकर आता है. आपका न्यू ईयर रिजोल्यूशन क्या है?
अमिताभ बच्चन: (मेरे सवाल से पहले ही उनका जवाब तैयार है.) रिजोल्यूशन की क्या जरूरत है? मुझे इन बातों में यकीन नहीं. मुझे अगर कुछ करना होगा तो मैं अभी करूंगा, इसके लिए 1 जनवरी का इंतजार क्यों.
अगर मैं गलत नहीं हूं, तो विधु विनोद चोपड़ा सालों पहले इस फिल्म को अंग्रेजी में बनाना चाहते थे ना?
अमिताभ: हां. इसका नाम चेस प्लेयर सोचा गया था. विधु ने इस आइडिया पर करीब 15 साल पहले मुझसे बात की थी. पहले यह फिल्म अंग्रेजी में बननी थी, पर इस पर काम नहीं हो सका, अब वह इसका हिंदी वर्जन बना रहे हैं. अगर वह अंग्रेजी में भी इसे बनाना चाहेंगे तो मुझे कोई परेशानी नहीं, पर फिलहाल यह हिंदी में ही आ रही है.
तो वजीर किस बारे में है?
अमिताभ: फिल्म में दो मुख्य भूमिकाएं हैं. एक है दानिश अली, एक एटीएस अफसर (पुलिस अफसर) जो फरहान अख्तर निभा रहे हैं. दूसरा है ओंकार नाथ धर, दिल्ली में रहने वाला एक कश्मीरी पंडित. दोनों अलग-अलग होते हुए भी एक जैसे ही. वे समझते हैं कि उनके मुद्दे एक जैसे ही हैं. आप फिल्म में देखेंगे कि एक खास तरीके वे दोनों साथ आते हैं और अपनी लड़ाई लड़ते हैं.
आप इस फिल्म में व्हीलचेयर पर नजर आए हैं. इस चुनौतीपूर्ण भूमिका को निभाने का अनुभव कैसा रहा?
अमिताभ: जब भी मुझे किसी फिल्म का आइडिया सुनाया जाता है और मुझे पसंद आता है, तो मैं कुछ नहीं सोचता, बस करता हूं. ज्यादातर अभिनेताओं को प्रॉप के साथ अभिनय करना पसंद आता है, और व्हीलचेयर एक बेहतरीन प्रॉप है. शुरुआत में यह समझना जरा मुश्किल था कि यह कैसे काम करती है पर बाद में थोड़ा आसान हो गया.
शतरंज के किस मोहरे से आप वजीर की अपनी भूमिका की तुलना करना चाहेंगे?
अमिताभ: सवाल अच्छा है, पर मैं इसका जवाब नहीं दूूंगा. (हंसते हैं) अगर मैं इस सवाल का जवाब देता हूं तो कहानी बाहर आ जाएगी. बेहतर यह होगा कि आप फिल्म देखें और समझें कि मेरी भूमिका शतरंज के किस मोहरे की तरह थी और मैंने जो चालें चलीं वे क्यों चलीं.
अदिति राव हैदरी ने कहा कि फिल्म के सेट पर आपने काफी प्रैंक खेले, और आप व्हीलचेयर को लेकर लोगों से टकरा जाते थे? प्रॉप ने तब काफी मदद की आपकी?
अमिताभ: उसने ऐसा कहा? बात करनी पड़ेगी अब उससे. अरे मजाक कर रहा हूं. मैं बताता हूं कि क्या होता था. (मुस्कुराते हैं) व्हीलचेयर का कंट्रोल पैनल जॉय स्टिक की तरह था, और मुझे जॉय स्टिक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. तो फिर एक बच्चे की तरह मेरा निशाना भी चूक जाता था.
फरहान आपके करीब ‘दीवार’ के दिनों से ही है, कम से कम हमें यही पता है. एक अभिनेता के तौर पर उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
अमिताभ: जावेद और मैं काफी सालों से साथ काम कर रहे हैं तो यकीनन कई किस्से सुना सकता हूं. हां, फरहान एक निर्देशक के रूप में अलग इंसान हैं और एक साथी अभिनेता के रूप में दूसरे ही इंसान. ऐसा करना सबके बस की बात नहीं. फरहान एक प्रतिभाशाली अभिनेता हैं क्योंकि वे एक अच्छे लेखक और संगीतकार भी हैं.
नवाज आपके प्रशंसक...
अमिताभ: (मुझे बीच में ही रोककर) नहीं, नवाज मेरे नहीं, मैं उनके काम का प्रशंसक हूं. शूजीत के साथ मैंने एक फिल्म की थी शू बाइट. इसमें छोटा सा रोल था नवाज का. मैं उन्हें देखकर हैरान रह गया. वे बेहद प्रतिभाशाली हैं. मैंने सुजीत को कहा कि वो उसे कोई बड़ा काम क्यों नहीं देता. अब मैं उनके साथTE3N में काम कर रहा हूं, जो मेरे लिए गर्व की बात है.
वजीर, पीकू, शमिताभ, सारे अलग-अलग तरह के रोल. इनकी तुलना आप अपनी एंग्री यंग मैन वाली भूमिकाओं से कैसे करेंगे?
इन सब अलग-अलग भूमिकाओं को निभाना मेरे लिए खुशी की बात है, वरना शुरुआती दौर में तो विलेन से लड़ने और लड़की को हासिल करने के सिवा मैंने कुछ खास नहीं किया. उन दिनों मेरी हर फिल्म में लगभग यही होता था, पर अब मैं एक 13 साल के बच्चे का रोल करता हूं, तो कभी एक पागल आदमी का तो कभी व्हीलचेयर पर बैठा होता हूं.
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