Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Entertainment Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 अरुण गोविल : ‘राम’ ने बनाए इनके बिगड़े काम 

अरुण गोविल : ‘राम’ ने बनाए इनके बिगड़े काम 

रामानंद सागर के राम यानि अरुण गोविल को आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में ही देखा जाता हैं. 

ममता अग्रवाल
एंटरटेनमेंट
Updated:
अरुण गोविल को आज भी लोग भगवान राम के रोल के लिए पहचानते हैं. (फोटो: Twitter)
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अरुण गोविल को आज भी लोग भगवान राम के रोल के लिए पहचानते हैं. (फोटो: Twitter)
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रामानंद सागर के ‘रामायण’ के राम यानी अरुण गोविल से कोई अनजान नहीं है. मर्यादा पुरुषोत्तम के किरदार को उन्होंने इस कदर जीवंत किया कि घर-घर में वो राम की तरह पूजे जाने लगे.

मेरठ निवासी अरुण कहीं भी मिल जाएं तो बुजुर्गो के हाथ भी उनके आगे श्रद्धा से जुड़ जाते हैं. (फोटो: ट्विटर)

‘राम का किरदार निभाना आसान नहीं था’

राम का किरदार निभाना अरुण गोविल के लिए आसान न था. साल 1986-1988 के बीच राम का किरदार निभाने के तीन वर्षो के दौरान उन्हें पर्दे के बाहर भी अपनी वही छवि बनाए रखने की कठिन चुनौती उनके साथ रही.

यहां तक कि इस दौरान उन्हें अपनी सालों पुरानी सिगरेट की लत भी छोड़नी पड़ी.

स्कूल और कॉलेज में अरुण गोविल ने कई नाटकों में भाग लिया था, लेकिन अभिनय को अपना करियर बनाने के बारे में उन्होंने कभी सोचा भी न था. अपने व्यवसायी भाई के काम में हाथ बंटाने के लिए मुंबई आए थे, लेकिन जल्दी ही उन्हें अहसास हो कि वह व्यवसाय के लिए नहीं बने हैं, अभिनय ही उनकी मंजिल है.

1977 में ‘पहेली’ फिल्म से उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की. (फोटो: ट्विटर)

फिल्मों में भी हाथ आजमाया

रामायण के राम- लक्ष्मण बाद में बिजनेस पार्टनर बन गए. (फोटो: ट्विटर)

रामानंद सागर के राम के रूप में स्थापित होने से पहले वह उनके ही सीरियल ‘विक्रम और बेताल’ में बेताल को कंधे पर लादे राजा विक्रमादित्य की भूमिका में भी खूब सराहे गए.

उन्होंने ‘रामायण’ में राम के किरदार को इतने सार्थक ढंग से निभाया कि हर मन में उनकी वही छवि बस गई. लेकिन इससे पहले वह बड़े पर्दे पर भी सफलता का स्वाद चख चुके थे.

राजश्री प्रोडक्शन्स के ताराचंद बड़जात्या फिल्म ‘पहेली’ (1977) में उनके अभिनय से इतने प्रभावित हो गए कि उन्होंने गोविल को एक साथ तीन फिल्मों के लिए साइन कर लिया. इनमें से फिल्म ‘सावन को आने दो’ काफी हिट हुई थी.

रामायण’ के राम के रूप में जहां उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता को साबित किया, वहीं उन्हें इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा. उन्हें केवल ऐसी ही भूमिकाओं के प्रस्ताव मिलने लगे, मगर करीब 9-10 साल तक उन्होंने अभिनय दूर रहकर सिर्फ प्रोडक्शन का काम संभाला.

महाभारत के कृष्ण के साथ रामायण के राम. (फोटो: ट्विटर)

अपने को- स्टार सुनील लाहिड़ी यानि रामायण के लक्ष्मण के साथ मिलकर उन्होंने अपनी एक टीवी कंपनी बनाई, जिसके तहत वह कार्यक्रमों के निर्माण से जुड़े रहे और इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दूरदर्शन के लिए कार्यक्रम बनाए.

वह केवल पर्दे पर ही राम बने रहकर संतुष्ट नहीं रहना चाहते, बल्कि वास्तविक जीवन में भी इस पौराणिक चरित्र के आदर्शो को उतारने के प्रयास में गोविल ब्रह्मऋषि श्री कुमार स्वामी के मार्गदर्शन में कुछ सामाजिक कार्यो से भी जुड़े हुए हैं.

(फोटो: ट्विटर)

अरुण गोविल ने राम की छवि से बाहर निकलने की भी काफी कोशिश की, फिल्मों में बोल्ड सीन्स किए, कुछ धारावाहिकों में नेगेटिव किरदार निभाया लेकिन अफसोस वो राम की छवि से कभी बाहर नहीं निकल पाए.

भले ही ‘रामायण’ को लगभग तीन दशक हो गए हों, पर अरुण गोविल आज भी टीवी के राम के रूप में ही पहचाने जाते हैं.

(आईएएनएस)

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Published: 12 Jan 2016,04:46 PM IST

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