advertisement
साल 1992. देश नफरत की आग में जल रहा था. अखबार दंगों की खबरों से भरे थे. लेकिन एक आवाज थी, जो मेरे नीली-पीली एलइडी लाइटों वाले बड़े से डैक यानी स्टीरियो सिस्टम से होकर थोड़ा चैन दे रही थी. ये आवाज थी कानपुर से आने वाले अभिजीत भट्टाचार्य की.
अभिजीत की ताजगी भरी आवाज के साथ शाहरुख उम्मीदों और प्यार से भरे लवर ब्वॉय की इमेज गढ़ रहे थे. मुझे अभी भी याद है शाहरुख का रुमानी अंदाज और उस पर अभिजीत की बारिश के बाद खिलकर बहने वाली हवा जैसी आवाज.
शाहरुख की ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से लेकर ‘यस बॉस’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में अभिजीत की आवाज ने ही कमाल किया था.
अभिजीत की आवाज के साथ शाहरुख फिल्म-दर-फिल्म आगे बढ़ रहे थे. लेकिन अभिजीत कहीं अपने करियर में पिछड़ते जा रहे थे. ये वो दौर था, जब बॉलीवुड में प्लेबैक सिंगरों का करियर पहले की अपेक्षा छोटा होता जा रहा था.
ऐसे में अभिजीत ने एक टीवी इंटरव्यू में शाहरुख के लिए कभी न गाने का ऐलान कर दिया. दोनों में ‘मैं हूं ना’ फिल्म में क्रेडिट को लेकर तनातनी हो गई थी. इसके बाद अभिजीत ने किंग खान की फिल्म ‘बिल्लू’ में ‘खुदाया खैर करे’ गाना गाया. इसके साथ ही दोनों का सफर खत्म हो गया.
भट्टाचार्य ने दावा किया कि उनकी रोजी-रोटी गाने से नहीं, बल्कि रियल एस्टेट और कॉफी शॉप चेन से चलती है. हालांकि पिछले कुछ दिनों में उन्होंने एक और काम शुरू किया है. ये नया काम है ट्विटर पर जहर उगलना. लेकिन ऐसा क्या हो गया कि कानों में शहद घोलने वाली आवाज वाले अभिजीत के ट्वीट आग उगलते नजर आते हैं.
सलमान खान पर हिट एंड रन के मुकद्दमे पर अभिजीत ने किया ये ट्वीट -
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सड़कें कारों और कुत्तों के लिए होती हैं, न कि लोगों के सोने के लिए और सलमान की कोई गलती नहीं है.
अभिजीत ने सलमान का बचाव करते हुए ये भी कहा कि रोड्स और फुटपाथ सोने के लिए नहीं हैं, इसलिए ड्राइवर या शराब की कोई गलती नहीं है. हालांकि इसके बाद उन्होंने ये ट्वीट डिलीट करके माफी भी मांग ली.
सलमान खान का बचाव करने के बाद अभिजीत ने गुलाम अली को डेंगू आर्टिस्ट करार दिया.
इसके बाद अभिजीत की हिट लिस्ट में अगला नंबर आमिर खान का था... असहिष्णुता की बहस में वो सारी हदें पार करने से नहीं चूके.
इससे ज्यादा हैरानी तब हुई, जब अभिजीत ने आमिर को अतुल्य भारत का ब्रैंड अंबेसेडर से हटाने पर एक पत्रकार के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया.
अभिजीत इतने नीचे गिर चुके हैं कि उनका साथ देने वाले वही लोग हैं तो सभ्यता, तमीज और मर्यादा की सीमा काफी पहले तोड़ चुके हैं. किसी ने कहा था...कलाकार का काम इस कुरूप दुनिया में खूबसूरत जगह बनाना है...
अभिजीत हमेशा याद रहेंगे... लेकिन सबके चहेते कलाकार का जाना और एक बदतमीज अभिजीत का आना क्या महज संयोग है?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)