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Qफिल्मी: नाकामयाबी से नहीं डरते आमिर, पढ़ाई में कमजोर थे अनुपम खेर

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पढ़िए एंटरटेनमेंट जगत की बड़ी खबरें
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पढ़िए एंटरटेनमेंट जगत की बड़ी खबरें
(फोटो: altered by Quint Hindi)

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आमिर खान को किरदार में ढलने में समय लगता है

सुपरस्टार आमिर खान का कहना है कि वे स्वाभाविक एक्टर नहीं हैं और दूसरों से अलग सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. आमिर का कहना है कि उनमें अच्छा प्रदर्शन करने की भावना होती है, लेकिन किरदार में ढ़लने में उन्हें कुछ समय लगता है. आमिर ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘‘जब मैं नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी जी, रघुवीर यादव, दिलीप कुमार साहब, अमिताभ बच्चन जी और जायरा वसीम जैसे कलाकारों को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि वे एक पावरहाउस हैं. जब वे अपना शॉट देते हैं, तो उनमें बहुत ज्यादा विश्वास झलकता है और यही वजह है कि बहुत ही स्वाभाविक और सहज नतीजे भी मिलते हैं.''

‘‘मुझे नहीं लगता कि मेरे पास वो चीज है. मुझे ऐसा लगता है कि उस लेवल तक पहुंचने के लिए मुझे और काम करना है और इसके लिए और ज्यादा कोशिश करने होंगे.’’   

फिल्म इंडस्ट्री में 30 साल पूरे कर चुके आमिर ने कहा कि वह अपनी शंकाओं से पार पाने के लिए जूझते रहते हैं और अगर वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं तो उन्हें कई बार रिहर्सल करने से भी कोई गुरेज नहीं होता. ‘दंगल' का उदाहरण देते हुए आमिर ने कहा कि हरियाणवी लहजा पकड़ने के लिए जायरा वसीम को महज एक हफ्ते लगे जबकि उन्हें इसे सीखने के लिए चार महीनों तक जूझना पड़ा. आमिर का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी ताकत इस बात में है कि वे "असफल होने से डरते नहीं है''

जेंडर इक्वलिटी को लेकर मुखर हैं अदिति राव हैदरी

अदिति राव हैदरी एक ऐसी एक्टर हैं, जिन्हें पता है कि उनके लिए कोई न तो फिल्में बना रहा है और न ही उनके करियर के लिए योजना बना रहा है, लेकिन उनके अंदर आत्मविश्वास है, जिस वजह से वे बेखौफ होकर फैसला लेती हैं. वे लड़कियों की पढ़ाई की पुरजोर वकालत करती हैं, क्योंकि इससे महिला समुदाय और पूरा देश समृद्ध होगा. अदिति ने एक इंटरव्यू में बताया, "मैं मौजूदा वक्त में जीती हूं और हमेशा आगे का सोचती हूं. मैं 2010-11 से काम कर रही हूं. कभी-कभी लड़खड़ाई भी, लेकिन बाद में संभल गई."

हैदराबाद में जन्मीं और दिल्ली में पलीं-बढ़ीं अदिति ने राकेश ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म 'दिल्ली-6' से बॉलीवुड में कदम रखा था. इसके बाद से वो हिंदी और तमिल सिनेमा में काम कर रही हैं. उनका कहना है कि ऐसे भी दिन आए जब उन्हें लगा कि वे फिल्मी दुनिया से बाहर हो सकती हैं. उन्होंने कहा, "मैं ज्यादा करने, ज्यादा सीखने और ज्यादा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहती हूं."

दुनियाभर में चल रही लैंगिक समानता की बहस के बीच अदिति को लगता है कि भारत में लैंगिक असंतुलन बड़े स्तर पर है. उन्होंने कहा-

“मैं जेंडर इक्वलिटी के बारे में मुखर हूं, क्योंकि यह मुझे परेशान करती है. मैं बदलाव चाहती हूं, हम बदलाव चाहते हैं, और शिक्षा को प्राथमिकता देकर ही यह हो सकता है. हमें साक्षरता नहीं, बल्कि अच्छी शिक्षा चाहिए. जब आप एक लड़की को पढ़ाते हैं, जब आप उसे समान अवसर देते हैं तो आप उसके परिवार को शिक्षित करते हैं. इससे उसका समुदाय और पूरा देश समृद्ध होता है.”  
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अनुपम खेर को कभी भी 38 फीसदी से ज्यादा मार्क्स नहीं मिले

दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि उन्हें एग्जाम्स में कभी भी 38 फीसदी से ज्यादा मार्क्स नहीं मिले, लेकिन उनके पिता फिर भी इसका जश्न मनाते थे. अनुपम ने ट्विटर पर सीबीएसई बोर्ड की 12वीं परीक्षा में टॉप करने वाली 17 साल की मेघना श्रीवास्तव को बधाई दी और साथ ही कहा कि 70 से 80 फीसदी फीसदी मार्क्स पाने वाले भी जश्न के हकदार हैं. अनुपम ने कहा, "मैं उन लोगों के लिए भी जश्न मनाता हूं जो नाकामयाब हो जाते हैं. क्योंकि मेरे लिए अफलता एक घटना है. कोई व्यक्ति नहीं. लेकिन यह मुझे किसी ऐसे शख्स की तारीफ करने से नहीं रोकता जो 99.6 फीसदी मार्क्स हासिल करता है."

“मुझे कभी 38 फीसदी से ज्यादा मार्क्स नहीं मिले. मार्क्स जरूरी होते हैं, लेकिन पेरेंट्स को अपने बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए. यह एक मनोवैज्ञानिक दबाव है. मेरे पिता मेरी असफलताओं पर हमेशा जश्न मनाते थे और इस प्रक्रिया में मैं डर से हमेशा दूर रहता था.”

अनुपम ने बताया कि उनका कहना इस संदर्भ में हैं कि जब लोग असफल होते हैं या कम मार्क्स हासिल करते हैं तो उन्हें सबसे ज्यादा समर्थन की जरूरत होती है.

तैयार है 'राउडी राठौर 2' की स्क्रिप्ट

अक्षय कुमार की हिट फिल्म 'राउडी राठौर' के सीक्वल 'राउडी राठौर 2' की स्क्रिप्ट तैयार है और इसे सिर्फ इसके सह निर्माता संजय लीला भंसाली की मंजूरी मिलने की जरूरत है. फिल्म की को-प्रोड्यूसर शबीना खान ने यह जानकारी दी. साल 2012 में एक्शन-कॉमेडी फिल्म के ब्लॉकबस्टर होने के बाद से ही इसके सीक्वल की बातें होने लगी थीं.

खान ने बताया, "फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार है. विजयेंद्र प्रसाद ने लेखन में थोड़ा समय लिया. अब हम तैयार हैं." उन्होंने कहा, "मैं और भंसाली इसके को-प्रोड्यूसर हैं. स्क्रिप्ट को उनकी स्वीकृति मिलते ही आगे का काम शुरू हो जाएगा."

जहां 'राउडी राठौर 2' का काम शुरू होने वाला है, खान 'जिंदगी के क्रॉसरोड्स' से छोटे पर्दे पर डेब्यू कर रही हैं. इसका प्रसारण 'सोनी एंटरटेनमेंट' पर छह जून को होगा.

केवल ग्लैमरस होने की वजह से रोल नहीं चुनूंगी : स्वरा भास्कर

स्वरा भास्कर अपनी आने वाली फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' में भले ही एक ग्लैमरस भूमिका निभा रही हैं, लेकिन उनका कहना है कि वह फिल्म के कंटेंट से समझौता कभी नहीं करेंगी, चाहे वह कोई भी फिल्म ही क्यों न चुन रही हों. ‘‘निल बटे सन्नाटा'' और ‘‘अनारकली ऑफ आरा'' जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग के लिए आलोचकों की वाहवाही लूट चुकी स्वरा ने कहा कि उन्होंने अब तक जो फिल्में चुनीं हैं उनके आधार पर वह समझ गई हैं कि उन्हें परफॉर्मेंस बेस्ड मीनिंगफुल किरदारों को चुनने की जरूरत है.

स्वरा ने बताया ‘‘मेरे पास ऐसी फिल्मों के ऑफर आ चुके हैं, जिन्हें तथा कथित ग्लैमरस कहा गया था लेकिन उनमें मेरे लिए ज्यादा कुछ करने को नहीं था. इसलिए मैंने उन्हें नहीं किया.'' उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने उनकी पिछली फिल्मों की वजह से उन्हें एक ढर्रे में बांध दिया था, लेकिन निर्माता रिया कपूर ने उन पर विश्वास किया और उन्हें ‘‘वीरे दी वेडिंग'' में साक्षी के रोल की पेशकश की.

(इनपुट: IANS और भाषा)

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